अलीनगर: साड़ी पहने, सिर पर मिथिला की पहचान ‘पग’ और कंधों पर ‘माता की चुनरी’ ओढ़े 25 साल की मैथिली ठाकुर तेज़ी से अपने काफिले की एसयूवी से उतरती हैं.
वे डोर-टू-डोर प्रचार के लिए पहले ही देर कर चुकी हैं.
बिहार के दरभंगा ज़िले के अलीनगर से बीजेपी प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरीं मैथिली का दिन बेहद व्यस्त है—उन्हें 13 जगह जाना है, जिसमें रोड शो और जनसभाएं शामिल हैं. बारिश ने रास्तों को कीचड़ में बदल दिया है, लेकिन मधुबनी ज़िले के बेनीपट्टी की रहने वाली मैथिली के कदम नहीं रुकते.
स्थानीय बीजेपी नेता उनके साथ हैं. वे हर घर के सामने हाथ जोड़कर लोगों का अभिवादन करती हैं, खासकर महिलाओं का—चाहे वो बुज़ुर्ग हों या युवा.
दिप्रिंट की टीम जब मैथिली ठाकुर के प्रचार अभियान में उनके साथ चलती है, तो यह साफ झलकता है कि उनकी रणनीति ऊर्जा और भावनात्मक जुड़ाव का मेल है.
गनौन गांव की एक संकरी गली पर एसयूवी कार रुकती है, आगे रास्ता और संकरा है. ऐसे में एक बाइक तैयार है ताकि वह भीतर तक पहुंच सकें.
उनके सहयोगी आयुष गांव वालों से कहते है, “समय लग जाएगा, बाइक से जल्दी पहुंच जाएंगे.”

गांव में हलचल बढ़ जाती है. युवा लड़के-लड़कियां मैथिली की एक झलक पाने को उत्सुक हैं, कोई सेल्फी लेना चाहता है तो कोई रील बनाने की कोशिश में है.
राजेश कुमार बताते हैं, “इन्हें परफॉर्म करते देखा है, बहुत अच्छा गाती हैं.” इस दौरान बैकग्राउंड में भोजपुरी गायक और सांसद मनोज तिवारी का गीत ‘हां हम बिहार हैं जी, थोड़े संस्कारी हैं’ बज रहा है.
महिलाओं में भी उत्साह है. कोई गले लग रही है, तो कोई मुस्कुराकर सेल्फी लेती है.
फूल कुमारी ने कहा, “बीजेपी ने एक युवा को मौका दिया है. अनुभव भले कम है, लेकिन अगर हमें राजनीति में और युवाओं को लाना है तो उसे सपोर्ट करना होगा.”
वहीं प्रियंका नाम की एक युवती ने कहा, “मेरा वोट मोदी जी को है, मैथिली हों या कोई और, मैं बीजेपी को ही वोट दूंगी.” और साथ ही मोबाइल से मैथिली की तस्वीरें लेती हैं.
बीजेपी ने मैथिली ठाकुर को टिकट देकर इस बात को रेखांकित किया है कि बिना किसी राजनीतिक परिवार से संबंध रखने वाले युवा को भी मौका दिया जा सकता है. गृह मंत्री अमित शाह ने अलीनगर में ठाकुर के समर्थन में सभा के दौरान कहा था, “राजनीति में युवाओं को मौका मिलना चाहिए या नहीं मिलना चाहिए? जिनका कोई राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं है, उन्हें भी आगे आना चाहिए.”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपनी मुलाकातों को याद करते हुए मैथिली ने कहा, “वो मेरी प्रेरणा हैं. बीजेपी ने एक युवा महिला को चुनाव लड़ने का अवसर दिया है, यह मेरे लिए गर्व की बात है.”

‘हमारा वोट पीएम के नाम’
मैथिली ठाकुर के ज़रिए बीजेपी मतदाताओं से भावनात्मक जुड़ाव बनाने की कोशिश कर रही है, उन्हें ‘मिथिला की बेटी’ के रूप में पेश किया जा रहा है. पार्टी को उम्मीद है कि मैथिली महिलाओं और युवाओं दोनों को आकर्षित करेंगी, साथ ही जातीय समीकरण का संतुलन भी बनाए रखेंगी.
