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Saturday, 16 November, 2024
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अर्णब गोस्वामी ‘व्हाट्सएप स्कैंडल’ पर भाजपा की रणनीति- नेता खमोशी बरतें और बजट पर ध्यान लगाएं

पिछले साल जब अर्णब गोस्वामी गिरफ्तार हुए थे तो बीजेपी नेताओं ने उनका बचाव किया था लेकिन इस बार लगता है कि उनकी छवि और सत्तारूढ़ व्यवस्था के साथ उनके रिश्तों को अपूरणीय क्षति हुई है.

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नई दिल्ली: रिपब्लिट टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी की लीक हुई व्हाट्सएप बातचीत ने बीजेपी के अंदर कुछ घबराहट सी फैला दी है, जिसने अब अपने प्रवक्ताओं और अन्य नेताओं को निर्देश दिया है कि इस मामले पर सार्वजनिक रूप से कुछ न कहें.

सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी से जुड़े लोग, इस विवाद पर काफी हद तक खामोश ही रहे हैं जबकि इसके मुकाबले पिछले साल, मुम्बई पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने पर उन्होंने खुलकर अर्णब गोस्वामी का बचाव किया था.

नेताओं ने कहा कि अर्णब गोस्वामी और ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता के बीच व्हाट्सएप बातचीत, अचानक लीक होकर सामने आई और पार्टी इसके लिए तैयार नहीं थी. लेकिन उन्होंने आगे कहा कि पार्टी, अब 29 जनवरी से शुरू होने वाले संसद के बजट सत्र में विपक्ष की योजनाओं से निपटने के लिए अपनी रणनीति बना रही है.

कांग्रेस पहले इस मामले में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) द्वारा जांच कराने की मांग की है और राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए नरेंद्र मोदी सरकार के साथ गोस्वामी की नज़दीकियों के दावों पर चिंता जताई है. अन्य विपक्षी नेताओं ने भी दावा किया है कि बातचीत से स्पष्ट ज़ाहिर होता है कि फरवरी 2019 में पाकिस्तान के बालाकोट पर हमले से जुड़ी संवेदनशील जानकारी गोस्वामी को लीक की गई थी.

वरिष्ठ पदाधिकारियों का कहना है कि हालांकि कुछ पार्टी नेताओं को लगता है कि बीजेपी आसानी से बालाकोट पर होने वाले हवाई हमलों की जानकारी, गोस्वामी को कथित रूप से लीक करने से संबंधित, विपक्षी हमलों से निपट सकती है, लेकिन इस ‘चैटगेट’ ने टीवी एंकर की छवि और सत्तारूढ़ व्यवस्था के साथ उनके रिश्तों को अपूरणीय क्षति पहुंचाई है.

एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने कहा, ‘इस घटना ने निश्चित रूप से उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है. राष्ट्रीय सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, और ऐसी चैट्स ने सिर्फ ये दिखाया है कि अर्णब के लिए भी ये सब तुच्छ टीआरपीज़ के लिए था. पार्टी और सरकार के साथ उनके जिस तरह के रिश्ते थे, उनमें निश्चित रूप से फर्क आएगा’.


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दोहरी रणनीति

बीजेपी अब एक दोहरी रणनीति पर काम कर रही है- पहली ये कि पीएम मोदी ने पहले ही संकेत दे दिया था कि भारत पुलवामा आतंकी हमले का जवाब देगा, जिसमें 40 सीआरपीएफ जवान मारे गए थे, इसलिए किसी लीक का सवाल ही नहीं उठता और दूसरी, ये कि कोविड से पैदा हुए आर्थिक संकट के बाद हमारा फोकस केंद्रीय बजट पर होना चाहिए.

वरिष्ठ बीजेपी नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता आरपी सिंह ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक रैली में ऐलान किया था कि पुलवामा की घटना की प्रतिक्रिया होगी और बहुत से पत्रकार दो और दो को जोड़ सकते थे. अपने भाषण में, पीएम ने स्पष्ट कर दिया था कि भारत जवाबी कार्रवाई करेगा. इसलिए (अर्णब गोस्वामी के) लीक का सवाल ही पैदा नहीं होता’.

सिंह ने आगे कहा, ‘ये कोई रॉकेट साइंस नहीं है, जैसा कि विपक्ष इसे दिखाने की कोशिश कर रहा है. हमारे पीएम हमेशा हर चीज़ की घोषणा करते हैं, चाहे वो नोटबंदी हो या सर्जिकल स्ट्राइक हो. विपक्ष हर चीज़ को मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहा है. हमें बजट पर ध्यान लगाना चाहिए’.

कांग्रेस के हमले को कुंद करने के लिए, सिंह ने इस बारे में ट्वीट भी किया लेकिन ज़्यादा नेताओं ने इस रणनीति पर अमल नहीं किया है और खामोश रहना पसंद किया है.

