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Thursday, 19 December, 2024
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‘ममता सरकार के करीबी’ IAS और IPS अधिकारियों की BJP ने बनाई लिस्ट, बंगाल में पूर्वाग्रह का है आरोप

बीजेपी की योजना है कि 'हर ब्लॉक और जिले में गुंडों की एक सूची गृह मंत्रालय को सौंपी जाएंगी,' जिससे अगले साल होने वाला चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष कराया जा सके.

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नई दिल्ली: पिछले 15 दिनों में अपने चार कार्यकर्ताओं के मारे जाने का दावा करते हुए, बीजेपी की पश्चिम बंगाल इकाई ने तय किया है, कि वो ‘हर ब्लॉक और ज़िले के तमाम संदिग्ध ग़ुंडों की, एक सूची तैयार करेगी, जो 2021 के विधान सभा चुनावों में गड़बड़ी फैला सकते हैं’.

इस सूची को केंद्रीय गृह मंत्रालय के साथ साझा किया जाएगा.

बीजेपी ने उन सभी आईएएस, आईपीएस और दूसरे अधिकारियों के नाम भी मांगे हैं, जिन्हें तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार का क़रीबी माना जाता है.

बीजेपी की ये कार्रवाई इस महीने हुई कई घटनाओं के बाद हो रही है. आठ अक्तूबर को, कोलकाता में झगड़े शुरू हो गए, जब पुलिस ने प्रदेश सचिवालय नबाना की और बढ़ रहे एक मार्च को रोक दिया, जो प्रदर्शनकारियों के मुताबिक़, बंगाल की ‘क़ानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति’ के खिलाफ हो रहा था.

उससे कुछ दिन पहले ही 4 अक्तूबर को, नॉर्थ 24 परगना ज़िले के टीटागढ़ में, बीजेपी लीडर मनीश शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी गई.

पिछले हफ्ते, कोलकाता के बेलियाघाट में हुए एक धमाके से, एक क्लब की छत उड़ गई, जिसके बाद बीजेपी ने इस आधार पर नेशनल इनवेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) द्वारा जांच की मांग की, कि टीएमसी चुनाव सीज़न के लिए बम जमा कर रही है.

पश्चिम बंगाल बीजेपी अध्यक्ष दिलिप घोष ने फोन पर दिप्रिंट से कहा, ‘मैंने पार्टी कार्यकर्ताओं को टीएमसी के ग़ुंडों की एक लिस्ट बनाने को कहा है, जो विधान सभा चुनावों में गड़बड़ी फैला सकते हैं.

‘पिछले सप्ताह की घटना इस बात का सबूत है, कि टीएमसी वर्कर्स विधान सभा चुनावों के लिए बम जमा कर रहे हैं. एक बार ये लिस्ट बन जाए, तो फिर इसे केंद्रीय एजेंसियों और चुनाव आयोग के साथ साझा किया जाएगा’.

बैरकपुर सांसद अर्जुन सिंह ने दिप्रिंट से कहा, कि प्रदेश इकाई ऐसे अधिकारियों की लिस्ट भी तैयार कर रही है, जो ‘टीएमसी शासन के क़रीब हैं’.

उन्होंने बताया, ‘हमने ऊपर से नीचे तक ऐसे अधिकारियों की सूची तैयार की है, जो सरकार के निर्देशों पर काम कर रहे हैं’. उन्होंने आगे कहा, ’26 आईपीएस अधिकारी ऐसे हैं जिनकी विश्वस्नीयता शक के घेरे में है, और जो तृणमूल सरकार के एजेंट हैं. निचले स्तर पर ये संख्या बहुत बड़ी है, जिसे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की ख़ातिर बदलना होगा’.

उनकी पार्टी सहयोगी और हुगली सांसद लॉकेट चटर्जी ने भी, इसी तरह के विचार व्यक्त किए, और पुलिस व प्रशासन पर भेदभाव के आरोप लगाए.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘जब हम कोई कार्यक्रम करने की अनुमति मांगते हैं, तो वो नहीं दी जाती. लेकिन अगर तृणमूल मांगती है, तो अनुमति तुरंत मिल जाती है’.

