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Monday, 1 July, 2024
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उपचुनाव में छत्तीसगढ़ के मरवाही से अमित जोगी का नामांकन रद्द होने से BJP में जगी उम्मीद

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बेटे अमित का कथित फर्जी प्रमाण पत्र बताकर उपचुनाव के लिए भरा गया नामांकन रद्द कर दिया है.बता दें कि 20 साल से जोगी परिवार का गढ़ रही है मरवाही सीट.

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रायपुर: छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी का नामांकन रद्द होने और मरवाही उपचुनाव से उनकी बेदखली ने भाजपा को 20 साल बाद इस क्षेत्र से अपना वनवास तोड़ने की उम्मीद जगा दी है. पार्टी नेताओं का मानना है कि अमित जोगी सत्ताधारी दल कांग्रेस को हराने के लिए भाजपा को समर्थन देंगे.

भाजपा नेताओं ने यह माना कि मरवाही विधानसभा पिछले 20 सालों में अजीत जोगी परिवार का गढ़ रहा है जहां नवंबर 2000 में राज्य बनने के बाद सभी पांच चुनाव परिवार के सदस्यों ने अपने ही दम पर जीता है. इस बात का सबूत 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से अलग होकर अजीत जोगी ने करीब 40,000 वोटों से जीत दर्ज की थी.

भाजपा नेताओं ने अनौपचारिक तौर पर दिप्रिंट से यह साफ कहा कि जिन हालातों में अमित जोगी का नामांकन रद्द हुआ है उसको देखते हुए यह साफ है कि वे कांग्रेस प्रत्याशी की हार के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं.

भाजपा के प्रदेश महामंत्री भूपेंद्र सवन्नी ने दिप्रिंट से कहा, ‘निश्चित रूप से अमित जोगी और उनकी पत्नी के साथ जो हुआ उससे मरवाही की जनता में काफी गुस्सा है. भाजपा को मरवाही की जनता के आक्रोश का पूरा फायदा मिलने वाला है.’

उन्होंने कहा कि हमारे उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित है और बीस साल बाद मरवाही में एक बार फिर कमल खिलेगा. उनके अनुसार कांग्रेस पार्टी के अंदर भी स्थानीय प्रत्याशी न होने के कारण असंतोष है जिसका फायदा भाजपा को वोटिंग के दिन मिलेगा.


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‘जनता बदला लेगी’

विपक्षी नेताओं के अनुसार जोगी की इस लड़ाई में भाजपा से ज्यादा मजबूत कोई और साथी उन्हें नहीं मिल सकता. हालांकि जोगी ने नामांकन रद्द होने के बाद अपना पत्ता अभी तक नहीं खोला है.

नामांकन रद्द होने पर अमित जोगी ने दिप्रिंट को बताया कि कांग्रेस और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से जनता उनके साथ हुए बर्ताव का बदला लेगी.

उन्होंने कहा, ’16 अक्टूबर को रातोंरात उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति ने मेरा जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया. इसकी खबर मुझे छोड़ बाकी सबको थी.’

जोगी ने कहा कि निर्वाचन अधिकारी से मैंने अपना पक्ष रखने के लिए समय मांगा लेकिन वह भी नहीं मिला. मुख्यमंत्री के आदेश से उन्होंने मेरा नामांकन रद्द कर दिया.

उन्होंने कहा, ‘यह मरवाही की जनता का अपमान है. अपनी पूरी ताकत झोंक देने के बाद बस यही वो हथकंडा था जिससे मुख्यमंत्री अपनी पराजय को टाल सकते थे. देश संविधान से चलता है, बदलापुर और जोगेरिया से नहीं. वो सोचते हैं कुश्ती अकेले लड़ेंगे और खुद ही जीतेंगे. जनता को इतना बेबस और बेवकूफ नहीं समझना चाहिए.’


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भाजपा की नज़रें जोगी पर

भाजपा नेताओं का दावा है कि मुख्यमंत्री और कांग्रेस पार्टी से लोहा लेने के लिए उनको भगवा ब्रिगेड का सहारा लेना पड़ेगा.

भाजपा के एक बड़े नेता का कहना है, ‘इस दिशा में पार्टी के कुछ नेता चाहते हैं की जोगी की तरफ पहल हो और फिर वे बात आगे बढ़ाएंगे. मरवाही में जोगी परिवार का जनाधार बड़ा है और कांग्रेस के प्रति उनके गुस्से का फायदा उठाना चाहिए.’

विपक्षी नेताओं के अनुसार अमित जोगी पिछले कई दिनों से अपनी जाति की लड़ाई सरकार और मुख्यमंत्री से लड़ रहे थे जिसे वे शानिवार को हार गए. भूपेश बघेल सरकार ने तो उनको जनजातीय समुदाय का मानने से अगस्त 2019 में इनकार कर दिया था जब अजीत जोगी जीवित थे और मरवाही के तत्कालीन विधायक भी थे. लेकिन शानिवर 17 अक्टूबर को चुनाव आयोग ने भी उनका नामांकन रद्द कर इस पर अपनी मुहर लगा दी है.

