मुंबई: शिवसेना और उसके चुनाव चिह्न का ‘असली’ दावेदार कौन है, इस पर विवाद के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट ने अपनी सबसे कमजोर कड़ी मुंबई में ताकत बढ़ाने का काम शुरू कर दिया है.
शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट ने शहर में एक संगठनात्मक ढांचा तैयार किया है और इस साल के अंत में होने वाले मुंबई निकाय चुनावों में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट से मुकाबले के लिए जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को जोड़ने में जुटा है.
शिंदे खेमे के एक विधायक ने दिप्रिंट को बताया, ‘मुंबई में उनसे (ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना से) मुकाबला करना मुश्किल है, लेकिन हम इस दिशा में धीरे-धीरे प्रयास करेंगे. अधिक से अधिक लोग हमारे पास आ रहे हैं क्योंकि वे हमारा काम देख रहे हैं. एक बार जब हमें पार्टी का चुनाव चिन्ह जाएगा, हम खुद-ब-खुद मजबूत हो जाएंगे.’
शिवसेना का आधिकारिक प्रतिनिधित्व किस खेमे के हाथ में होगा और पार्टी का चुनाव चिह्न धनुष और बाण किसे मिलेगा, इस पर जारी लड़ाई फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.
मुंबई शिंदे खेमे की कमजोर कड़ी है क्योंकि यह हमेशा से ठाकरे परिवार का गढ़ रहा है. 1960 के दशक में महानगर और उसके राजनीतिक और सामाजिक ढांचे ने ही बाल ठाकरे के लिए 1966 में शिवसेना लॉन्च करने का रास्ता खोला था.
अवसरों का यह शहर—जहां देशभर से लोग अपना भविष्य बनाने आते हैं और इस प्रक्रिया के दौरान उपलब्ध अवसरों को लेकर महाराष्ट्र के लोगों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं—शिवसेना के लिए अपना जनाधार बढ़ाने और पार्टी के फलने-फूलने के लिए एक उर्वर क्षेत्र साबित हुआ है.
शिंदे के 40 विधायकों के साथ अलग होने से शिवसेना में टूट, ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार गिरने और शिंदे गुट के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ मिलकर सरकार बना लेने के बावजूद जमीनी स्तर पर पार्टी कैडर की निष्ठा अब भी ठाकरे परिवार के साथ ही जुड़ी है.
ठाकरे के नेतृत्व वाले धड़े से टूटकर गए 40 विधायकों में से पांच मुंबई के हैं. मुंबई से शिवसेना के तीन सांसदों में से एक राहुल शेवाले भी शिंदे खेमे में चले गए हैं.
पिछले हफ्ते शिंदे खेमे ने बोरीवली-मगाथाने क्षेत्र के लिए शहर में अपना पहला मंडल प्रमुख नियुक्त किया था. सोमवार को सीएम ने अपने खेमे के नेताओं की मैराथन बैठक की और मुंबई में पांच और विभाग प्रमुखों और तीन संभागीय प्रशासकों की प्रारंभिक नियुक्तियां कीं.
प्रत्येक विभाग प्रमुख को दो-तीन क्षेत्र सौंपे गए हैं. अब तक की गई नियुक्तियां दादर, माहिम, चेंबूर, सायन, अणुशक्ति नगर, बोरीवली, भांडुप, विक्रोली, मुलुंड, कुर्ला, मुंबादेवी, मालाबार हिल और कोलाबा जैसे क्षेत्रों के लिए हुई हैं.
इन विभाग प्रमुखों को पार्टी की शाखाएं खोलने का काम सौंपा गया है, जो सबसे निचली प्रशासनिक इकाई है. आदर्श स्थिति में प्रत्येक पार्षद वार्ड में एक शाखा खोली जानी है.
ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना की मुंबई पर मजबूत पकड़ की एक बड़ी वजह वार्ड स्तर की शाखाएं होना भी है. शाखाएं जमीनी स्तर पर कैडर को संगठित करती हैं और एक समानांतर प्रशासनिक मशीनरी के रूप में काम करती हैं. ये स्थानीय नागरिक मुद्दों जैसे बंद नालियों और गंदे शौचालयों आदि की शिकायतें दूर करने में अहम भूमिका निभाती हैं.
ठाणे के पूर्व मेयर और शिंदे समूह के नेता नरेश म्हस्के ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम शहर भर में अपने जनसंपर्क कार्यालय और शाखाएं खोलने पर फोकस कर रहे हैं. हमने विभाग प्रमुखों का नाम तय करके कदम उठाया है. अब वही शाखाएं स्थापित करने और अपने अधीन नियुक्तियां करने की दिशा में काम करेंगे. कोई समयसीमा तय नहीं की गई है, लेकिन कोशिश यही है कि ये काम जल्द से जल्द पूरा कर लिया जाए.’
शिंदे के नेतृत्व वाले बागी गुट में शामिल मुंबई शिवसेना के एकमात्र सांसद राहुल शेवाले ने इस माह के शुरू में मानखुर्द में शहर इकाई की पहली शाखा खोली थी.
शपथपत्र, शाखाएं, और नियुक्तियां
मुंबई में शिंदे खेमे के विभाग प्रमुखों में से एक प्रकाश सुर्वे ने दिप्रिंट को बताया कि उन्होंने अपने क्षेत्राधिकार में आने वाले 17 पार्षद वार्डों में से 10 में शाखाएं खोली हैं.
सुर्वे ने कहा, ‘मैंने शाखा प्रमुखों, उप शाखा प्रमुखों की प्रोविजनल नियुक्तियां भी कर ली हैं. एक बार गणेश उत्सव पूरा हो जाने के बाद मैं शिंदे साहब की मंजूरी के साथ उन्हें अंतिम रूप दे दूंगा.’
उन्होंने बताया, जैसा सीएम ने कहा है उसके मुताबिक शाखाएं खोलने और प्रशासनिक कार्मिकों की नियुक्ति के अलावा उन्हें (शिंदे को) बतौर नेता अपना समर्थन देने वाला शिवसेना कार्यकर्ताओं से शपथपत्र लेना एक प्राथमिकता है.
सुर्वे ने बताया, ‘मुझे अब तक लगभग 22,000 हलफनामे मिल चुके हैं. फिलहाल हम गणपति मंडलों के साथ संपर्क में हैं, और उनकी हरसंभव मदद कर रहे हैं. हमें काफी समर्थन भी मिल रहा है.’ साथ ही जोड़ा कि वह अक्टूबर में नवरात्रि के बाद अपने क्षेत्र में नवनियुक्त पदाधिकारियों की एक रैली आयोजित करने की तैयारी भी कर रहे हैं.
शिंदे खेमे में जाने वाले और शिवसेना के मौजूदा विधायक मंगेश कुडलकर ने दिप्रिंट को बताया कि उन्होंने इस महीने की शुरुआत में अपने क्षेत्र में पार्टी कार्यकर्ताओं की एक सभा की और इस दौरान ‘हॉल एकदम खचाखच भरा था.’
उन्होंने कहा, ‘करीब 1,500 लोग हॉल के अंदर थे और इतनी ही संख्या में बाहर भी मौजूद थे. मैंने बड़े पैमाने पर दही हांडी का आयोजन किया, और अभी गणेश मंडलों के साथ भी काम कर रहा हूं. कई लोग पहले ही अपनी निष्ठा बदल चुके हैं और बाकी हमारा काम देखने के बाद साथ आ जाएंगे.’
शिंदे खेमे में शामिल होने वाले मुंबई शिवसेना के तीसरे विधायक सदा सर्वांकर ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि गुट दादर में एक केंद्रीय कार्यालय का निर्माण करेगा. ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना का मुख्यालय, शिवसेना भवन भी दादर में है.
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