कोलकाता: पूर्व केंद्रीय मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के नवनियुक्त उपाध्यक्ष यशवंत सिन्हा का कहना है कि भाजपा ‘बॉरोड (उधार की) जनता पार्टी’ बन गयी है जो दूसरे दलों से आये नेताओं के सहारे चुनाव लड़ रही है.
उन्होंने यह भी दावा किया कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की जीत 2024 के लोकसभा चुनाव में बदलाव लाएगी.
सिन्हा ने कहा कि भाजपा के पास पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी का मुकाबला करने के लिए कोई प्रमाणिक चेहरा नहीं है और वह बाहरी ‘शाह-मोदी’ पर निर्भर है.
उन्होंने कहा कि बंगाल में चुनाव जीतने की भाजपा की लालसा से साफ होता है कि उसकी केरल, तमिलनाडु और केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी में चुनाव जीतने की बहुत कम संभावनाएं हैं, वहीं असम में जहां वह सत्ता में है, उसकी जीत कोई बहुत बड़ी बात नहीं होगी.
सिन्हा ने दिनेश त्रिवेदी के तृणमूल कांग्रेस छोड़ने से खाली हुई राज्य सभा की सीट पाने के लिए तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने की धारणाओं को खारिज करते हुए कहा, ‘यह मेरे निर्णय को देखने का बहुत संकीर्ण तरीका है.’
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्त और विदेश मंत्री रहे सिन्हा ने कहा कि आज की भाजपा ‘दो लोगों’ द्वारा नियंत्रित है जिनके पास सारे अधिकार हैं.
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘भाजपा ने खुद को बंगाल में बॉरोड (उधार की) जनता पार्टी बना लिया है. वे दूसरे दलों से आये नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ चुनाव लड़ रहे हैं. उनके पास बंगाल में ममता बनर्जी की टक्कर का नेता नहीं है.’
पश्चिम बंगाल चुनाव पर सिन्हा ने कहा कि राज्य विधानसभा चुनावों को लेकर अभूतपूर्व माहौल बनाने के बाद भी भाजपा पराजित होगी.
उन्होंने कहा, ‘इस बार चार राज्यों- पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु और असम तथा केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी में चुनाव होने जा रहे हैं.’
पूर्व भाजपा नेता ने कहा, ‘वे असम में पहले ही सत्तारूढ़ दल हैं, इसलिए वहां उनकी जीत कोई बड़ी बात नहीं होगी. इसलिए केवल बंगाल में जीतने से इनाम मिल सकता है और इसलिए भाजपा वहां पूरी ताकत झोंक रही है.’
उन्होंने कहा कि बंगाल चुनाव के नतीजों का राष्ट्रीय असर होगा और राष्ट्रहित में भाजपा को रोकना जरूरी है.
सिन्हा ने कहा, ‘भाजपा ने चुनावों को लेकर अभूतपूर्व माहौल बनाया है. उन्हें लगता है कि वे देश में समस्त विपक्ष को दबा सकते हैं. लेकिन इतने हंगामे के बावजूद उनके बंगाल में जीतने की संभावना नहीं है.’
उन्होंने कहा, ‘पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की जीत 2024 के आम चुनाव में बदलाव लाने वाली तथा भाजपा को हराने वाली होगी. पूरा देश इस चुनाव पर नजर गड़ाये हुए है और इससे विपक्ष एकजुट होगा.’
बंगाल में बाहरी और भीतरी की बहस पर सिन्हा ने कहा कि यह बात सामने आनी ही चाहिए क्योंकि भाजपा नरेंद्र मोदी और अमित शाह को सामने रखकर वोट मांग रही है.
उन्होंने कहा, ‘अगर भाजपा ने किसी स्थानीय नेता को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाया होता तो इस चुनाव में यह बात नहीं आती क्योंकि तब वे आसानी से कह सकते थे कि वे स्थानीय नेताओं की मदद के लिए आये हैं.’
सिन्हा ने कहा, ‘लेकिन पार्टी शाह-मोदी को अपने चेहरों के तौर पर पेश कर रही है और इसलिए उन्हें बाहरी कहा जा रहा है.’
जब सिन्हा से पूछा गया कि उन्हें भी भाजपा के नेता बंगाल की राजनीति में बाहरी कह रहे हैं तो उन्होंने कहा, ‘मैं यहां चुनाव लड़ने नहीं आया और ना ही मुझे यहां चेहरा बनाकर पेश किया गया है. मैं यहां ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस की सहायता के लिए आया हूं.’
सिन्हा ने इसी महीने तृणमूल कांग्रेस की सदस्यता ली थी.
मोदी और शाह के मुखर आलोचक माने जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री ने 2018 में भाजपा छोड़ दी थी.
नौकरशाह से नेता बने सिन्हा के बेटे जयंत सिन्हा भाजपा में ही हैं और झारखंड के हजारीबाग से लोकसभा सदस्य हैं.
केरल में 88 वर्षीय ई श्रीधरन और बंगाल में इतनी ही उम्र के रवींद्रनाथ भट्टाचार्य के भाजपा में शामिल होने के बारे में सिन्हा ने कहा, ‘यह भाजपा की खुद की इस नीति का उल्लंघन है कि 75 वर्ष से अधिक उम्र के नेताओं को सक्रिय राजनीति से हट जाना चाहिए.’
तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के बारे में पूछे जाने पर सिन्हा ने कहा, ‘मैंने 2018 में दलीय राजनीति में सक्रिय नहीं रहने का फैसला किया था और तय किया था कि केवल राष्ट्रीय महत्व से जुड़े विषयों पर बोलूंगा. लेकिन हालात बदल गये और चीजें बद से बदतर होती गयीं.’
उन्होंने कहा, ‘मुझे लगा कि मैं अगर किसी राजनीतिक दल में शामिल हो जाऊंगा तो बड़ा योगदान दे सकता हूं.’
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