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Wednesday, 20 November, 2024
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धामी, ठाकुर, खट्टर का दिल्ली में प्रचार रहा सफल, MCD की ज्यादातर सीटों को बचाने में कामयाब रही BJP

बीजेपी ने दिल्ली एमसीडी चुनाव में अपने सभी शीर्ष नेताओं को मैदान में उतार दिया था जो नतीजों के बाद काफी सफल प्रयास दिखता है.

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नई दिल्लीः राष्ट्रीय राजधानी में नगर निगम (एमसीडी) चुनाव 2022 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस बार चुनाव प्रचार में केंद्रीय मंत्रियों से लेकर अलग-अलग राज्यों के मुख्यमंत्रियों तक को मैदान में उतारा.भाजपा ने इस चुनाव के प्रचार के लिए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा को मैदान में उतारा था. हालांकि, इस बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एमसीडी चुनाव में प्रचार से नदारद नज़र आये.

नतीजे आने के बाद आंकड़ों पर नज़र डालें तो जिन इलाकों में केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्रियों ने प्रचार किया, वहां भाजपा अपनी कई सीटों को बचाने में कामयाब रही है जबकि इन वार्डों से कांग्रेस और AAP का सफाया हो गया है. यही नहीं जिन सीटों पर इन स्टार प्रचारकों ने पार्टी की कमान संभाली वहां भाजपा को अधिकतर सीटों पर जीत मिली है.

बीजेपी के मुख्यमंत्रियों ने लगभग 27 से अधिक वार्डों में प्रचार किया, जिनमें से लगभग 23 पर जीत हासिल की है.

हालांकि चुनाव के नतीजे आम आदमी पार्टी के पक्ष में आए हैं. दिल्ली एमसीडी की 250 सीटों में आम आदमी पार्टी को 134, भाजपा को 104 और कांग्रेस को 9 सीटें मिली हैं.

2017 के चुनाव में कांग्रेस ने 30 वार्डों में जीत दर्ज की थी जबकि 181 वार्डों पर भाजपा ने कब्जा जमाया था. वहीं आप के खाते में 30 और अन्य के खाते में 11 सीटें गईं थीं.

दिल्ली में इससे पहले तीन नगर निगम थे लेकिन हाल ही में तीनों नगर निगम को मिला दिया गया. 22 मई को तीनों नगर निगम को मिलाकर एक नगर निगम काम करने लगा.


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खट्टर, धामी, ठाकुर से लेकर नड्डा तक चुनावी प्रचार में

बीजेपी ने तो चुनाव की कमान राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को ही सौंप रखी थीं. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह समेत कई केंद्रीय मंत्रियों ने भी प्रचार अभियान में हिस्सा लिया. लेकिन सभी की नज़रें दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों पर थीं, जिन्होंने राजधानी में कई दिन बिताए. दूसरे राज्यों से भाजपा के कई विधायक भी प्रचार अभियान में नजर आए.

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस दौरान शाहदरा में प्रचार किया. जहां दो वार्डों जिसमें शाहदरा और झिलमिल में बीजेपी ने जीत दर्ज की. वहीं, दिलशाद कॉलोनी वार्ड सीट पर AAP जीती है.

खट्टर ने कृष्णा नगर विधानसभा क्षेत्र के सभी पांच वार्डों जिसमें अनारकली, गीता कॉलोनी, कृष्णा नगर, जगतपुरी और घोंडली में प्रचार किया था. जहां बीजेपी ने सभी सीटों पर जीत हासिल की. इसके अलावा शास्त्री नगर सीट से खट्टर और अनुराग ठाकुर ने प्रचार किया यहां भी बीजेपी जीती. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने लाजपत नगर क्षेत्र में रोड शो किया था, यहां बीजेपी के कुंवर अर्जुन पाल सिंह मारवाह इस सीट को बचाने में सफल रहे हैं. बता दें कि लाजपत नगर क्षेत्र पहले भी भारतीय जनता पार्टी के ही पास थी.

