कोलकाता: जमीनी स्तर पर लोगों के साथ जुड़ाव और पार्टी की छवि बेहतर करने की कोशिश- तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पश्चिम बंगाल में आगामी पंचायत चुनावों को लेकर उम्मीदवारों के चयन में जनता की राय लेने के अपने निर्णय के साथ यही हासिल करने की कोशिश कर रही है.
अपनी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खोने के कुछ दिनों बाद, ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ टीएमसी ने घोषणा की है कि वह इस साल के अंत में होने वाले पंचायत चुनावों के लिए उम्मीदवारों का चयन करने के लिए एक गुप्त मतदान करेगी. इसका नेतृत्व ममता के भतीजे और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी करेंगे.
बनर्जी ने बुधवार को राज्य सचिवालय में फैसले की घोषणा करते हुए कहा, ‘मैंने अभिषेक से कहा था कि वह इस कार्यक्रम का संचालन न करें. वह इस मौसम में बीमार पड़ जाएंगे. साथ ही खेती का मौसम होने के कारण श्रमिकों को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा. लेकिन उन्होंने लोगों से जुड़ने का फैसला किया है, वे 25 अप्रैल से अपने लोगों से मिलना शुरू करेंगे और इसे अगले दो महीने तक जारी रखेंगे.’
टीएमसी के ‘ग्राम बांग्लार मोटामोट’ या ग्रामीण बंगाल की राय के तहत, राज्यव्यापी कवायद उम्मीदवारों के चयन के साथ समाप्त होगी जो अंततः चुनाव लड़ेंगे.
अपनी ओर से अभिषेक ने कहा कि यह पहली बार है जब भारत में इस तरह का अभ्यास किया जा रहा है.
उन्होंने कहा, ‘भारत भर में, जब चुनाव के लिए उम्मीदवारों का फैसला करने की बात आती है, तो सत्ता के केंद्रीकरण के माध्यम से बंद दरवाजों के पीछे निर्णय लिए जाते हैं और जिला और ब्लॉक नेतृत्व की सिफारिशों पर आधारित होते हैं. भारत में पहली बार, हम ग्राम पंचायतों के उम्मीदवारों पर लोगों की राय लेने के लिए तैयार हुए हैं, ताकि सच्चे अर्थों में लोगों की पंचायत सुनिश्चित की जा सके.’
यह अभ्यास टीएमसी के लिए एक महत्वपूर्ण समय पर आता है – जब पार्टी से चुनाव आयोग ने 11 अप्रैल को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा वापस ले लिया. साथ ही पार्टी भ्रष्टाचार के आरोपों की एक पूरी श्रृंखला से भी लड़ रही है, जैसे शिक्षण की भर्ती में कथित अनियमितताएं और राज्य के सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में गैर-शिक्षण कर्मचारी की भर्ती का मामला आदि.
राज्य के राजनीतिक विश्लेषक इसे विशेष रूप से 2024 के आम चुनावों से पहले खोई जमीन वापस हासिल करने के प्रयास के रूप में देख रहे हैं. साथ ही इसे अभिषेक को पार्टी के दूसरे-इन-कमांड के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने में मदद करने के कदम के रूप में भी देखा जा रहा है.
राजनीतिक विश्लेषक और लेखक स्निग्धेन्दु भट्टाचार्य ने दिप्रिंट से कहा, ‘इस कार्यक्रम के साथ, टीएमसी भ्रष्टाचार के बारे में हो रही चर्चा को बदलने की कोशिश कर रही है, जिसने पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाया है. विशेष रूप से यह देखते हुए कि टीएमसी ने भ्रष्टाचार को पूरी तरह खत्म करने का वादा किया था, लेकिन पार्टी कार्रवाई करने में सक्षम नहीं हो पाई. साथ ही यह सुनिश्चित करना भी है कि अभिषेक बनर्जी की पकड़ पार्टी के जमीनी स्तर और टिकट वितरण में मजबूत हो. टीएमसी के अन्य वरिष्ठ नेताओं की इस प्रक्रिया में कम भूमिका होगी.’
