रायपुर: पिछले एक साल से राज्य स्तरीय चुनावों में भाजपा की हार का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. हार की इस कड़ी में राज्य में 15 साल शासन कर चुकी भाजपा को एक और झटका 3 फरवरी को सम्पन्न हुए पंचायत चुनाव के नतीजों ने दिया है. राज्य में 145 जनपद और 27 जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए हुए चुनाव के नतीजों से भाजपा की साख एक बार फिर उस वक्त कमजोर हुई जब कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी करीब 75 प्रतिशत ग्रामीण निकायों में अपना कब्जा जमाने में कामयाब रहे. इसे भाजपा की लाचारी कहें या फिर चुनावी जीत के लिए इच्छाशक्ति की कमी या लगातार मिल रही हार से पार्टी के नेताओं का पस्त होता हौसला.
ज्ञात हो कि कई पंचायतें ऐसी थी जहां भाजपा के जीते हुए सदस्यों की संख्या ज्यादा थी लेकिन जीत कांग्रेस प्रत्याशियों के हाथ लगी. छिटपुट हिंसक घटनाओं के बीच सत्ताधारी पार्टी को यह भारी भरकम जीत 110 जनपद और 20 जिला पंचायतों में मिली है. वहीं भाजपा समर्थित उम्मीदवार महज 34 जनपद और सात जिला पंचायतों पर अपना कब्जा जमाने में कामयाब रहें.
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भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि कांग्रेस की जीत भूपेश बघेल सरकार द्वारा अपनाई गई अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली, सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग, पंचायत सदस्यों की खरीद फरोख्त और उन्हें डरा धमकाकर अपने कब्जे में लेकर जुटाए गए बहुमत से हुई है. वहीं कांग्रेस ने इस आरोप को भाजपा की शर्मनाक हार से हो रही फजीहत से बचने का एक सहारा बताया है. कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि पिछले 14 महीनों में बघेल सरकार द्वारा किये गए कार्यों के कारण ही सत्तारूढ़ दल को इस दौरान हुए सभी राज्यस्तरीय चुनावों में लगातार जीत हासिल हुई है.
पार्टी का यह भी कहना है कि भाजपा के आरोप ‘निराधार’ हैं क्योंकि नगरीय निकाय चुनाव में मिली करारी हार के बाद उनके नेताओं ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए जनता में भ्रम फैलाने का प्रयास किया और साथ ही यह दावा किया कि उन्हें पंचायत चुनावों में भारी सफलता मिलने जा रही है.
कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि कई जनपदों में तो भजपा के बड़े नेताओं ने पार्टी द्वारा समर्थित सदस्यों की संख्या अच्छी तादात में होने के बावजूद भी मेहनत करना उचित नही समझा और नतीजा कांग्रेस प्रत्याशियों के पक्ष में गया.
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दिप्रिंट द्वारा संपर्क करने पर पीसीसी अध्यक्ष और पार्टी विधायक मोहन मरकाम ने कहा ‘पहले नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस की एक तरफा जीत हुई और अब ग्रामीण मतदाताओं ने भी 27 में 20 जिला पंचायत में कांग्रेस के प्रत्याशियों को विजयी बनाया हैं. राज्य के 145 जनपद पंचायत के चुनाव हुए जिनमे 110 में कांग्रेस को जीत मिली है. यह जीत छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली 14 महीने की सरकार के कार्यक्रमों और कांग्रेस पार्टी की नीतियों पर ग्रामीण जनता की भी मुहर है.’
मरकाम ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी किसानों के नाम पर प्रोपेगेंडा करती है, दुष्प्रचार करती है. ग्रामीण क्षेत्रों में भी भारतीय जनता पार्टी पर जनता ने विश्वास नहीं किया.
भाजपा में गंभीरता की कमी
पंचायत चुनावों में भाजपा की हार के लिए पार्टी के बड़े नेता भी दोषी माने जा रहे हैं. जनपद और जिला पंचायत दोनों ही चुनावों में भाजपा के बड़े नेता जिन्हें पार्टी ने 15 सालों तक शासन करने का मौका दिया गंभीर नहीं दिखे. स्वयं भाजपा के नेता यह मानते हैं कि यदि बड़े नेताओं ने गंभीरता दिखाई होती तो पार्टी के कब्जे में इससे कहीं ज्यादा ग्रामीण निकायों पर अपना कब्जा जमा सकती थी.
भाजपा की हार को लेकर कुछ इसी प्रकार की धारणा कांग्रेस के नेताओं में भी है. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने अपना नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि 2020 के चुनाव में ऐसी कई जनपद पंचायतें थी जहां भाजपा समर्थित सदस्यों की संख्या कांग्रेस की अपेक्षा काफी ज्यादा थी लेकिन विपक्षी दल के नेताओं की सक्रियता और नेतृत्व के संग्रक्षण के अभाव में उसके चुने हुए सदस्यों ने कांग्रेसी प्रत्याशियों का साथ दिया.
कांग्रेस के नेता और पार्टी के धरसीवां विधानसभा सीट में पड़ने वाली पंचायतों के कॉर्डिनेटर संजय ठाकुर कहते हैं, ‘लगता है भाजपा के नेताओं ने अपनी हार चुनाव से पहले ही मान ली थी. विपक्ष का कोई बड़ा नेता पंचायत चुनावों में सक्रिय नही दिखा जिससे यह कहा जा सके कि भाजपा चुनावी संघर्ष में है.’
हार का ठीकरा कांग्रेस के सिर
वरिष्ठ भाजपा नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने माना कि हाल में राज्य में सम्पन्न हुए पंचायत चुनावों के नतीजे उनके पार्टी की उम्मीद के अनुरूप नही हैं लेकिन इसका ठीकरा उन्होंने सत्ताधारी दल पर फोड़ा.
कौशिक ने दिप्रिंट से विशेष बातचीत में कहा, ‘कांग्रेस ने जिस तरह सत्ता का दुरुपयोग किया है, जैसे तमाम लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को धता बताकर, डरा धमकाकर, प्रशासनिक दुरुपयोग कर अध्यक्षों का चुनाव कराया है.’
वह आगे कहते हैं, ‘सत्तारूढ़ दल के नेताओं ने चुने हुए शासकीय कर्मचारी, परिवार या व्यवसाय से जुड़े जिला और जनपद पंचायत सदस्यों का भयादोहन किया है लेकिन उसके बावजूद भाजपा समर्थित प्रत्याशी बड़ी संख्या में जीत कर आए हैं.’
उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेसी कुनीतियों और सत्ता के दुरुपयोग का अपना ही कांग्रेसी रिकार्ड तोड़ देने के बावजूद जिला एवं जनपद पंचायतों सदस्यों के चुनाव में लगभग आधी सीटों पर कब्जा करने में भाजपा समर्थित प्रत्याशी ‘सफल’ रहे हैं.
कौशिक के अनुसार जिला पंचायतों में 170 से अधिक सीटों पर और जनपद पंचायतों में 1300 भाजपा समर्थित प्रत्याशी जीते हैं.