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Friday, 22 November, 2024
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कश्मीर में भाजपा का खाता खोलने में मददगार रहे शाहनवाज हुसैन ने कहा- यह लोकतंत्र और विकास की जीत है

शाहनवाज़ हुसैन ने जम्मू-कश्मीर डीडीसी चुनावों के लिए भाजपा के चुनाव अभियान की निगरानी के लिए 33 दिनों तक डेरा डाला, जहां बीजेपी पहली बार घाटी में तीन सीटों पर जीत हासिल की है.

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नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में जिला विकास परिषद के नतीजे घोषित होने के एक दिन बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में भाजपा के दर्जनों नेताओं ने 75 सीटों पर मिली सफलता को ‘लोकतंत्र की जीत’ करार दिया.

जम्मू-कश्मीर में 280 सीटों पर हुए चुनावों में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है जिसने 38 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल किए है. हालांकि, पीपुल्स एलायंस फॉर गुपकर डिक्लेरेशन, जो कश्मीरी और राष्ट्रीय पार्टियों का गठबंधन है, ने एक इकाई के तौर पर सबसे ज्यादा सीटें जीती हैं.

भाजपा ने पहली बार कश्मीर घाटी में अपना खाता खोला है, जहां उसे तीन सीटें मिली है. पार्टी प्रवक्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन, जो चुनावी सफलता के लिए एक महीने से अधिक समय से श्रीनगर में डेरा रहे डाले थे, ने इसे ‘गन-तंत्र’ (बंदूक संस्कृति) पर ‘लोकतंत्र’ की जीत बताया है. उन्होंने आगे कहा कि भाजपा का प्रदर्शन एक और संदेश भी देता है कि लोगों ने अलगाववादी ताकतों और उन लोगों को खारिज कर दिया है जो राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान नहीं करते हैं.

शाहनवाज हुसैन ने दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में कहा, ‘घाटी में जीत सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं है. इसमें सबसे बड़ा यही संदेश छिपा है कि लोग अलगाववादी ताकतों से तंग आ चुके हैं. यह फैसला उनके खिलाफ है जो लोगों को भड़काते हैं. यह बुलेट पर बैलेट की जीत है, और एक स्पष्ट संदेश है कि लोग शांति और विकास चाहते हैं.’

हुसैन ने कहा कि श्रीनगर की एक सीट पर जीत दर्ज करने के साथ भाजपा ने वहां पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी से अधिक वोट हासिल किए है, जो पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर सरकार में भाजपा की सहयोगी पार्टी थी और अभी गुपकर गठबंधन की एक घटक है.

उन्होंने कहा, ‘इससे पहले हमें घाटी में 3-4 प्रतिशत वोट मिलते थे. अब हम 15 फीसदी तक पहुंच गए हैं. जम्मू-कश्मीर में हमारा वोट शेयर कुल मिलाकर 38 प्रतिशत रहा है, जबकि गुपकर गठबंधन का संयुक्त वोट शेयर लगभग 32 फीसदी है. बदलाव अब साफ नजर आने लगा है. अब समय आ गया है कि हर कोई इस बात को समझे कि जम्मू-कश्मीर में अंदर ही अंदर क्या चल रहा है.’

घाटी में लंबे समय तक डेरा डाला

भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने शाहनवाज हुसैन को कश्मीर घाटी में अभियान का नेतृत्व करने की विशेष जिम्मेदारी सौंपी थी, जबकि अनुराग ठाकुर और तरुण चुघ जम्मू क्षेत्र में प्रचार का जिम्मा संभाल रहे थे.

घाटी में बहुसंख्यक लोगों की तरह ही एक सुन्नी मुसलमान हुसैन ने 33 दिनों तक कश्मीर में डेरा डाल रखा था और इस दौरान उन्होंने 30 से अधिक रैलियों को संबोधित किया. एक अन्य वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, जो एक शिया मुसलमान हैं, ने शिया बहुल सीटों पर प्रचार किया, जिनमें श्रीनगर की एक सीट पर भाजपा को जीत हासिल हुई है.

हुसैन के घाटी से जुड़ाव का एक अन्य कारण यह भी है कि उन्होंने वाजपेयी सरकार के तहत नागरिक उड्डयन विभाग संभाला था और इस दौरान कश्मीर हवाई अड्डे को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा घोषित किया था और हज के लिए सऊदी अरब की सीधी उड़ान शुरू कराई थी.