उन्होंने कहा कि यह 2024 के लिए ड्रेस रिहर्सल भी होगा.
लेकिन ममता के विरोधियों को इस कवायद से कुछ खास फर्क पड़ता नहीं दिख रहा है. भाजपा प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य से गुरुवार को कोलकाता में एक संवाददाता सम्मेलन में जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने संवाददाताओं के प्रश्न का जवाब देते हुए कहा, ‘जो ताकत का प्रयोग कर सकते हैं और बमों का भंडार रखते हैं, उन्हें ही अगले पांच वर्षों के लिए राज्य को लूटने के लिए पंचायत टिकट दिया जाएगा. पूरी पार्टी भ्रष्टाचार में डूबी हुई है.’
अपने भाजपा समकक्षों की तरह, प्रतिद्वंद्वी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेताओं ने भी इस कवायद को खारिज कर दिया.
सीपीएम नेता सुजान चक्रवर्ती ने दिप्रिंट से कहा, ‘यह टीएमसी द्वारा जनता के पैसे की बर्बादी के अलावा कुछ नहीं होगा. मैं टीएमसी को चुनौती देता हूं – यह उस पार्टी के लिए कुछ भी नहीं देगा जो अपने भ्रष्टाचार के टैग को नहीं छोड़ सकती है.’
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एक अभ्यास
पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, टीएमसी ने 2018 के पंचायत चुनावों में लड़ी गई 48,650 सीटों में से 16,814 सीटों पर जीत हासिल की और 9,217 निर्विरोध सीटों में से 3,059 सीटें हासिल कीं.
पार्टी ने 825 जिला परिषद सीटों में से 203 सीटें भी जीतीं.
इस चुनाव के लिए टीएमसी की जनमत प्रक्रिया के बारे में विवरण अभी भी स्पष्ट नहीं है. हालांकि, बुधवार को राज्य सचिवालय में बोलते हुए, ममता ने कहा कि टीएमसी का दो महीने का लंबा अभ्यास उत्तर बंगाल के दिनहाटा में शुरू होगा, जिसे भाजपा का गढ़ माना जाता है. इसके लिए अभिषेक 24 अप्रैल को कूच बिहार जाएंगे.
ममता ने कहा कि यह कवायद ग्रामीण स्तर पर आयोजित की जाएगी, जहां पार्टी के सदस्य, प्रभावशाली व्यक्ति करने वाले लोग और प्रत्येक ग्राम पंचायत के सार्वजनिक हितधारक मतदान करेंगे.
उन्होंने कहा, ‘राज्य भर में 60,000 से अधिक ग्रामीण बूथ हैं. जनता तय करेगी कि इन बूथों पर कौन उम्मीदवार होगा. अगर कोई मौजूदा मौसम की वजह से कार्यवाही या जनसभा में शामिल नहीं हो पाता है तो वह इस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अपने सुझाव दे सकता है.’
प्रतिद्वंद्वियों द्वारा इस कवायद को खारिज करने के बावजूद, कुछ विश्लेषक इसे एक ‘साहसिक कदम’ के रूप में देखते हैं, खासकर राज्य में भाजपा के बढ़ते प्रभाव के कारण. कोलकाता के उदयन बंदोपाध्याय ने दिप्रिंट को बताया, ‘त्रिस्तरीय ग्रामीण चुनाव के लिए उम्मीदवारों का चयन करने के लिए प्राइमरी आयोजित करना टीएमसी के लिए एक अत्यंत साहसिक कदम है. इसमें समय लग रहा है क्योंकि पार्टी समर्थन हासिल करने के लिए बड़े पैमाने पर प्रचार भी करेगी. मैं उस प्रक्रिया को देखने के लिए उत्सुक हूं जिसमें पार्टी इतने सारे उम्मीदवारों को चुनेगी.’
(संपादन: ऋषभ राज)
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