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Thursday, 25 April, 2024
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कैसे भाजपा महिला विंग ‘कमल दूत’ बन राज्य के चुनावों और 2024 के लिए तैयारी कर रही हैं

महिला मोर्चा 'कमल दूत' अभियान लेकर आया है, जिसके तहत ग्राम पंचायत स्तर पर महिलाओं को केंद्र सरकार की योजनाओं से परिचित कराने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए चुना जाएगा.

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नई दिल्ली: दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) इस साल के आखिर में होने वाले नौ विधानसभा चुनावों और उसके बाद 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए जनजातीय क्षेत्रों और हाशिए पर पड़े वर्गों की महिलाओं के साथ गहरा जुड़ाव स्थापित करने के लिए उन तक अपनी पहुंच बनाने की पूरी योजना बना रही हैं.

भाजपा महिला मोर्चा और पार्टी की महिला शाखा – ग्राम पंचायत स्तर पर महिलाओं को बोर्ड पर लाने के लिए ‘कमल दूत’ अभियान लेकर आई हैं. ये चुने गए राजदूत ट्रेनिंग सत्रों में भाग लेंगे, जहां उन्हें केंद्र सरकार की योजनाओं से परिचित कराया जाएगा ताकि वे दूसरों को इसके बारे में बता सकें. पार्टी के सूत्रों ने कहा कि इन राजदूतों (कमल दूतों) के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक मेगा रैली भी इस साल के अंत तक आयोजित की जाएगी.

इस बीच, मोर्चा इस महीने देश भर की महिला कैडरों के लिए ट्रेनिंग कार्यक्रम शुरू करने की भी योजना बना रहे है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे सभी सरकारी योजनाओं के बारे में अप-टू-डेट हैं और आम लोगों तक इसकी जानकारी पहुंचा सकें.

भाजपा महिला मोर्चा की प्रमुख वानथी श्रीनिवासन ने दिप्रिंट को बताया, ‘कभी-कभी हमारे अपने कार्यकर्ता सरकारी योजनाओं से अच्छी तरह से वाकिफ नहीं होते हैं. यदि कोई आम नागरिक उनसे मदद मांगता है तो उन्हें किसी विशेष योजना के बारे में अच्छी तरह से जानकारी होनी चाहिए.’

उन्होंने कहा, ‘हम श्रमिकों के लाभ के लिए इस तरह के ऑनलाइन ट्रेनिंग सत्र की तैयारी कर रहे हैं. इससे हमें अधिक मतदाताओं और महिला लाभार्थियों तक पहुंचने में भी मदद मिलेगी.’

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महिला मोर्चा ने केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहें विभिन्न आदिवासी कल्याण कार्यक्रमों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए आदिवासी महिला राजदूतों की नियुक्ति करके देश के विभिन्न हिस्सों में आदिवासी महिलाओं तक पहुंचने की योजना भी तैयार की है.

भाजपा महिला मोर्चा की प्रवक्ता और मेघालय की चुनाव सह प्रभारी नीतू डबास ने कहा कि इस पहल के पीछे कोई न कोई विचार छिपा हुआ है.

डबास ने कहा, ‘यह हमारे देश के लिए एक महत्वपूर्ण समय है क्योंकि हमारे देश की राष्ट्रपति संथाल समुदाय से हैं.’

पिछले साल भारत के 15वें राष्ट्रपति के रूप में द्रौपदी मुर्मू के चुनाव को कई लोगों ने भाजपा द्वारा आदिवासी मतदाताओं को लुभाने के प्रयास के रूप में देखा था.


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‘सभी महिलाओं को साथ लाने की कोशिश’

इस साल के अंत में जिन नौ राज्यों में चुनाव होने हैं उनमें आदिवासी मतदाताओं की बड़ी संख्या है. त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड – जहां मतदान फरवरी में होगा – सरकारी अनुमानों के अनुसार 32 प्रतिशत, 86.1 प्रतिशत और 86.5 प्रतिशत जनजातीय आबादी है.

त्रिपुरा की 60 विधानसभा सीटों में से 20 अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए, मेघालय की 60 में से 55 और नागालैंड की 60 में से 59 सीटें आरक्षित हैं.

डबास ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम नहीं चाहते कि कोई भी समुदाय विकास से अछूता रहे. हम उनकी बात सुन्ना चाहते है, उनका समर्थन चाहते हैं, और पार्टी के लिए उनका वोट चाहते हैं. हम सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों और गैर-लाभार्थियों दोनों को लक्षित कर रहे हैं ताकि कोई भी पीछे न छूटे.’

आदिवासी मतदाताओं के अलावा, भाजपा की महिला शाखा पार्टी की वरिष्ठ महिला नेताओं के साथ संवाद कार्यक्रम आयोजित करके युवा महिला मतदाताओं तक पहुंचने और उन्हें प्रभावित करने की कोशिश कर रही है.

महिला मोर्चा के सूत्रों ने कहा कि इस साल के अंत में, देश के शीर्ष महिला कॉलेजों में सेमिनार आयोजित करने के अलावा, बौद्धिक और प्रभावशाली महिलाओं को जुटाने के लिए पार्टी ने स्मार्ट महिला नेताओं के सम्मेलन का आयोजन करने की योजना बनाई है. यह केंद्र सरकार की योजनाओं को लोकप्रिय बनाने के लिए हैशटैग #SelfieWithLabarthi के साथ विभिन्न योजनाओं की एक करोड़ महिला लाभार्थियों को लक्षित करते हुए एक ‘सेल्फी कार्यक्रम’ भी शुरू करेगा.

श्रीनिवासन ने कहा, ‘पहले महिला मोर्चा की छवि थी कि यह केवल तब विरोध करती है जब महंगाई बढ़ती है या गैस सिलेंडर की कीमत बढ़ती है. लेकिन हाल के वर्षों में महिला मोर्चा की भूमिका कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है. हम अपने प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व के साथ सभी महिलाओं को साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं.’

भाषा की बाधा के बावजूद, हिमाचल प्रदेश में पार्टी के लिए प्रचार करने वाली महिला मोर्चा प्रमुख त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय में भाजपा उम्मीदवारों के लिए प्रचार करने के लिए तैयार हैं.

सभी चार राज्यों में जहां पिछले साल विधानसभा चुनाव हुए थे, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में महिला मतदाताओं का मतदान प्रतिशत अधिक था.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)

(संपादन: अलमिना खातून)


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