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Saturday, 4 May, 2024
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आईबी के ज़रिये आलोक वर्मा की जासूसी कराकर सरकार और नीचे गिर गई: कांग्रेस

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पार्टी ने कहा, सरकार ने वर्मा को गैरकानूनी ढंग से हटाकर एक ऐसे अधिकारी को सीबीआई का प्रभार सौंपा है जिसका रिकॉर्ड संदिग्ध है.

नई दिल्ली: आलोक वर्मा के आवास से इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के चार संदिग्धों के पकड़े जाने के बाद गुरुवार को कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आईबी, सीबीआई की राह पर आगे बढ़ रही है. सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा को सरकार ने एक दिन पहले जबरन छुट्टी पर भेज दिया था.

कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, ‘सीबीआई को ‘सेंट्रल ब्यूरियल ऑफ इंवेस्टिगेशन’ बनाने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार अब छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई के निदेशक की आईबी के जरिए जासूसी कराकर एक पायदान और नीचे गिर गई है.’

सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, ‘सभी को आगाह कर दें- आईबी, सीबीआई की राह पर आगे बढ़ रही है.’

सूत्रों के अनुसार, गुरुवार सुबह आलोक वर्मा के निजी सुरक्षा गार्डों ने आईबी के चार संदिग्धों को दबोच लिया.

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सीबीआई में कथित घूसकांड के बीच शीर्ष अधिकारियों के बीच टकराव की स्थिति के बीच बुधवार को केंद्र सरकार ने आलोक वर्मा और सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया था।

वर्मा को हटाना गैरकानूनी

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने वर्मा को छुट्टी को भेजे जाने को शर्मनाक बताते हुए कहा, ‘प्रधानमंत्री ने वर्मा को उस ढंग से हटाया, जिसका उन्हें अधिकार ही नहीं है. वर्मा को सरकार ने गैरकानूनी ढंग से हटाया है. उन्हें हटाने के लिए चयन समिति की बैठक होनी चाहिए जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश भी होते हैं.’

वहीं वरिष्ठ कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ’13 अधिकारियों का स्थानांतरण करते हुए, कई वरिष्ठ अफसरों को दरकिनार करके एक ऐसे अफसर को सीबीआई का प्रभार दे दिया गया है जिसका खुद का रिकॉर्ड संदिग्ध है.’

उन्होंने सवाल उठाया कि ‘सीबीआई सीधे प्रधानमंत्री की देखरेख में चलती है. रात को एक अधिकारी को गैरकानूनी ढंग से हटाना, सुबह उनकी जासूसी करवाना अराजकता की निशानी है. क्या उस विभाग की कोई जवाबदेही नहीं है जो सीधे प्रधानमंत्री की देखरेख में चलता है?’

(समाचार एजेंसी आईएएनएस से इनपुट के साथ)

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