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Friday, 20 December, 2024
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भाजपा ने सहयोगियो से शुरू की वार्ता, शिवसेना ने नहीं साफ़ करी अपनी स्थिति

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बीजेपी और शिवसेना के नेताओं ने अमित शाह और उद्धव ठाकरे के बीच हुई बैठक की भिन्न-भिन्न रूप से विवेचना की – बीजेपी ने इस बैठक को सकारात्मक बताया और शिव सेना ने दी संदेहपूर्ण टिपण्णी।  

मुंबई: बुधवार की शाम अमित शाह और उद्धव ठाकरे के बीच हुई बैठक दोनों पक्षों के मध्य संपन्न हुई और दोनों दलों द्वारा दी गई गई टिप्पणी एक दूसरे से भिन्न थी जो कि बीजेपी और महाराष्ट्र में इसकी सहयोगी रही शिवसेना के बीच की निरंतर बढ़ती हुई दरार को दर्शाती है।

बीजेपी ने इस बैठक को  “सकारात्मक” बताया जबकि शिवसेना ने इस पर कोई खास टिपण्णी नहीं की।

शाह ने ठाकरे से उनके निवास स्थान मातोश्री में मुलाकात की, और कहा जाता है कि उन्होंने शिव सेना के साथ शांति प्रस्ताव को आगे बढाया है । बीजेपी 2019 के चुनावों के लिए अपनी सहयोगी शिवसेना को साथ लेकर चलना चाहती है क्योंकि विपक्षी दल एक समान उद्देश्य के साथ भाजपा को पराजित करने के लिये आपस में हाथ मिला रहें हैं।

शिवसेना के कुछ वरिष्ठ नेता, जो नाम नहीं बताना चाहते थे, ने कहा कि शाह ने ठाकरे को अगले कुछ महीनों में दो, तीन और बैठकों का वादा किया है लकिन शिवसेना ने अपना मत ने स्पष्ट नहीं किया।

शिवसेना के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि,” शाह ने लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी के समर्थन की मांग की है और सुझाव दिया कि दोनों राज्य विधानसभा चुनावों के लिए “अनुकूल फॉर्मूला-संभवतः 50-50 पर एक साथ काम कर सकते हैं।”

उन्होंने कहा, ” यह फार्मूला काम नहीं करेगा क्योंकि अगर पार्टी इसके साथ सहमत होती तो हम 2014 में ही इसे स्वीकार लेते। इसके अलावा, बीजेपी ने शिवसेना को इतनी बार आघात पहुचाया है कि अब शिवसेना को बीजेपी के किसी भी शब्द पर भरोसा करना मुश्किल है। “

एक नेता ने कहा, “हम लोग इंतजार करेगे और देखेंगे कि अगली कुछ बैठकों में क्या परिणाम आता है”। उन्होंने कहा कि, “कुल मिलाकर बीजेपी के लहजे से ऐसा लगता है कि उसे इस बात का एहसास हो गया है कि, शिवसेना के प्रति किये गए बर्ताव को लेकर बीजेपी से चूक हो गई है।”

मातोश्री के बंद दरवाजों के पीछे

मातोश्री में, शाह और ठाकरे की बंद दरवाजा के पीछे दो घंटे तक बैठक चली। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और ठाकरे के बेटे आदित्य ने इस बैठक में कुछ समय तक भाग लिया परन्तु दोनों पक्षों के वरिष्ठ नेताओं को हुई इस बैठक से बाहर रखा गया।

जून 2017 में जब शाह ने एनडीए के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए समर्थन प्राप्त करने हेतु  मातोश्री का दौरा किया था, इसके बाद यह पार्टी के दो प्रमुख नेताओ की पहली बैठक है ।

शिवसेना के वरिष्ठ सूत्रों ने कहा कि हो सकता है ठाकरे ने भाजपा के खिलाफ अपनी पार्टी की शिकायतों को उठाया होगा।

एक नेता ने कहा, “उद्धव साहेब ने सार्वजनिक क्षेत्रो में बार-बार इन मुद्दों के बारे में बात की है। चूकि यह एक लंबी, गोपनीय और  दो प्रमुख नेताओ के बीच की बैठक थी तो शिवसेना के अध्यक्ष ने भी शाह के साथ इन मुद्दों पर चर्चा की होगी। हमारे पार्टी प्रमुख ने शिवसेना की तरफ से असंतोष व्यक्त करते हुए कहा होगा कि वाजपेयी सरकार की तुलना में मौजूदा एनडीए की सरकार का अपने सहयोगियों के साथ संपर्क अवरोध पूर्ण है ।”

ठाकरे द्वारा बीजेपी अध्यक्ष के साथ हुई बैठक में उठाये गए अन्य मुद्दों में, केंद्रीय और राज्य मंत्रिमंडल में शिवसेना के लिए पर्याप्त प्रतिनिधित्व की कमी का मुद्दा उठाया होगा और देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाले कैबिनेट में शिवसेना के मंत्रियों को पूर्ण रूप से प्रभाव ना होने के  साथ साथ शिवसेना के सांसदों और विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों में प्रस्तावित कार्यों में हो रही लापरवाही शामिल हो सकती है।

परेशान सहयोगी

बीजेपी 2019 के लिए शिवसेना से गठबंधन करने की इच्छुक है, लेकिन कथित रूप से ठाकरे की पार्टी भाजपा के साथ गठबंधन करने की इच्छुक नहीं है और उन्होने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने के लिए आधिकारिक प्रस्ताव भी पारित कर चुकी है।

शाह के साथ बैठक से कुछ घंटे पहले, शिवसेना पार्टी के मुखपत्र सामाना में एक संपादकीय के माध्यम से बार बार अकेले चुनाव लड़ने की बात दोहराई गई है और भाजपा अध्यक्ष द्वारा चलाये जा रहें अभियान ‘समर्थन के लिए सम्पर्क’, जिसमें नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार की उपलब्धियों को प्रचारित करने के लिये प्रमुख विचारको के साथ-साथ एनडीए सहयोगियों तक पहुंचाने वाले कार्यक्रम की भी खिचाई की गई है।

शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने गुरुवार को टेलीविजन चैनलों को बताया कि “2019 के चुनाव में अकेले की दम से चुनाव लड़ना हमारी पार्टी का आधिकारिक संकल्प है। यह शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का फैसला था।हालांकि अमित शाह ने उनसे मुलाकात की और उनकी चर्चा हुई, लेकिन किसी अन्य पार्टी का नेता हमारी राजनीतिक पार्टी के आधिकारिक फैसलों को नहीं बदल सकता है।“

बीजेपी और शिवसेना के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में सीटों को साझा करने को लेकर हुई असहमति के चलते 2014 में पार्टियों के विभाजन के पहले, दोनों पार्टियां(भाजपा और शिवसेना) 25 साल से गठबंधन में थी।

विभाजन के बावजूद शिवसेना एनडीए से बाहर नहीं हुई। राज्य में चुनाव होने के बाद गठबंधन में दोनों पार्टियों ने हाथ मिला लिया। हालांकि, 2014 के परिणामों ने समीकरण को बदल दिया, जिसने शिवसेना को जूनियर पार्टनर की भूमिका में पहुंचा दिया। दोनों दल जो दृढ़तापूर्वक एक दुसरे से असहमत है और शिवसेना के मंत्री मंडल के सदस्य बीजेपी के लिये एक विपक्ष की भूमिका निभा रहे है।

Read in English : BJP wants ally on board, Shiv Sena says it’s in wait and watch mode

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