नई दिल्ली: कर्नाटक की राजनीति में येदियुरप्पा की अहमियत का अंदाज़ा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि सक्रिय राजनीति की 75 साल की बीजेपी की कटऑफ सीमा को पार कर चुके 76 वर्षीय बीएस येदियुरप्पा को चौथी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री की कमान सौंपी गई है. येदियुरप्पा ने शुक्रवार को चौथी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्रीपद की शपथ ली. इससे पहले सदानंद गौडा, जगदीश शेट्टर को मुख्यमंत्री बनाने का बीजेपी का राजनैतिक प्रयोग चला नहीं है और हर बार चुनाव के समय कर्नाटक जीतने के लिए बीजेपी को लिंगायत समुदाय के सबसे बड़े नेता येदियुरप्पा के दरवाज़े पर दस्तक देनी पड़ी .यह अलग बात है कि येदियुरप्पा तीनों बार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए.
क्यों कर्नाटक की राजनीति में येदियुरप्पा हैं बीजेपी के पहले और अंतिम ब्रह्मास्त्र
कर्नाटक की राजनीति में लिंगायतों की येदियुरप्पा के प्रति वफ़ादारी का नतीजा ही है कि 2015 में सिद्धारमैया की लिंगायतों को अल्पसंख्यक दर्जें देने का लॉलीपॉप देने के बाद भी लिंगायतों ने येदियुरप्पा का साथ नहीं छोड़ा और येदियुरप्पा के नेतृत्व में लड़े गए 2018 के विधानसभा चुनाव में 104 सीट और लोकसभा की 28 सीटों में से 25 सीटें येदियुरप्पा ने मोदी की झोली में डाली. कर्नाटक की राजनीति में येदियुरप्पा के साथ खड़ा लिंगायत समुदाय 224 सीटों में से 120 सीटों पर वीरशैव के साथ मिलकर चुनाव को किसी दिशा में मोड़ने की क्षमता रखता है.
वोक्कालिगा समुदाय और लिंगायत के बीच बटी कर्नाटक की राजनीति में येदियुरप्पा के कारण लिंगायत वोट बीजेपी को मिलता रहा है. वोक्कालिगा समुदाय वोट बैंक देवगौड़ा परिवार के साथ खड़ा रहा है. येदियुरप्पा की ताक़त 17 प्रतिशत का बड़ा लिंगायत वोट बैंक है. जिसे बीजेपी कभी नज़रअंदाज़ नहीं कर सकती और सच यह हैं कि कर्नाटक में बीजेपी के पास येदियुरप्पा से बड़ा कोई नेता भी नहीं है.
क्यों बीजेपी हाईकमान को बार-बार येदियुरप्पा के सामने झुकना पड़ा
2008 में येदियुरप्पा जब पहली बार मुख्यमंत्री बने तो थोड़े समय के भीतर ही अनंत कुमार के नेतृत्व में चलने वाली कर्नाटक बीजेपी की दूसरी लॉबी ने येदियुरप्पा के खिलाफ बग़ावत की शुरूआत कर दी. 39 महीने के भीतर मुख्यमंत्री रहे येदियुरप्पा का नाम जब लोकायुक्त की जांच में आया, तो बीजेपी संसदीय बोर्ड ने उनसे इस्तीफा ले लिया .अनंत कुमार ने आडवाणी के सहयोग से जगदीश शेट्टर को नया मुख्यमंत्री बनाने की पूरी कोशिश की , तब के बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी को अरूण जेटली और राजनाथ सिंह को भेजकर विधायकों के बीच गुप्त मतदान कराना पड़ा जिसमें येदियुरप्पा के उम्मीदवार और वर्तमान में केन्द्रीयमंत्री सदानंद गौड़ा को सबसे ज्यादा वोट मिले. बीजेपी हाईकमान को येदियुरप्पा की पसंद सदानंद गौड़ा को मजबूरन मुख्यमंत्री बनाना पड़ा.
दूसरी बार बीजेपी ने येदियुरप्पा से फिर पंगा लिया और मुंह की खाई
2012 में लोकायुक्त जांच का सामना कर रहे येदियुरप्पा 2013 में होने वाले विधानसभा चुनाव की कमान अपने हाथ में लेने के लिये बीजेपी हाईकमान पर दवाब डाल रहे थे, पर बीजेपी हाईकमान ने येदियुरप्पा को काटने के लिए विकल्प के रूप में अनंत कुमार के करीबी दूसरे लिंगायत नेता जगदीश शेट्टर को सदानंद गौड़ा की जगह मुख्यमंत्री बना दिया .
उसी दौरान येदियुरप्पा के घर पर छापे भी पड़े. इन सबसे परेशान येदियुरप्पा ने बीजेपी छोड़कर क्षेत्रीय पार्टी बना ली नतीजा यह हुआ कि 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी सत्ता से बाहर हो गई .सत्ता से बाहर होने के बाद बीजेपी को येदियुरप्पा की ताक़त का अहसास हुआ. जब 2014 के लोकसभा चुनाव का नेतृत्व करने के लिए बीजेपी संसदीय बोर्ड ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को कमान सौंपी तो सबसे पहला काम मोदी ने येदियुरप्पा की बीजेपी में वापसी कराकर पूरी की और येदियुरप्पा ने मोदी के लिए सबसे महत्वपूर्ण लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार होते हुए भी 17 लोकसभा सीटें दिलाकर मोदी को दिल्ली पहुंचाने में मदद की. तब से मोदी और येदियुरप्पा की कमेस्ट्री में कोई बदलाव नहीं आया है .
यह येदियुरप्पा की ताक़त ही है कि वंशवाद के खिलाफ मुखर बीजेपी के बाद भी येदियुरप्पा का पूरा परिवार राजनीति में हैं, बड़ा बेटा राघवेन्द्र लोकसभा में सांसद है तो छोटा बेटा विजेन्द्र राज्य में विधायक और येदियुरप्पा की मित्र शोभा कारंलादेज लोकसभा सांसद हैं. कर्नाटक की राजनीति में अपनी अंतिम पारी खेल रहें येदियुरप्पा के सामने चुनौती है कि वे 39 महीने के सरकार का अपना रिकार्ड तोड़कर चार साल स्थायी सरकार चलाएं जो बाग़ी विधायकों की महत्वकांक्षा और बेहद कम बहुमत के साथ बेहद मुश्किल हो सकता है पर येदियुरप्पा के साथ पीएम मोदी हैं और राज्य में उनके सामने चुनौती देने वाला कोई बड़ा नेता नहीं है.