रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा सेवानिवृत्त वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉक्टर आलोक शुक्ला को रिटायर होने के दूसरे दिन ही तीन साल के लिए दोबारा संविदा नियुक्ति दिए जाने से नाराज भाजपा इसी सप्ताह उच्च न्यायालय में चुनौती देने जा रही है. वहीं सत्तारूढ़ दल कांग्रेस ने कहा है कि शुक्ला की नियुक्ति शिक्षा के क्षेत्र में चलाए रहे गुणवत्ता पूरक कार्यक्रमों को सुचारू रखने के लिए की गई है.
दिप्रिंट से बात करते हुए भाजपा नेताओं ने बताया कि शुक्ला की नियुक्ति को हाइकोर्ट में इसी सप्ताह चुनौती दी जाएगी. मुख्य विपक्षी दल के नेताओं ने राज्य सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया है कि आलोक शुक्ला का नाम नान घोटाले में शामिल हैं और ऐसे में उनकी पुनःनियुक्ति असंवैधानिक है.
भाजपा नेताओं ने शुक्ला की संविदा नियुक्ति को राज्य सरकार की गलत मंशा का अवैध विस्तार बताते हुए कहा है कि पार्टी सरकार के इस निर्णय के खिलाफ न्यायालय में चुनौती के साथ जनता के बीच भी जाएगी.
दिप्रिंट से बात करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि सरकार द्वारा डॉक्टर आलोक शुक्ला की सेवानिवृत्त के बाद संविदा नियुक्ति नियमत: अवैध है, जिसे उनकी पार्टी आने वाले दिनों में न्यायिक के साथ-साथ हर स्तर पर चुनैती देगी.
कौशिक ने बताया कि ‘संविदा भर्ती नियम 2013 के प्रावधानों के अनुसार सेवानिवृत्त अधिकारी के विरुद्ध यदि कोई विभागीय जांच या फिर कोई और जांच लंबित हो या तो उक्त अधिकारी की पोस्ट रिटायरमेंट संविदा नियुक्ति अवैध मानी जाती है. नियम मे यह भी है कि जिस संविदा नियुक्ति वाले पद का एक साल से रिक्त होना अनिवार्य है, लेकिन यहां ऐसी कोई स्थिति नहीं थी. इस नियुक्ति को किसी भी मायने में उचित नहीं ठहराया जा सकता है.’
कौशिक ने आगे कहा, ‘शुक्ला नान घोटाले में चार्जशीटेड हैं और उनके ख़िलाफ़ जांच चल रही है. तत्कालीन मुख्य सचिव ने भी उनके निलंबन की सिफ़ारिश किया था. ऐसे सेवानिवृत्त अधिकारी को संविदा नियुक्ति देकर प्रदेश सरकार घोटालेबाजों को संरक्षण दे रही है. भ्रष्टाचार के एक आरोपी को प्रमुख सचिव स्तर की ज़िम्मेदारी सौंपकर प्रदेश सरकार ने अपनी प्रशासनिक समझ और सूझबूझ के दीवाला पिट जाने का परिचय दिया है. भाजपा इस मुद्दे को लेकर जनता को जागरूक करेगी और न्यायालय में प्रदेश सरकार के फैसले को चुनौती भी देगी.
भाजपा के प्रदेश प्रवक्त साच्चिदानंद में आरोप लगाया कि ‘यह नियुक्ति भूपेश बघेल सरकर की बदनीयती है क्योंकि सरकार के कई काबिल अधिकारी वर्तमान में विभागहीन हैं. जिन्हें सरकार कार्य आवंटन नहीं कर रही है. ऐसे में शुक्ला की नियुक्ति का आधार किसी भी तरह से काबिलियत नहीं बन सकती. इसे हाइकोर्ट में चुनौती देने कि हमारी तैयारी पूरी हो चुकी है. पार्टी इसी हफ्ते इस नियक्ति के खिलाफ बिलासपुर उच्च न्यायालय में पिटीशन दायर करेगी.
कांग्रेस का विरोध
वहीं, भाजपा के आरोप का जवाब देते हुए कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता धनंजय ठाकुर ने कहा कि आलोक शुक्ला की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में चलाए जा रहे गुणवत्ता पूरक कार्यक्रमों को सुचारू रूप से जारी रखने के उद्देश्य की पूर्ति के लिए किया गया है. सरकार द्वारा आगामी शिक्षा सत्र में कम से कम 40 मॉडल अंग्रेजी माध्यम स्कूलें खोलने का कार्य आलोक शुक्ला की निर्देशन में किया जा रहा है. इसके अलावा शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिए कई अन्य कार्यक्रम उसी अधिकारी के देखरेख में चल रहें हैं.
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इसी कारण से सरकार ने उनके सेवा जारी रखना उचित समझा. ठाकुर ने कहा की भाजपा का विरोध सिर्फ राजनीतिक कारणों से है, क्योंकि उनको हर बात का विरोध करना है. शुक्ला के खिलाफ नान घोटाले में आरोप के सवाल पर कांग्रेस प्रवक्ता कहते हैं ‘नान घोटाले में एसआईटी जांच कर रही है और इसका जो भी नतीजा होगा सबके सामने आएगा. घोटाले की जांच तो भाजपा की सरकार में चल रही थी. उन्होंने यह आवाज उस वक्त क्यों नहीं उठाया. इस मामले में यदि वे हाई कोर्ट जाते हैं तो जाएं. यह उनका अधिकार है. कोर्ट का निर्णय भी सर्वमान्य होगा.’
ज्ञात हो कि 1986 बैच के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉक्टर आलोक शुक्ला जो एक सर्जन भी हैं. 30 मई 2020 को सेवानिवृत्त हो गए थे, लेकिन राज्य सरकार द्वारा उन्हें तुरंत संविदा नियुक्ति दे दी गई. संविदा नियुक्ति में शुक्ला को प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा मंडल के चेयरमैन की जवाबदारी बरकरार रखी गयी है. पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के कार्यकाल में हुए नान घोटाला में शुक्ला को आरोपी बनाया गया था जिसकी जांच अभी चल रही है.