अर्णब गोस्वामी चैट्स विवाद पर टिप्पणी के लिए पूछे जाने पर, बीजेपी राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल अग्रवाल ने कहा: ‘कृषि की बात कीजिए, अर्थव्यवस्था की बात कीजिए और बजट पर बात कीजिए’.

बीजेपी सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता अराजिता सारंगी ने आगे कहा: ‘विपक्ष कुछ भी बात करने के लिए स्वतंत्र है लेकिन उन्हें कार्य मंत्रणा समिति का सम्मान करना चाहिए, जो तय करती है कि एजेंडा क्या होना चाहिए. मोदी सरकार सकारात्मक शासन में विश्वास करती है और वो चाहेगी कि विपक्ष समेत हर कोई उसका हिस्सा हो. विपक्ष को इस मंच का इस्तेमाल, अपना एजेंडा आगे बढ़ाने के लिए नहीं करना चाहिए’.


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‘उकसावे के बिना टिप्पणी न करें’

लेकिन साथ ही पार्टी प्रवक्ताओं और नेताओं को ये भी कहा गया है कि अर्णब गोस्वामी मुद्दे को सोशल मीडिया पर न उठाएं, जब तक कि कोई उकसावा न हो.

दिप्रिंट से बात करने वाले कई नेताओं ने कहा कि चैट लीक ने एक भानुमती का पिटारा खोल दिया है और उनके लिए मुश्किलें पैदा कर दी हैं. ऐसे समय जब बीजेपी पहले ही कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शनों को ‘संभालने’ में लगी है, चैट लीक्स ने सिर्फ उसका एक निगेटिव प्रचार किया है.

एक अन्य वरिष्ठ बीजेपी नेता ने जो अपनी पहचान छिपाना चाहते थे, कहा, ‘निश्चित रूप से ये समय सरकार और पार्टी दोनों के लिए खराब है. चैट में कई मंत्रियों के नाम सामने आए हैं, जिनपर अर्णब गोस्वामी के खिलाफ मिली बहुत सी शिकायतों पर आंखें मूंदने का आरोप है. इससे हमारे लिए एक कठिन परिस्थिति पैदा हो गई है’.

नेता ने आगे कहा, ‘सरकार अच्छे तरीके से काम कर रही है, चाहे वो कोरोनावायरस की वजह से हुए लॉकडाउन से निपटना हो, हर ज़रूरतमंद तक अनाज पहुंचाना हो और अब टीकाकरण शुरू करना हो. विपक्ष के पास उठाने के लिए कोई मुद्दा नहीं था लेकिन कृषि कानूनों और अब अर्णब की चैट्स ने, अब उसे थाली में सजाकर मुद्दे दे दिए हैं’.

बार-बार प्रधानमंत्री कार्यालय का उल्लेख और बातचीत में प्रकाश जावड़ेकर, स्वर्गीय अरुण जेटली और राज्यवर्धन राठौड़ समेत, कई नेताओं का ज़िक्र भी एक मुद्दा है- एक वरिष्ठ मंत्री ने, जो अपनी पहचान छिपाना चाहते थे, इस बात को माना कि ये पहली बार हुआ है कि किसी ने पीएमओ पर सवाल खड़े किए हैं, जिसे शीर्ष नेतृत्व ने बिल्कुल पसंद नहीं किया है.

एक बीजेपी नेता ने, जो संसदीय संयोजकों में से एक हैं, दिप्रिंट से कहा: ‘संसद के भीतर हम किसी तरह इन हमलों से निपट लेंगे, लेकिन उससे बड़ा सवाल अवधारण की लड़ाई का है, जो अर्णब चैट्स विवाद में हमारे खिलाफ चली गई है. हालांकि इसकी तुलना राडिया टेप्स से नहीं की जा सकती, जहां सारी बातचीत (2जी) स्पेक्ट्रम को तय करने पर थी, यहां पर विपक्ष टीआरपी की खातिर व्यक्तिगत भ्रष्टाचार को स्थापित कर सकता है’.

नेता ने आगे कहा: ‘हम पहले ही कह चुके हैं कि आईएंडबी मंत्रालय, टीआरपी मीटर्स बढ़ाने की एक विशेष कमेटी की सिफारिशों पर विचार कर रहा है. लेकिन अर्णब की चैट्स में कहा गया है कि ‘सभी मंत्री हमारे साथ हैं’ और ‘पीएमओ हमारे साथ है’ जिसे सरकार ने पसंद नहीं किया गया’.

एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा: ‘टीवी चैनल्स के विभिन्न प्रमोटर्स के बीच, प्रतिद्वंदिता अब खुलकर सामने आ रही है, जिससे सरकार का खराब प्रचार हो रहा है. लेकिन इस बार, सरकार सिर्फ मुम्बई पुलिस की जांच पूरी होने का इंतज़ार कर सकती है. कोई नहीं जानता कि आने वाले दिनों में, और ऐसी कितनी और लीक्स सामने आएंगी’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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