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Saturday, 23 November, 2024
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महाराष्ट्र चुनाव में दिग्गज फडणवीस और गडकरी के गढ़ में भी फीकी रही भाजपा की चमक

महाराष्ट्र की राजनीति में हमेशा से ही 62 विधानसभा सीटों वाले इस विदर्भ खासी अ​हमियत रहीं है. यह क्षेत्र जिस भी चुनाव में जिस पार्टी के साथ जाता है वह चुनाव फिर एकतरफा ही हो जाता है.

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नई दिल्ली: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 में भाजपा और शिवसेना की सीटों में आई कमी की बड़ी वजह विदर्भ और पश्चिम महाराष्ट्र के क्षेत्र रहे हैं. विदर्भ क्षेत्र से न केवल सूबे के मुखिया देवेंद्र फडणवीस बल्कि केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी यहीं से आते हैं. इसके अलावा कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का गढ़ कहे जाने वाले पश्चिम महाराष्ट्र में भी भाजपा और शिवसेना उम्मीद के मुताबिक अपना प्रदर्शन नहीं कर सकी और पश्चिमी महाराष्ट्र ने भी इस चुनाव में कांग्रेस और एनसीपी का हाथ थामना ही ठीक समझा.

महाराष्ट्र की राजनीति में हमेशा से ही 62 विधानसभा सीटों वाले विदर्भ की खासी अ​हमियत रही है. ऐसा देखा गया है कि यह क्षेत्र जिस पार्टी के साथ जाता है वह चुनाव एकतरफा हो जाता है. इस बार के विधानसभा चुनाव के नतीजों में भाजपा के खाते में सिर्फ 27 सीटें, कांग्रेस को 17, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को छह और शिवसेना को चार ही सीटें मिली है.जबकि विधानसभा चुनाव 2014 में भाजपा को 44 सीटें, ​कांग्रेस को 10, एनसीपी को एक और शिवसेना को चार सीट मिली थीं. इस बार के चुनावों में भाजपा अगर 2014 का अपना प्रदर्शन दोहरा देती तो भाजपा की न केवल सीटों में इजाफा होता बल्कि वह अपने दम पर ही सरकार बनाने में कामयाब भी हो सकती थी.

किसानों की आत्महत्याएं रही सबसे बड़ी वजह

किसानों की समस्याओं से जूझ रहे विदर्भ क्षेत्र में केंद्र सरकार और भाजपा सरकार ने अपने कार्यकाल में पिछले सरकारों की तुलना में कई काम किए. इसके बावजूद क्षेत्र में किसानों की आत्महत्याएं न रुकने के कारण विपक्ष लगातार देवेंद्र फडणवीस सरकार को घेरने में लगा रहा. नतीजा इसका यह निकला कि यहां विपक्ष अपने पैर जमाने में कामयाब रहा. इसके चलते भाजपा की सीटों में कमी आई है.

इधर, प​श्चिमी महाराष्ट्र में भगवा लहराने के लिए सत्ताधारी भाजपा ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी. कांग्रेस और एनसीपी के दिग्गज नेताओं को भर्ती करने से लेकर प्रचार अभियान में भी यहां कोई कसर नहीं छोड़ी गई. कांग्रेस और एनसीपी का गढ़ रहे पश्चिमी महाराष्ट्र में इन चुनावों में भाजपा और शिवसेना गठबंधन को सफलता हाथ नहीं लगी है.

2014 के विधानसभा चुनावों में भाजपा और शिवसेना ने अपने अपने दम पर चुनाव लड़कर कुल 37 सीटें हासिल की थीं. लेकिन इस बार गठबंधन के साथ लड़ने के बावजूद इस क्षेत्र में 26 सीटें ही हाथ आ पाई. ​पश्चिमी महाराष्ट्र को चीनी बेल्ट कहा जाता है. यह क्षेत्र एनसीपी का पुराना गढ़ रहा है.

इस बार एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार अपना किला बचाने में कामयाब रहे है. इन चुनावों में उनकी पार्टी ने ज्यादा सीटें हासिल की है. बता दें कि 2014 विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी को 41 सीटें मिली थीं, जबकि इस बार पार्टी ने 54 सीटें जीत ली हैं और उसे 13 सीटों का फायदा हुआ है.

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