नई दिल्ली: पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने नवजोत सिंह सिद्धू का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. सिद्धू ने कुछ दिनों पहले राज्य मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था. सिद्धू का लंबे समय से मुख्यमंत्री अमरिंदर से मतभेद चल रहा था और हाल ही में मंत्रिमंडल के पुनर्गठन में उनका विभाग बदल दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने पहले पार्टी नेता राहुल गांधी को और फिर अमरिंदर सिंह को अपना इस्तीफा सौंप दिया था. आम चुनाव के बाद से ही मुख्यमंत्री अमरिंदर सिहं और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच चल रहे मनमुटाव की खबरें आती रही थीं. सिंह लगातार नवजोत सिंह सिद्धू को नसीहत भी देते रहे थे और उन्हें पिछले दिनों नसीहत दी थी कि वह अपनी मर्जी से मंत्रालय का चयन नहीं कर सकते हैं. उन्होंने नसीहत देते हुए कहा था कि ‘कुछ अनुशासन होना चाहिए.’
अमरिंदर सिंह ने कहा था कि सिद्धू को बिजली जैसा महत्वपूर्ण विभाग दिया गया था, क्योंकि पंजाब बिजली संकट से जूझ रहा है और उन्हें काम करने मंत्री की हाथों-हाथ जरूरत थी. लेकिन लंबे विवाद के बाद अब मुख्यमंत्री ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. गौरतलब है कि सिद्धू ने पार्टी नेता राहुल गांधी को अपना इस्तीफा सौंप दिया था और उसे अपने ट्वीटर हैंडल पर भी लोड किया था. तब सीएम ने कहा था कि उन्हें सिद्धू का त्यागपत्र नहीं मिला है. ठीक उसी के बाद उन्हें भी उनके इस्तीफे की कॉपी मिली और रविवार को उन्होंने उसे स्वीकार कर लिया है. हालांकि, कैबिनेट फेरबदल के बाद अमरिंदर सिंह व सिद्धू के बीच मतभेद गहरा गए और सिद्धू ने 14 जुलाई को बिजली व नव एवं नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत मंत्रालय से इस्तीफा दे दिया. इस पोर्टफोलियो का उन्होंने प्रभार नहीं संभाला था.
सिद्धू के पूर्व विभाग से महत्वपूर्ण फाइलें गायब
कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के पूर्व विभाग से महत्वपूर्ण सरकारी फाइलें गायब हो चुकी हैं. इस बड़ी गड़बड़ी में एक फाइल मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के 1,144 करोड़ रुपये के लुधियाना सिटी सेंटर घोटाले से जुड़ी है. लोकल गवर्नमेंट डिपार्टमेंट की दूसरी गायब फाइलों में लुधियाना में कृषि भूमि पर अनधिकृत निर्माण से संबंधित शामिल है.
विजलेंस ब्यूरो ने पहले ही अमरिंदर सिंह, उनके बेटे रनिंदर सिंह व अन्य को लुधियाना सिंटी सेंटर घोटाले में क्लीन चिट दे दिया है. सिद्धू को 6 जून को लोकल गवर्नमेंट व पर्यटन व संस्कृति मामले के पोर्टफोलियो से हटा दिया गया और कैबिनेट फेरबदल में बिजली व नव एवं नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत मंत्रालय दिया गया. यह फेरबदल लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद किया गया था.