कोलकाता: इस साल तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता भादू शेख की हत्या के मुख्य आरोपी ललन शेख की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) हिरासत में मृत पाए जाने के कुछ घंटों बाद पश्चिम बंगाल पुलिस ने इस संबंध में ‘अप्राकृतिक मौत’ का मामला दर्ज किया है.
टीएमसी नेता की हत्या के लिए ललन शेख ने कथित तौर पर बोगटुई क्षेत्र में बम से हमला किया था. वह छह महीने से भी अधिक समय से फरार चल रहा था.
आखिरकार इस महीने की शुरुआत में उसे गिरफ्तार किया गया और वे बीरभूम के रामपुरहाट स्थित सीबीआई के अस्थायी कैंप कार्यालय में मृत पाया गया था.
बीरभूम के पुलिस अधीक्षक नागेंद्र नाथ त्रिपाठी ने दिप्रिंट को बताया, ‘सोमवार को शाम 4.45 बजे मुझे सीबीआई के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल (डीआईजी) के दफ्तर से फोन आया कि ललन शेख ने बाथरूम में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली है. सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के दिशानिर्देशों के अनुसार, हमने हिरासत में हुई इस मौत की जांच शुरू कर दी है. पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही इसके असल कारणों का पता चल पाएगा.’
हालांकि, इस मामले में सीबीआई की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है.
सीबीआई से जुड़े सूत्रों के अनुसार, घटना के समय इस मामले के दोनों जांच अधिकारी रामपुरहाट सब-डिविजन कोर्ट में थे और कैंप कार्यालय में केवल एक पुलिस कांस्टेबल और सीआईएसएफ कर्मी मौजूद थे.
एक ओर जहां, ललन शेख के परिजनों ने सीबीआई के खिलाफ ‘हत्या’ का मामला दर्ज करवाया है. वहीं, इस घटना के बाद तृणमूल कांग्रेस ने केंद्रीय जांच एजेंसी का कथित रूप से ‘दुरुपयोग’ करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर अपना हमला तेज़ कर दिया है.
ललन शेख का पोस्टमार्टम रामपुरहाट मेडिकल कॉलेज में किया जा रहा है.
कॉलेज के बाहर रोती-बिलखती ललन की विधवा ने कहा, ‘सीबीआई ने मेरे पति को मार डाला. वे सोमवार दोपहर हमारे घर आए, घर का घेराव किया और कोई ‘हार्ड डिस्क’ मांग रहे थे. उन्होंने मेरे शौहर का क़त्ल किया है और हम चाहते हैं कि सीबीआई को सज़ा मिले.’
इस बीच, तृणमूल कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ललन शेख की मौत के प्रकरण में जांच की मांग की है.
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ललन शेख की मौत से किसे होगा ‘फायदा’?
बोगटुई के ग्रामीणों के साथ बातचीत और भादू शेख की हत्या के संबंध में चल रही जांच से यही संकेत मिलता है कि बोगटुई निवासी ललन शेख इस साल मार्च में हुई टीएमसी नेता की मृत्यु से पहले उसका करीबी सहयोगी था.
बोगटुई क्षेत्र में ताकतवर शख्स माने जाने वाले भादू शेख की कथित तौर पर 21 मार्च की रात को उनके घर के पास बम धमाके से हत्या कर दी गई थी. वह टीएमसी के तहत आने वाली बरशाल ग्राम पंचायत के उप-प्रमुख रह चुके थे.
भादू की मौत के कारण बोगटुई में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई, जिसमें 11 लोगों को जलाकर मार डाला गया था. इस घटना को सीबीआई ने अप्रैल में दी गई अपनी एक रिपोर्ट में ‘प्रतिशोधी हमला’ करार दिया था.
मार्च में ही कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक पीठ ने भादू शेख की कथित हत्या और बोगटुई हिंसा दोनों मामलों की जांच सीबीआई को सौंप दी थी
केंद्रीय जांच एजेंसी ने टीएमसी नेता भादू शेख की कथित हत्या की जांच करते हुए सीसीटीवी फुटेज की मदद से आरोपियों की पहचान करने का दावा किया था और ललन शेख को इस मामले का मुख्य आरोपी बनाया था.
हालांकि, ललन शेख फरार हो गया था, जिसके बाद सीबीआई ने उसे चार दिसंबर को गिरफ्तार किया था. आरोपी को रामपुरहाट की सब डिविजन कोर्ट ने छह दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया और फिर उसे पूछताछ के लिए कैंप कार्यालय ले जाया गया.
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‘हमें सीबीआई पर भरोसा है’
ललन की मौत की खबर फैलते ही उसके परिवार के लोगों ने इसके विरोध में राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम कर दिया.
टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘विपक्ष के नेता (पश्चिम बंगाल विधानसभा में शुभेंदु अधिकारी) 12 दिसंबर के बारे में बोल रहे हैं (कि कुछ बड़ा होने वाला है). क्या यह वही ‘बम’ है जिसका वह जिक्र कर रहे थे? इस घटना की गहन जांच होनी चाहिए. हमें सीबीआई पर भरोसा है, लेकिन जब बीजेपी द्वारा इसका गलत इस्तेमाल किया जा रहा है तो सवाल तो उठेंगे.’
इस बीच, BJP के एक नेता राहुल सिन्हा ने भी ललन शेख की मौत के मामले में जांच की मांग की है.
सिन्हा ने आरोप लगाया, ‘इस घटना की जांच की जानी चाहिए ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह आत्महत्या का मामला है या किसी ने साजिश रची है. यह केवल टीएमसी ही है जिसे मुख्य आरोपी की मौत से फायदा होगा, क्योंकि पार्टी के तमाम नेता बोगटुई हिंसा से जुड़े हुए हैं. देखते हैं आगे क्या होता है.’
(अनुवादः रामलाल खन्ना | संपादनः फाल्गुनी शर्मा)
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