नई दिल्ली: 2022 के विधानसभा चुनाव परिणामों के शुरुआती रुझान बताते हैं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में अपनी सत्ता बरकरार रखने के लिए तैयार है, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब में ऐतिहासिक जीत की ओर बढ़ रही है. मणिपुर और गोवा में भी बीजेपी अब तक सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर रही है.
एक वैश्विक महामारी, जिसमें हजारों लोगों की जान चली गई और लोगों को भारी आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, तथा साथ ही साल भर चलने वाले किसानों के आंदोलन की पृष्ठभूमि में आने वाले ये परिणाम ‘ब्रांड मोदी’ के फिर से हुए सत्यापन के रूप में सामने आए है.
हालांकि, भाजपा जिन चार राज्यों में आगे चल रही है वहां चुनाव से पहले उसके ही मुख्यमंत्री थे, फिर भी प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ही पार्टी का असल चेहरा रहे. यह जीत विधानसभा चुनावों पर उनके प्रभाव के बारे में किसी शक-सुबहे को भी दूर करता है.
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यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इतिहास रच दिया है और पूरे पांच साल का कार्यालय पूरा करने के बाद भी सत्ता बरकरार रखने वाले राज्य के एकमात्र मुख्यमंत्री बन गए हैं. साल 1985 के बाद यह पहला मौका है कि किसी चुनाव में यूपी में सरकार दोबारा चुनकर सत्ता में आई है. ये परिणाम भाजपा में एक नए जन नेता योगी आदित्यनाथ के उदय का भी संकेत देते हैं, जिसका राष्ट्रीय स्तर पर सत्ताधारी दल में सत्ता की सीढ़ी वाले पदानुक्रम पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा. एक तरह से यह योगी को मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के बाद पार्टी में नंबर तीन की स्थिति में पहुंचा देता है.
पंजाब में आप की जीत का भी राष्ट्रीय राजनीति पर महत्वपूर्ण असर पड़ेगा. आप अब देश की एकमात्र क्षेत्रीय पार्टी बन गई है जो एक से अधिक राज्यों, दिल्ली और पंजाब, में सरकार का नेतृत्व करेगी. इस राज्य के आप के लिए अपनी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं को पूरा हेतु लॉन्चपैड बनने की संभावना है.
कांग्रेस के प्रदर्शन में लगातार आती गिरावट के साथ, पंजाब के चुनाव परिणाम आप को राष्ट्रीय स्तर पर खुद को भाजपा के एक वास्तविक विकल्प के रूप में पेश करने वालो स्थिति में पहुंचा सकते है. यहां से आप का आगे होने वाला उदय कांग्रेस की कीमत पर ही होने की संभावना है.
केजरीवाल की नजर अब गुजरात पर होगी, जहां कांग्रेस 1995 के बाद से कभी नहीं जीती है. गुजरात और हिमाचल प्रदेश में इस साल के अंत में चुनाव होंगे, और आप से उम्मीद की जाती है कि वह पंजाब में मिली जीत को भुनाने की कोशिश करेगी और इन दोनों राज्यों से शुरुआत करके राजनैतिक गति पकड़ेगी.
सुबह 12 बजे तक उपलब्ध चुनाव परिणामों के रुझानों के अनुसार, यूपी की 403 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा 250 सीटों (399 रुझानों में से) पर आगे चल रही थी, जबकि समाजवादी पार्टी (सपा) 111 सीटों पर आगे चल रही थी. पंजाब में, आप 117 सदस्यीय विधानसभा में 90 सीटों पर बढ़त बनाकर भारी चुनावी जीत की ओर अग्रसर थी. उत्तराखंड की 70 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा 42 सीटों पर आगे चल रही है. गोवा में, भी भाजपा बहुमत के निशान की ओर बढ़ रही थी, और 40 सदस्यीय विधानसभा में 19 सीटों पर आगे चल रही थी. मणिपुर में, हालांकि भाजपा अपने बूते पर बहुमत के निशान से पीछे दिख रही थी और वह 60 सदस्यीय विधानसभा में 21 सीटों (उपलब्ध 43 रुझानों में से) पर ही आगे चल रही थी.
लेकिन यह इस तथ्य में थोड़ा सा संतोष तलाश सकती है कि उसकी पूर्व सहयोगी कोनराड संगमा के नेतृत्व वाली एनपीपी 7 सीटों पर आगे चल रही थी.
बता दें कि, एनपीपी मणिपुर में भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार का हिस्सा थी, लेकिन इन दोनों ने अलग होकर यह चुनाव लड़ा. ये दोनों पार्टियां अभी भी मेघालय और अरुणाचल प्रदेश की सरकारों में भागीदार हैं.
उत्तराखंड में भाजपा की संभावित जीत पिछले साल चार महीने की अवधि में दो सीएम बदलने के पार्टी नेतृत्व के फैसले की पुष्टि करती है. 2017 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनावों की तरह ही लोगों ने पीएम मोदी ने नाम पर ही वोट दिया. त्रिवेंद्र सिंह रावत के चार साल के कार्यकाल के बाद उत्तराखंड में सत्ता विरोधी लहर उठ रही थी, जिसकी वाज से मोदी-शाह की जोड़ी को चार महीने की अवधि में मुख्यमंत्री के रूप में दो त्वरित बदलाव करने के लिए मजबूर होना पड़ा.
यह देखते हुए कि योगी को छोड़कर, भाजपा के भी अन्य मुख्यमंत्री जन नेता नहीं थे, गुरुवार का आया यह फैसला ‘ब्रांड मोदी’ के जोरदार समर्थन के रूप में माना जायेगा.
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