हुसैन ने कहा, ‘क्या किसी ने सोचा था कि मुस्लिम बहुल इलाका भाजपा को वोट देगा. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि लोगों ने नरेंद्र मोदी के विकास कार्यों को देखा है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘हम तीन सीटों पर जीते और पांच सीटों पर दूसरे स्थान पर रहे, जहां हम सिर्फ तीन से नौ वोटों के अंतर से हारे. यह ऐतिहासिक है-पहले लोग कहते थे हम हिंदू पार्टी हैं, लेकिन हमने साबित किया है कि हम राष्ट्रवादी हैं. यह लड़ाई उन लोगों के बीच थी जो भारतीय ध्वज फहराना चाहते हैं और जो लोग ऐसा नहीं करना चाहते.’

घाटी में अपने प्रचार अभियान के दौरान शाहनवाज हुसैन ने पार्टी कार्यकर्ताओं के अलावा शिकारा मालिकों के संघ, पर्यटन संघ, सेब उत्पादकों, व्यापारियों और बुद्धिजीवियों के साथ दो दर्जन से अधिक बैठकें कीं. उन्होंने श्रीनगर की डल झील में एक ‘तिरंगा बोट रन’ का आयोजन भी कराया.

कश्मीर भाजपा के प्रवक्ता सोली यूसुफ ने बताया कि बैठकों को संबोधित करने से पहले हुसैन ने वहां इस्तेमाल की जाने वाली खास पोशाक (कैप और फिरन) के बारे में पूछा, क्योंकि वह ‘आम कश्मीरी’ की तरह दिखना चाहते थे. उनके भाषण उर्दू में होते थे, इसलिए लोग उनसे जुड़ पाए.

यूसुफ ने बताया, ‘वह सुबह-सुबह उठ जाते थे और नमाज के बाद चुनाव प्रचार शुरू करते थे. कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करते, कार्यकर्ताओं को रैलियों की जिम्मेदारी सौंपते और बूथ स्तर की रणनीति आदि पर चर्चा करते थे.’

केंद्र के नैरेटिव की जीत और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की शुरुआत

हुसैन ने कहा कि डीडीसी के चुनाव परिणामों में एक और संदेश छिपा है कि लोगों ने बिना किसी भय के बड़ी संख्या में मतदान किया और ‘चुनाव बिना किसी गड़बड़ी के सम्पन्न हुए.’

उन्होंने इसे रेखांकित किया, ‘त्रिस्तरीय लोकतंत्र में लोगों की भागीदारी पाकिस्तान के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि वे बुलेट में विश्वास नहीं करते, बल्कि भारतीय संविधान में विश्वास करते हैं और भारतीय ध्वज में आस्था रखते हैं.’

उन्होंने बताया, ‘मैंने कई स्थानों पर राष्ट्र ध्वज फहराया, जिसमें महबूबा मुफ्ती का निर्वाचन क्षेत्र (वह 2014 से 2018 तक अनंतनाग की सांसद थीं) भी शामिल था. हमने उनके निर्वाचन क्षेत्र में एक विशाल रैली निकालकर यह दिखाया कि भारतीय ध्वज अमर है और लोगों को उनकी बयानबाजी पर कोई विश्वास नहीं है.’

हुसैन ने कहा, ‘यह केंद्र के नैरेटिव की बड़ी जीत है क्योंकि अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद हमारी पहली प्राथमिकता एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया की शुरुआत करना था. हमने गुपकर को चुनाव लड़ने को बाध्य किया, भले ही वे इसके इच्छुक नहीं थे. वह लड़ने के लिए एकजुट हुए और कई सीटें जीतीं. अच्छी बात है कि अब उन्हें एहसास हो गया है कि अलग-थलग पड़ चुके हैं.’

उन्होंने कहा, ‘अंतत: यह जम्मू-कश्मीर में शांति और लोकतांत्रिक प्रक्रिया बहाल करने की केंद्र की नीति की जीत है.’

हुसैन ने जोर देकर कहा कि भाजपा ने विकास के एजेंडे पर प्रचार अभियान चलाया, जबकि पहले के चुनाव ‘पार्टियों ने अलगाववादी एजेंडे, पथराव और बुरहान वानी (हिजबुल मुजाहिदीन का आतंकी कमांडर जो एक मुठभेड़ में मारा गया था) के नाम पर लड़े थे.’

हुसैन ने कहा, ‘यह पहला चुनाव है जहां लोगों ने विकासात्मक धारणा पर मतदान किया है. यह जम्मू और कश्मीर के लिए एक नई शुरुआत हो सकती है. पहले कर्फ्यू लगाया जाता था और लोग चुनावों का बहिष्कार करते थे. लेकिन इस बार लोगों ने दिखा दिया है कि वे विकास चाहते हैं और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भरोसा रखते है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘परिणामों से पता चला है कि हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. जीते हुए कई निर्दलीय हमारे समर्थक हैं. यह भाजपा के लिए एक बड़ा मौका है.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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