उन्होंने आगे कहा, ‘चक्रवाती तूफान अंफान के दौरान अधिकारियों ने अनाज की लूट मचाई है, वो हर रोज़ बीजेपी कार्यकर्ताओं के लिए परेशानियां खड़ी करते हैं, लेकिन तृणमूल के ग़ुंडों को नहीं पकड़ते’. उन्होंने ये भी कहा, ‘बंगाल एक पुलिस राज्य बन गया है; इसे ठीक करना होगा. एकमात्र विकल्प यही है कि अधिकारियों और ग़ुंडों को, नाम लेकर शर्मिंदा किया जाए’.

लेकिन टीएमसी इन आरोपों से इनकार करती है. पार्टी सांसद दिबयेंदु अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा, कि ये प्रदेश में दबाव बनाने की बीजेपी की रणनीति का हिस्सा है.

उन्होंने कहा, ‘पश्चिम बंगाल पुलिसकर्मी सबसे ईमानदार हैं, और वो तथ्यों के आधार पर स्वतंत्र रूप से काम करते हैं. बीजेपी को बंगाल पुलिस को अकेले छोड़ देना चाहिए’.


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बंगाल बीजेपी चाहती है राष्ट्रपति शासन, केंद्र है सावधान

बंगाल बीजेपी विधान सभा चुनावों से पहले, राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की मांग कर रही है.

बैरकपुर सांसद सिंह ने कहा, ‘बंगाल में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव राष्ट्रपति शासन में ही हो सकते हैं. मैं तृणमूल पार्टी की कार्यशैली से वाक़िफ हूं, चूंकि मैं उस पार्टी में रहा हूं. वो जानते हैं कि चुनावों में धांधली कैसे की जाती है. अगर केंद्रीय बल तैनात कर दिए जाएं, तब भी वो कुछ बूथों में चुनावों में धांधली कर लेंगे. इसलिए बंगाल में सिर्फ केंद्रीय बलों पर निर्भरता से काम नहीं चलेगा; स्वतंत्र चुनावों के लिए यहां पर, राष्ट्रपति शासन की ज़रूरत है’.

चटर्जी ने भी दावा किया कि टीएमसी चुनावों में धांधली करेगी. उन्होंने कहा, ‘पार्टी के समक्ष अस्ली चुनौती, स्वतंत्र चुनाव सुनिश्चित कराना है. लोग बीजेपी को एक अवसर देने का इंतज़ार कर रहे हैं, लेकिन अगर हम कार्यकर्ताओं और लोगों में भरोसा नहीं जगाएंगे, तो ममता चुनाव जीत ले जाएंगी’.

‘विधान सभा चुनावों में हार-जीत का अंतर छोटा होता है, और निचले स्तर पर, या कुछ बूथों में की गई धांधलेबाज़ी भी, नतीजा बदल सकती है’.

बीजेपी आला कमान इस मांग पर सावधानीपूर्वक विचार कर रहा है, चूंकि वो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को शहीद बनने का मौक़ा नहीं देना चाहता.

लेकिन दो दिन पहले, सीएनएन न्यूज़18 को दिए गए एक इंटरव्यू में, गृहमंत्री अमित शाह ने अधिकारिक लाइन से कुछ हटकर बात की.

पश्चिम बंगाल में बीजेपी कार्यकर्ताओं के मारे जाने पर, एक सवाल के जवाब में शाह ने कहा, ‘बंगाल की स्थिति गंभीर है, और क़ानून व्यवस्था चूर चूर हो गई है. राजनीतिक कार्यकर्ता मारे जा रहे हैं, और हर ज़िले में गोलीबारी हो रही है, बम फैक्ट्रियां चल रही हैं. राष्ट्रपति शासन लगाने का निर्णय बहुत सी बातों पर ग़ौर करने के बाद लिया जाता है, लेकिन मैं ये ज़रूर कह सकता हूं, कि बंगाल की स्थिति बहुत परेशान करने वाली है. उचित परामर्श के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा’.


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