मैथिली खुद भी लगातार खुद को ‘मिथिला की बेटी’ कह रही हैं और यह बात लोगों के दिलों में असर कर रही है. अलीनगर के पाली निवासी राजेश सिंह ने कहा, “वो मिथिला की बेटी हैं और उन्हें इस पर गर्व है. यह सही है कि उन्हें राजनीति का अनुभव नहीं है, लेकिन हमें प्रधानमंत्री मोदी पर पूरा भरोसा है और हमारा वोट उन्हीं के नाम पर है.”
हालांकि, सभी लोग इससे सहमत नहीं हैं. गनौन गांव के निवासी सुनील कुमार ने कहा, “वो दिल्ली में रहेंगी, हमारी समस्याएं कौन सुनेगा? हमें यहीं का प्रतिनिधि चाहिए.”
जब मैथिली ठाकुर से पूछा गया कि कई बार सेलिब्रिटी नेता चुनाव जीतने के बाद अपने क्षेत्र को भूल जाते हैं, तो उन्होंने जवाब दिया—“वो धारणा तोड़ने आई हूं.” मैथिली का कहना है कि दरभंगा एयरपोर्ट से हवाई संपर्क होने की वजह से अपने संसदीय क्षेत्र से जुड़े रहना उनके लिए आसान रहेगा.
शीर्ष नेताओं का समर्थन
पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने मैथिली ठाकुर के समर्थन में पूरा जोर लगा दिया है, जहां अमित शाह पहले ही उनके समर्थन में रैली कर चुके हैं, वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी उनके पक्ष में रोड शो किया. बीजेपी के बिहार चुनाव प्रभारी और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान उनकी चुनावी गतिविधियों पर नज़र रखे हुए हैं और स्थानीय संगठन को उन्हें हर संभव सहयोग देने के निर्देश दिए गए हैं.
एक स्थानीय बीजेपी नेता ने कहा, “मैथिली हमारे पास एक युवा, महिला और लोकप्रिय लोकगायिका उम्मीदवार हैं, जिनकी लोकप्रियता से पार्टी को राजनीतिक लाभ मिलेगा.”
बीजेपी उम्मीदवार और गायिका-राजनेता मैथिली ठाकुर को एनडीए के बड़े नेताओं का समर्थन प्राप्त है. हालांकि, उनके इर्द-गिर्द उठे विवादों की वजह से पार्टी यह सुनिश्चित कर रही है कि उनका प्रचार सावधानी से और करीबी निगरानी में चलाया जाए ताकि जनता में कोई नाराज़गी न हो.

अलीनगर का नाम बदलकर ‘सीतानगर’ करने के उनके बयान पर उठे विवाद को लेकर मैथिली ने कहा, “जो जनता-जनार्दन चाहेगी वही होगा, उसके विरुद्ध कुछ नहीं होगा…अरे हम कहां हिंदू-मुस्लिम कर रहे हैं…हम तो मां सीता की धरती पर हैं.” यह कहते ही उनके समर्थक “जय श्री राम” के नारे लगाने लगते हैं.
जब उनसे यह पूछा गया कि यह मुद्दा हिंदू-मुस्लिम रंग क्यों ले रहा है, तो उनके सहयोगी और पार्टी कार्यकर्ता बीच में बोल पड़े कि ऐसे सवाल उनसे पूछे जाएं.
बीजेपी ने मैथिली ठाकुर को टिकट तब दिया जब 2020 में वीआईपी पार्टी से जीतकर बाद में बीजेपी में शामिल हुए मिश्री लाल यादव को 2019 के एक आपराधिक धमकी के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई. पार्टी ने उन्हें टिकट देने से मना कर दिया, जिसके बाद यादव ने 11 अक्टूबर को पार्टी से इस्तीफा दे दिया. पार्टी नेताओं का कहना है कि यह फैसला जनता की नाराज़गी कम करने और एंटी-इंकम्बेंसी को रोकने के लिए भी लिया गया.