दिप्रिंट से बात करते हुए विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने बताया, ‘मरवाही में भाजपा संगठन हमेशा ही मजबूत रहा है जो पिछले पांच चुनावों के नतीजों से साफ जाहिर है. हम सभी चुनावों में उपविजेता रहे हैं. लेकिन इस बार चुनावी परिस्थितियां यहां बदल गईं हैं.’

उन्होंने कहा, ‘1998 के बाद हम इस बार फिर यह सीट जीतने की स्थिति में हैं. अमित जोगी का नामांकन पत्र रद्द कराने में कांग्रेस की अलोकतांत्रिक व राजनीतिक दुराग्रह से भारी सोच थी जिसका फायदा भाजपा को मिलेगा.’

कौशिक ने आगे कहा, ‘जोगी जब कांग्रेस में होते हैं तो वे आदिवासी रहते हैं लेकिन कांग्रेस से बाहर जाते ही आदिवासी नहीं रह जाते. अब कांग्रेस को बताना होगा कि इस तरह की दोहरी राजनीति कर वह जनता को कब तक ठगती रहेगी. संकीर्ण राजनीतिक नज़रिये के चलते कांग्रेस जनादेश को हड़पने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है.’

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा, ‘जोगी परिवार के सदस्य ने 2018 को छोड़कर मरवाही चुनाव हमेशा कांग्रेस के टिकट पर लड़ा. भाजपा दूसरे नंबर पर ही रही. विधानसभा चुनाव 2018 में जब अजीत जोगी ने कांग्रेस से अलग होकर लड़ा हम उस वक्त भी दूसरे नंबर पर थे और कांग्रेस का प्रत्याशी तीसरे नंबर पर था.’

उन्होंने कहा, ‘जोगी परिवार के साथ जो व्यवहार सरकार ने किया है उसका फायदा भाजपा को ही मिलेगा. उनके समर्थकों में रोष है जिसके चलते वे कांग्रेस को हराना चाहते हैं.’

गौरतलब है कि मरवाही सीट अजीत जोगी के जून में मृत्यु होने के कारण खाली हुई है जहां 3 नवंबर को वोट डाले जाएंगे.


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जो काम वे 15 साल नही कर पाए हमने 18 महीने में कर दिया-मुख्यमंत्री बघेल

अमित जोगी और ऋचा के नामांकन रद्द किये जाने के मामले पर बोलते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि 2003 में भाजपा ने राज्य का पहला विधानसभा चुनाव अजीत जोगी के खिलाफ नकली आदिवासी के मुद्दे पर लड़कर सत्ता हासिल किया था.  लेकिन जाति प्रमाणपत्र की जांच में डॉक्टर रमन सिंह 15 साल लगा दिए.

मुख्यमंत्री ने कहा,’सब जानते हैं कि इनकी जुगलबंदी किस प्रकार रही है. जो काम वे 15 साल में नही कर पाए, हमने 18 महीने में कर दिया. अब फैसला आया है तो भाजपा को इसका स्वागत करना चाहिए.’ बघेल पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के उस बयान जा जवाब दे रहे थे जिसमें उन्होंने कहा था कि अमित और ऋचा जोगी के जाति प्रमाणपत्र निरस्त किया जाना बघेल सरकार का षडयंत्र था.

कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता विकास तिवारी कहते हैं, ‘मरवाही विधानसभा कांग्रेस पार्टी की परंपरागत सीट रही है. उपचुनाव भूपेश बघेल सरकार द्वारा यहां कराए जा रहे विकास कार्यों पर लड़कर जीतेंगे. हमारी सरकार ने मरवाही को जिला बनाया और अब 300 करोड़ से ज्यादा के विकास कार्य किये जा रहे हैं.’

तिवारी के अनुसार, ‘अमित जोगी भाजपा की बी टीम का हिस्सा थे. लोकतंत्र में अगर किसी व्यक्ति के पास फर्जी जाति प्रमाण पत्र है तो वह आदिवासी आरक्षित सीट पर चुनाव कैसे लड़ सकता है.’

बता दें कि मरवाही विधानसभा से भाजपा को अंतिम जीत 1998 में एकीकृत मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव के दौरान मिली थी. लेकिन राज्य बनने के बाद भाजपा के तत्कालीन विधायक रामदयाल उइके ने प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी के पक्ष में पार्टी और विधायकी से इस्तीफा दे दिया था.

2001 में जोगी ने उपचुनाव जीता और उसके बाद मरवाही में जोगी परिवार का दबदबा लगातार बना रहा. 2003, 2008, 2013 और 2018 के विधानसभा चुनावों में यह सीट जोगी परिवार के पास ही रही.

इस उपचुनाव में दोनों प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवार पेशे से डॉक्टर हैं. कांग्रेस के उम्मीदवार ध्रुव ने चुनाव लड़ने के लिए हाल ही में सरकारी नौकरी से इस्तीफा दिया है. भाजपा के प्रत्याशी गंभीर सिंह एक निजी अस्पताल चलाते हैं.


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