लखनऊ: लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में महागठबंधन का चक्रव्यू भेदने के बाद बीजेपी ने अब उप-चुनाव पर फोकस करना शुरू कर दिया है. प्रदेश में विधानसभा की खाली होने वाली 12 सीटों पर उप-चुनाव नवंबर तक होने की उम्मीद है. ऐसे में बीजेपी ने अभी से फोकस करना शुरू कर दिया है. वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल हार की समीक्षा करने में जुटे हैं.
12 सीटों पर होगा उपचुनाव
बता दें कि हाल में ही हुए लोकसभा चुनाव में प्रदेश के 11 विधायक सांसद बन गए हैं. इसमें 8 विधायक बीजेपी और एक-एक विधायक सपा व बसपा के हैं. सपा से आजम खां रामपुर से सांसद हुए हैं. जबकि बीएसपी से रितेश पांडेय ने आंबेडकर नगर से चुनाव जीता है. बीजेपी से अक्षयवर लाल गोंड बहराइच, रीता बहुगुणा जोशी इलाहाबाद, एसपी सिंह बघेल आगरा और सत्यदेव पचौरी कानुपर से सांसद बन गए हैं.
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इसके अलावा, संगम लाल गुप्ता प्रतापगढ़, प्रदीप कुमार चौधरी, कैराना आरके पटेल बांदा, उपेंद्र रावत, बाराबंकी व राजबीर सिंह दिलेर, हाथरस से सांसद बने हैं. वहीं, बीजेपी के हमीरपुर से विधायक अशोक कुमार चंदेल को पांच व्यक्तियों की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा हाई कोर्ट सुना चुकी है. सुप्रीम कोर्ट से भी राहत न मिलने के बाद उनकी सीट को रिक्त घोषित करने की प्रक्रिया चुनाव आयोग ने शुरू कर दी है इसलिए वहां भी उपचुनाव होगा.
बीजेपी ने सांसदों को सौंपी जिम्मेदारी
बीजेपी ने उपचुनाव की तैयारी भी शुरू कर दी है. सूत्रों के मुताबिक पिछले दिनों हुई बैठक में उप-चुनाव वाली सीटों को लेकर रणनीति तैयार की गई. उप-चुनाव को देखते हुए यहां से सांसद चुने गए नेताओं को इन स्थानों के लोगों से लगातार संपर्क व संवाद के लिए जाने के लिए बोल दिया गया है.
भले ही वे सांसद बन गए हों लेकिन विधानसभा उपचुनाव में इन सीटों पर उन्हें मेहनत करनी होगी. उसी आधार पर इन सांसदों का मूल्यांकन भी होगा. इसके अलावा बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान भी जल्दी किया जाएगा.
बसपा व कांग्रेस के उपचुनाव लड़ने पर संशय
इस उप-चुनाव में कांग्रेस व बसपा अपने प्रत्याशी उतारेंगे या नहीं इस पर संशय बरकरार है. दरअसल आमतौर पर बसपा उपचुनाव में प्रत्याशी नहीं उतारती है. इस बार उतारेगी या नहीं ये भी साफ नहीं. फिलहाल मायावती लोकसभा चुनाव की समीक्षा में व्यस्त हैं. वहीं अमेठी हारने के बाद यूपी में कांग्रेस की स्थिति तो बेहद खराब हो गई है. यूपी में संगठन में ऊपर से नीचे तक बड़े बदलाव की मांग चल रही है. ऐसे में पार्टी के उपचुनाव लड़ने पर भी संशय दिख रहा है.
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सपा लड़ेगी चुनाव लेकिन अभी चल रही हार की समीक्षा
लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद समाजवादी पार्टी में कई समीक्षा बैठक हो चुकी हैं. सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव खुद इन बैठकों में शामिल हए. वहीं अखिलेश ने नतीजे आने के बाद से चुप्पी साध रखी है. अब वह आजमगढ़-गाजीपुर के दो दिवसीय दौरे पर रवाना हो गए. वहां वह जनसंवाद करेंगे. ये तो तय है कि सपा उपचुनाव लड़ेगी. लेकिन अखिलेश-मायावती एक साथ उपचुनाव में प्रचार करते दिखेंगे इस पर अभी संशय बरकरार है.
क्या बरकरार रहेगा गठबंधन
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद एक सवाल सबके मन में है कि क्या अब सपा-बसपा का गठबंधन बरकरार रहेगा.
हालांकि बसपा प्रमुख मायावती नतीजे के दिन ही यह कह चुकी हैं कि आगे भी उनका एसपी के साथ बना रहेगा. वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का अब तक कोई सार्वजनिक बयान नहीं आया है. सूत्रों का कहना है कि आमतौर पर बीएसपी उपचुनाव नहीं लड़ती. इसलिए, मैदान में सपा ही उतरेगी.
ऐसी परिस्थति में दोनों के साथ बने रहने पर फिलहाल खतरा नहीं दिखता है. देखना यह होगा कि बीएसपी अपनी खाली हुई सीट पर उम्मीदवारी उतारती है कि नहीं. नतीजे अनुकूल रहे तो गठबंधन के लिए राहत होगी और 2022 के विधानसभा चुनाव में वे कुछ जोश के साथ उतरेंगे. वहीं, बीजेपी उन्हें यह मौका नहीं देना चाहेगी.माना जाता है कि उपचुनाव आम तौर पर बीजेपी को सुहाते नहीं है. लेकिन वह ये मिथक तोड़ने के लिए अभी से जुट गई है.
इन सीटों पर होंगे उपचुनाव
जलालपुर, बलहा (सुरक्षित), जैदपुर (सुरक्षित),रामपुर सदर, मानिकपुर, गंगोह, प्रतापगढ़, गोविंद नगर, लखनऊ कैंट, टुडला (सुरक्षित), इगलास, हमीरपुर.