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Thursday, 25 April, 2024
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‘केंद्र सरकार जाति जनगणना को नफरत की नजर से देख रही’, लालू यादव बोले- जाति जाने बिना नीतियां नहीं बन सकती

इससे पहले पटना हाईकोर्ट ने जातियों के आधार पर सर्वेक्षण कराने के नीतीश कुमार सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था.

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नई दिल्ली: राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने शनिवार को कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार बिहार में हाल ही में हुई जाति जनगणना को नफरत की नजर से देख रही है.

पटना में एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए, लालू प्रसाद यादव ने कहा, “हमने हाल ही में जाति जनगणना की. केंद्र सरकार जाति जनगणना को नफरत की नजर से देख रही है. किसी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति और जाति से परिचित हुए बिना नीतियां कैसे बनाई जा सकती हैं?”

इस अवसर पर, लालू यादव ने ‘कास्ट प्राइड’ नामक पुस्तक का विमोचन किया, जिसके लेखक मनोज मित्ता हैं.
इससे पहले बिहार सरकार ने 18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि 6 अगस्त तक बिहार में जाति जनगणना का सर्वेक्षण कराने की कवायद की गई थी.

बिहार सरकार के वकील की दलील पर पलटवार करते हुए याचिकाकर्ता के वकील ने शीर्ष अदालत से आग्रह किया कि वह जाति सर्वेक्षण के नतीजों के प्रकाशन पर रोक लगाने की मांग करें.

लेकिन न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि वह सर्वेक्षणों पर तब तक रोक नहीं लगाएगी जब तक कि प्रथम दृष्टया ऐसा कोई मामला न हो जिसमें इस तरह की रोक लगाने की आवश्यकता हो.

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याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि बिहार जाति सर्वेक्षण एक कार्यकारी आदेश के आधार पर किया गया था और यह नहीं किया जा सकता है.

सर्वेक्षण को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता ने दावा किया कि केंद्र के पास भारत में जनगणना करने का अधिकार है और राज्य सरकार के पास बिहार राज्य में जाति-आधारित सर्वेक्षण के संचालन पर निर्णय लेने और अधिसूचित करने का कोई अधिकार नहीं है.

बिहार सरकार द्वारा आदेशित जाति सर्वेक्षण को बरकरार रखने वाले पटना हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में विभिन्न याचिकाएं दायर की गईं.

इससे पहले पटना हाईकोर्ट ने जातियों के आधार पर सर्वेक्षण कराने के नीतीश कुमार सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था.

सर्वेक्षण में सभी जातियों, उपजातियों के लोगों, सामाजिक-आर्थिक स्थिति आदि से संबंधित आंकड़े एकत्र किये जायेंगे.
जाति जनगणना का निर्णय बिहार कैबिनेट ने पिछले साल 2 जून को लिया था, जिसके महीनों बाद केंद्र ने जनगणना में इस तरह की कवायद से इनकार कर दिया था. सर्वेक्षण में 38 जिलों में अनुमानित 2.58 करोड़ घरों में 12.70 करोड़ की अनुमानित आबादी को कवर किया जाएगा, जिसमें 534 ब्लॉक और 261 शहरी स्थानीय निकाय हैं.


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