यह सीट आरजेडी का गढ़ मानी जाती है. 2010 और 2015 के विधानसभा चुनावों में आरजेडी नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी यहां से जीते थे. 2015 में बीजेपी उम्मीदवार मिश्री लाल यादव सिद्दीकी से हार गए थे.
एक स्थानीय बीजेपी नेता के मुताबिक, “2020 के चुनाव में आरजेडी ने अलीनगर में ब्राह्मण कार्ड खेला और बिनोद मिश्रा को टिकट दिया. इसके जवाब में एनडीए ने यादव को उतारा और आरजेडी मामूली अंतर से हार गई. अब ठाकुर का मुकाबला फिर आरजेडी के बिनोद मिश्रा से है, जो 2020 में करीब 3,000 वोटों से हारे थे. जन सुराज पार्टी ने बिप्लव चौधरी को उम्मीदवार बनाया है.”
‘बाहरी’ टैग से छुटकारा
मैथिली ठाकुर अपने ‘पैराशूट उम्मीदवार’ बताए जाने और स्थानीय कार्यकर्ताओं की अनदेखी के आरोपों का भी जवाब दे रही हैं. वे कहती हैं, “ये सब मेरी मां, बहन, चाची, मामी जैसे हैं. मुझे बहुत प्यार मिल रहा है. मैं इनकी अपनी बेटी हूं, लोग क्या ‘बाहरी’ कहते हैं, उससे कुछ नहीं होता.”
‘बाहरी’ टैग हटाने के लिए मैथिली लोगों से मैथिली भाषा में बात करती हैं, हंसी-मजाक करती हैं और आत्मीयता दिखाती हैं. जैसे ही उनका काफिला किसी गांव में रुकता है, वहां भीड़ जमा हो जाती है. महिलाएं और बच्चे उनके स्वागत में ‘पग’ (पगड़ी) पहनाते हैं.
कुछ स्थानीय बीजेपी नेताओं के असंतोष के बावजूद, दरभंगा (पूर्व) के बीजेपी जिलाध्यक्ष विनय पासवान ने कहा, “कोई ‘बाहरी’ मुद्दा नहीं है. मैथिली तो मिथिला की बेटी और बिहार का गौरव हैं.”
पार्टी उनके सोशल मीडिया फॉलोइंग पर भी भरोसा कर रही है. मैथिली के 63 लाख से ज्यादा इंस्टाग्राम फॉलोअर्स हैं और वे लगातार अपने कार्यक्रमों के अपडेट साझा करती रहती हैं.
जातीय समीकरण
अलीनगर सीट पर जातीय समीकरण भी अहम भूमिका निभा रहे हैं. मैथिली और आरजेडी दोनों उम्मीदवार ‘ऊंची जाति’ यानी ब्राह्मण हैं. अलीनगर उन कुछ विधानसभा सीटों में से है जहां ब्राह्मण और मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
यहां अनुसूचित जाति की आबादी करीब 13% है, मुस्लिम आबादी 21% से अधिक है और ब्राह्मण मतदाता लगभग 20-21% हैं.
बीजेपी के एक नेता के अनुसार, “ठाकुर ब्राह्मण हैं, लेकिन सभी जातियों में लोकप्रिय हैं. साथ ही, उन्हें सभी वर्गों की महिलाओं का समर्थन मिलेगा, जिससे उनकी जीत तय मानी जा रही है.”
मैथिली विशेष रूप से महिला मतदाताओं से जुड़ने की कोशिश कर रही हैं. अलीनगर के पाली गांव में प्रचार के दौरान वे गाड़ी रोककर हाथ जोड़कर महिलाओं का अभिवादन करती हैं. कई बार गाड़ी से उतरकर वे महिलाओं को गले लगाती हैं, उनसे हंसी-मजाक करती हैं और भीड़ में घुल-मिल जाती हैं.
बीच-बीच में वे अपने क्षेत्र के विकास का विज़न भी साझा करती हैं—सड़क निर्माण, केंद्रीय विद्यालय की स्थापना और युवाओं के लिए अधिक अवसरों का सृजन.
मुस्कुराते हुए वे कहती हैं, “मेरी परफॉर्मेंस बेस्ट रहेगी.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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