इसके अलावा खट्टर ने नरेला क्षेत्र में भी प्रचार किया था, लेकिन यहां आप ने जीत दर्ज की है. बता दें कि 2017 में हुए चुनावों में ये वार्ड भाजपा के पास थी.

बीजेपी ने हिमाचल में विधानसभा चुनाव के बीच राज्य के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को भी दिल्ली में प्रचार में लगाया. ठाकुर ने शालीमार बाग, आनंद विहार,पटपड़गंज क्षेत्र में प्रचार किया और सभी सीटों पर बीजेपी ने मतों के भारी अंतर से जीत हासिल की.

हालांकि, ठाकुर ने करोल बाग में भी प्रचार किया था, लेकिन क्षेत्र के कुल 10 वार्डों में से बीजेपी दो पर ही जीत पाई है. अन्य आठ सीटों पर आप के उम्मीदवार जीते हैं.

इसके अलावा शालीमार बाग की दो सीटों पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी प्रचार किया था.


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उत्तराखंड वोट बैंक पर निशाना सफल रहा

नगर निगम चुनाव में 250 सीटों पर बीजेपी ने पहली बार 10 ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया है जो मूल रूप से उत्तराखंड से आते हैं. इनमें से सात वार्डों में बीजेपी ने और तीन पर आम आदमी पार्टी ने जीत दर्ज की है.

धामी ने विनोद नगर और मंडावली में रोड शो किया. इन दोनों ही सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की है. धामी ने द्वारका ए से बीजेपी प्रत्याशी के लिए प्रचार किया, यहां भी बीजेपी ने जीत हासिल की. यह सीट पिछली बार AAP के पास थी.

हालांकि,धामी का जादू मयूर विहार फेज-दो पर नहीं चल पाया यहां से AAP के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है.

दिल्ली एमसीडी के 250 वार्डों के लिए 1,349 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे. राज्य निर्वाचन आयोग के मुताबिक दिल्ली में मतदाताओं की कुल संख्या 1,45,05,358 है जिसमें 78,93,418 पुरुष मतदाता, 66,10,879 महिला मतदाता और 1,061 अन्य मतदाता हैं.

दिल्ली में इससे पहले तीन नगर निगम थे लेकिन हाल ही में तीनों नगर निगम को मिला दिया गया. 22 मई को तीनों नगर निगम को मिलाकर एक नगर निगम काम करने लगा.

अंतिम बार दिल्ली नगर निगम का चुनाव 2017 में हुआ था जिसमें पूर्वी दिल्ली नगर निगम की 64 सीटों में से भाजपा को 47, आप को 11, कांग्रेस को 3 और 2 सीटें अन्य के खातें में गई थी. दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की कुल 104 सीटों में से भाजपा को 70, आप को 16, कांग्रेस को 12 तथा अन्य के खातें में 6 सीटें गई थी. अगर बात उत्तरी दिल्ली नगर निगम की करें तो इसमें 104 सीटों में भाजपा को 64, आप को 21 तथा कांग्रेस को 15 सीटें मिली थी. तीन सीटों पर अन्य उम्मीदवार विजयी हुए थे.

बता दें कि साल 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कार्यप्रणाली को आसान बनाने और नागरिक सेवाओं को बेहतर करने के उद्देश्य से दिल्ली नगर निगम को तीन भाग में बांट दिया था.

चुनाव आयोग के मुताबिक, इस बार MCD चुनाव में 50.47% मतदान हुआ था. 2017 में 53.55% मतदान हुआ था. हालांकि, इस बार दिल्ली में आप का वोट शेयर 2020 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले एमसीडी में लगभग 10% घटा है. बीजेपी का मामूली बढ़ा है. कांग्रेस का वोट 8 प्रतिशत से बढ़ा है. यही वोट आप की सीटों को रोकने का कारण बना है, इसमें मुस्लिम वोटरों की भी भूमिका है.


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