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Saturday, 2 November, 2024
होमराजनीति'पार्टी संविधान के खिलाफ है लोकसभा में पशुपति पारस को नेता बनाना', चिराग ने ओम बिरला को लिखा पत्र

‘पार्टी संविधान के खिलाफ है लोकसभा में पशुपति पारस को नेता बनाना’, चिराग ने ओम बिरला को लिखा पत्र

चिराग पासवान ने पार्टी के संविधान के अनुच्छेद 26 के हवाले से बताया है कि लोकसभा में हमारी पार्टी का नेता कौन होगा, यह तय करने का अधिकार केंद्रीय संसदीय बोर्ड का है.

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नई दिल्ली: एलजेपी नेता चिराग पासवान की औपचारिक तौर से लोकसभा में पार्टी संसदीय दल के नेता के तौर पर मान्यता खत्म करने और उनके चाचा पशुपति पारस को सदन में पार्टी का नेता बनाए जाने के बाद उन्होंने बुधवार को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिखा है. इसमें चाचा पशुपति कुमार पारस को लोकसभा में संसदीय दल का नेता चुने जाने को पार्टी संविधान के खिलाफ बताया गया है.

चिराग पासवान के पत्र के अनुसार उनकी पार्टी के संविधान के अनुच्छेद 26 के मुताबिक लोकसभा में हमारी पार्टी का नेता कौन हो यह तय करने का अधिकार केंद्रीय संसदीय बोर्ड को है. लिहाजा पशुपति कुमार पारस को लोकसभा में एलजेपी का नेता घोषित किया जाना हमारी पार्टी के संविधान के खिलाफ है.

यह आगे रिकार्ड में लाना है कि लोकसभा के इन सदस्यों को हमारी पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों ने पहले ही हटा दिया है.

पत्र में ऊपर 13.06.2021 के फैसले की समीक्षा करने और लोकसभा में लोक जनशक्ति पार्टी के नेता तौर पर चिराग पासवान के पक्ष में नया सर्कुलर जारी करने का अनुरोध किया गया है.

चिराग समर्थकों का प्रदर्शन

वहीं दूसरी तरफ लोक जनशक्ति पार्टी में मचे घमसाना के बीच चिराग पासवान के समर्थकों ने मंगलवार को पटना में पार्टी के प्रदेश मुख्यालय पर धावा बोल दिया और पशुपति कुमार पारस के खिलाफ नारेबाजी की.

ये है मामला

गौरतलब है कि सोमवार को पार्टी के संस्थापक दिवंगत राम विलास पासवान के छोटे भाई पशुपति कुमार पारस को सोमवार को लोकसभा में पासवान के बेटे चिराग के स्थान पर पार्टी के नेता के रूप में मान्यता दी गई.

लोजपा के छह में से पांच सांसदों ने रविवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात कर उन्हें एक पत्र सौंपा था जिसमें चिराग के स्थान पर पारस को पार्टी का नेता नियुक्त करने का अनुरोध किया गया था.

असंतुष्ट लोजपा सांसदों में प्रिंस राज, चंदन सिंह, वीणा देवी और महबूब अली कैसर शामिल हैं, जो चिराग के काम करने के तरीके से नाखुश हैं. इन नेताओं का मानना है कि नीतीश कुमार के खिलाफ लड़ने से प्रदेश की सियासत में पार्टी को नुकसान हुआ. कैसर को पार्टी का उप नेता चुना गया है.

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