नई दिल्ली: एक विशाल आउटरीच कार्यक्रम की रूपरेखा बनाते हुए भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के नेताओं से कहा है कि वो आगे बढ़कर खापों, किसानों तथा पंचायतों से मिलकर कृषि कानूनों के बारे में ‘गलतफहमियां’ दूर करें और इस मुद्दे पर पार्टी के रुख को स्पष्ट करें.
पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के पार्टी नेताओं से मुलाकात की और कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन और आगे की रणनीति पर चर्चा की.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और कृषि राज्य मंत्री संजीव बालियान, जो मुज़फ्फरनगर से सांसद भी हैं, दोनों इस बैठक में शामिल हुए. पार्टी के एक अंदरूनी सूत्र ने कहा कि बीजेपी की ये बैठक तब हुई, जब किसान हरियाणा, पश्चिमी यूपी और राजस्थान के कुछ हिस्सों में सिलसिलेवार महापंचायतें कर चुके थे.
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) प्रवक्ता राकेश टिकैत, मंगलवार को ऐसी ही एक महापंचायत में शरीक हुए.
पार्टी सूत्रों ने कहा कि बीजेपी ने सांसदों, मंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं से कहा है कि आगे बढ़कर अपने इलाकों में आंदोलनकारी किसानों खासकर जाट समुदाय से संपर्क स्थापित करें, उन्हें पार्टी के रुख से अवगत कराएं और बताएं कि पार्टी क्या बदलाव करने को तैयार है.
एक दूसरे बीजेपी नेता ने दिप्रिंट से कहा, ‘हमें विशेष निर्देश दिए गए हैं कि खापों और पंचायतों से संपर्क स्थापित करें, और उन्हें तीन कृषि कानूनों से अवगत कराएं, ये बताएं कि सरकार और पार्टी क्या करती रही है और ये भी बताएं कि सरकार अभी भी बातचीत के लिए तैयार है’.
सूत्रों ने कहा कि बीजेपी का किसान मोर्चा भी विशिष्ट आउटरीच कार्यक्रम चलाएगा और ज़िला तथा ग्राम स्तरों पर बैठकें आयोजित करेगा.
उन्होंने ये भी कहा कि पंजाब, हरियाणा, पश्चिम यूपी और राजस्थान के कुछ हिस्सों से प्रमुख नेताओं को मीटिंग के लिए बुलाया गया था क्योंकि इन इलाकों से कृषि विरोध प्रदर्शनों में ज़्यादा भागीदारी देखी गई है.
दिप्रिंट से बात करने वाले एक और नेता ने कहा, ‘अमित शाह जी ने कहा कि विपक्ष देश को पीछे ले जाना चाहता है, इसलिए देश हित को ध्यान में रखते हुए, हर किसी को ज़मीन पर काम करना है, ताकि गांव और जाट समाज अलग न हों और हमारे साथ बने रहें. अगले 10-15 दिनों के लिए हर किसी को खापों और किसानों के संपर्क में रहना है. आंदोलनकारियों को मिल रहे जन समर्थन को हमें खत्म करना है’.
बैठक में क्षेत्र के सांसदों और विधायकों के अलावा, सत पाल सिंह (बागपत सांसद) और हरियाणा से कृष्ण पाल तथा ओम प्रकाश धनखड़ जैसे अन्य वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे.
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‘खापों को विश्वास में लेना होगा’
पार्टी सूत्रों के अनुसार, शाह ने नेताओं से कहा कि विरोध प्रदर्शनों की प्रकृति, पूरी तरह राजनीतिक है और इसका किसानों से कोई लेना-देना नहीं है.
ऊपर हवाला दिए गए दूसरे नेता ने कहा, ‘अमित शाह जी ने कहा कि ये आंदोलन पूरी तरह राजनीतिक है. इसका किसानों से कोई वास्ता नहीं है. ज़रूरत इस बात की है कि किसानों, खासकर जाट समाज के पास जाया जाए और उन्हें पार्टी के रुख से अवगत कराया जाए और ये भी बताया जाए कि हम इन्हें (तीन कानून) स्थगित करने को तैयार हैं. अगले 3-4 दिन में एक योजना तैयार की जाएगी. ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचने के लिए खापों को विश्वास में लेना होगा’.
अगले साल उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए सत्तारूढ़ बीजेपी कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती. कहा जा रहा है कि पार्टी को फीडबैक मिला है कि अगर आंदोलन जल्दी समाप्त नहीं होता, तो ज़मीनी हालात और ज़्यादा बिगड़ सकते हैं.
एक पार्टी पदाधिकारी ने कहा, ‘टिकैत का प्रभाव बढ़ रहा है, जो निश्चित ही एक चिंता का विषय है. साथ ही किसान नेताओं और सरकार के बीच बातचीत बंद हो गई है. अगर ऐसा ही चलता रहा तो विपक्ष यकीनन, मौके का फायदा उठाकर उन्हें गुमराह करने की कोशिश करेगा. जाट समाज ने यूपी में हमारी पार्टी के विकास में अहम रोल अदा किया था और हम उनका दूर जाना सहन नहीं कर सकते’.
विपक्ष इस मुद्दे को पहले ही उठा चुका है और समाजवादी पार्टी तथा राष्ट्रीय लोक दल दोनों, आंदोलनकारी कृषक समदायों की ओर हाथ बढ़ा रहे हैं.
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