नई दिल्ली: जैसे-जैसे हरियाणा में विधानसभा चुनाव नज़दीक आ रहे हैं वैसे वैसे राज्य में सियासी सरगर्मियां बढ़ती जा रही हैं इन चुनावों में बहुजन समाज पार्टी ने अकेले मैदान में उतरने का फैसला किया है इसके पहले राज्य में कांग्रेस और बसपा के बीच चुनाव पूर्व गठबंधन के अनुमान लगाए जा रहे थे.
बहुजन समाज पार्टी के नेता सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि हरियाणा कि सभी 90 विधानसभा सीटों पर पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी और उन्होंने यह भी कहा बसपा कांग्रेस या किसी अन्य पार्टी से गठबंधन नहीं करेगी.
Satish Chandra Misra, Bahujan Samaj Party (BSP) Rajya Sabha MP: BSP will contest alone on all 90 seats in the upcoming Haryana Assembly elections. We will not have alliance with Congress or anybody else. pic.twitter.com/NAOsHhv46L
— ANI (@ANI) September 9, 2019
प्रदेश में कांग्रेस और बसपा के बीच चुनाव पूर्व गठबंधन के अनुमान लगाए जा रहे हैं. समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक बसपा और कांग्रेस के नेताओ के बीच आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर बैठक हुई थी. रविवार रात लगभग आधे घंटे चली. इस बैठक में कांग्रेस के बड़े नेता भी मौजूद रहे.
आईएएनएस के मुताबिक यह बैठक बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो द्वारा पिछले सप्ताह भारतीय राष्ट्रीय लोक दल (आईएनएलडी) से अलग होकर दुष्यंत चौटाला की अगुआई में बने जननायक जनता पार्टी (जजपा) से चुनाव पूर्व गठबंधन तोड़ने के बीच हुई है. दुष्यंत चौटाला ओम प्रकाश चौटाला के पोते हैं.
जेजेपी ने बसपा, उनके नेतृत्व, कार्यकर्ताओं और समर्थकों को ताकत देने में यकीन किया और उन्हें 40 सीटें का प्रस्ताव तक दिया। हमारी इच्छा बहुजन समाज को राजनीतिक ताकत देने की रही और हम इसे आगे भी हमेशा जारी रखेंगे।
— Dushyant Chautala (@Dchautala) September 6, 2019
जजपा ने बसपा को 40 सीटों पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया था, जिसे बसपा ने ठुकरा दिया.
गठबंधन खत्म करने की घोषणा करते हुए मायावती ने कहा कि सीट-बंटवारे के मामले में प्रस्तावित समझौते में चौटाला की मांग अनुचित थी.
इधर भाजपा ने विधानसभा चुनाव को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली रोहतक में आयोजित की. सार्वजनिक सभा में ना सिर्फ मोदी सरकार 2.0 के 100 दिनों का रिपोर्ट कार्ड पेश किया, बल्कि भ्रष्टाचार और वंशवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए मनोहर लाल खट्टर की सरकार की भी प्रशंसा की.
जहां मुख्य विपक्षी आईएनएलडी के ज्यादातर विधायकों और नेताओं के भाजपा में शामिल होने के बाद उसकी ताकत कम हो गई है, वहीं राज्य में 2014 तक लगातार दो बार सरकार बनाने वाली कांग्रेस में अंदरूनी कलह जारी हैं.
पहली बार विधायक बने खट्टर राज्य में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री हैं और उनका लक्ष्य चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन को सुधारकर 48 से ज्यादा सीटें दिलाना होगा.
(समाचार एजंसी आईएएनएस इनपुट के साथ.)