नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में पार्टी के विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन में शामिल नहीं होंगे. पार्टी ने बुधवार को यह घोषणा की.
कांग्रेस ने कहा कि उसके शीर्ष नेताओं ने निमंत्रण इसलिए अस्वीकार किया है क्योंकि उद्घाटन “स्पष्ट रूप से आरएसएस/भाजपा का प्रोग्राम” है.
पार्टी महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने बुधवार को एक बयान जारी कर कहा कि खरगे, सोनिया और अधीर को पिछले महीने निमंत्रण भेजा गया था.
बयान में कहा गया है, “देश में लाखों लोग भगवान राम की पूजा करते हैं. धर्म एक निजी मामला है, लेकिन आरएसएस/भाजपा ने अयोध्या में मंदिर का एक राजनीतिक प्रोजेक्ट बनाया है.”
रमेश ने कहा कि भाजपा और आरएसएस के नेताओं द्वारा “अधूरे मंदिर” का उद्घाटन “स्पष्ट रूप से चुनावी लाभ के लिए किया जा रहा है”.
उन्होंने कहा, “2019 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करते हुए और भगवान राम का सम्मान करने वाले लाखों लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए, श्री मल्लिकार्जुन खरगे, श्रीमती सोनिया गांधी और श्री अधीर रंजन चौधरी ने स्पष्ट रूप से आरएसएस/भाजपा कार्यक्रम के निमंत्रण को सम्मानपूर्वक अस्वीकार कर दिया है.”
ये तीनों कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से इस कार्यक्रम का निमंत्रण पाने वाले एकमात्र व्यक्ति थे.
खरगे को राज्यसभा में विपक्ष के नेता के रूप में सोनिया को कांग्रेस संसदीय दल के अध्यक्ष के रूप में और अधीर को लोकसभा में कांग्रेस के नेता के रूप में आमंत्रित किया गया था.
कांग्रेस सूत्रों ने बुधवार को दिप्रिंट को बताया कि यह फैसला तीनों के बीच विचार-विमर्श के बाद लिया गया है.
यह फैसला कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश के प्रभारी अविनाश पांडे की घोषणा के कुछ दिनों बाद आया है कि वह कई महासचिवों, यूपी प्रदेश अध्यक्ष और राज्य विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) के नेता के साथ 15 जनवरी को दर्शन के लिए अयोध्या जाएंगे.
2019 में जब सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर निर्माण पर फैसला सुनाया था, तो कांग्रेस ने कहा था, “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करती है.”
तब पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी कहा था कि पार्टी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का समर्थन करती है.
उद्घाटन में शामिल न होने के अपने फैसले के साथ, कांग्रेस कई अन्य INDIA गठबंधन दलों में शामिल हो गई है, जिन्होंने भाजपा पर कार्यक्रम का “राजनीतिकरण” करने का आरोप लगाते हुए निमंत्रण अस्वीकार कर दिया है. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और शिव सेना (यूबीटी) उन पार्टियों में शामिल हैं जिन्होंने दूर रहने का फैसला किया है.
(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)
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