नई दिल्ली: महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के शपथ लेने के बाद विपक्ष की ओर से हो रही बयानबाजी पर भाजपा ने विरोधियों पर निशाना साधा है. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कांन्फ्रेंस कर कहा कि राज्य की जनता ने भाजपा-शिवसेना को जनादेश दिया था. बीजेपी बड़ी पार्टी बनकर उभरी. सीएम के लिए देवेंद्र फडणवीस को जनादेश मिला था. शिवसेना को जिताने में बीजेपी समर्थकों का बड़ा हाथ था. ये हमारी नैतिक और राजनीतिक जीत थी. देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई में हमें जीत मिली थी.
प्रसाद ने कहा, ‘चुनाव परिणाम के बाद शिवसेना किसके इशारे पर उत्तेजक हो गई थी? शरद पवार और कांग्रेस ने परिणाम के बाद बयान दिया था कि हमें विपक्ष में बैठने का जनमत मिला है. तो ये विपक्ष में बैठने का जनमत कुर्सी के लिए मैच फिक्सिंग कैसे हो गया था. सत्ता के स्वार्थ के लिए 30 साल की दोस्ती को तोड़ दिया. ये चोर दरवाजे से वित्तीय राजधानी पर कब्जा करने की साजिश थी.’ उन्होंने कहा, ‘महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मैनडेट था भाजपा और शिवसेना को, लेकिन बड़ी पार्टी भाजपा थी. बहुत साबित करने की जगह विधानसभा है. बीजेपी प्रभावी तरीके से बहुमत साबित करेगी.’
जो बाला साहेब के आदर्शों को जीवित नहीं रख सके उनके बारे में कुछ नहीं कहना
रविशंकर प्रसाद ने शिवसेना नेता संजय राउत का नाम लिए बगैर कहा, ‘कुछ लोग छत्रपति शिवाजी की विरासत की बात कर रहे हैं, उनसे मैं बस इतना कहूंगा कि सत्ता के लिए अपने विचारों से समझौता करने वाले तो कम से कम छत्रपति शिवाजी की बात न करें. जो आदरणीय बाला साहब ठाकरे के आदर्शों को जीवित नहीं रख सके उनके विषय में कुछ नहीं कहना है. उनका प्रमाणिक कांग्रेस विरोध जग जाहिर है, उनकी राष्ट्रभक्ति और राष्ट्रवाद और भारत की संस्कृति-संस्कार के प्रति समर्पण प्रमाणिक है.’ किस तरह से स्तरहीन और शब्दों का प्रयोग हमारे लिए गया. फिर भी हमने कोई जवाब नहीं दिया.
यह भी पढ़ें : शरद पवार बोले- विधायक हमारे साथ, भाजपा सदन में बहुमत साबित नहीं कर पाएगी
रविशंकर प्रसाद ने एनसीपी और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, ‘राज्यपाल ने तीनों पार्टियों को बुलाया था. एनसीपी और शिवसेना को बुलाया तो उन्होंने कहा कि और समय दीजिए. आज सुबह भाजपा और अजित पवार जी के साथ एनसीपी के तबके ने आवेदन दिया कि हमारे पास बहुमत है. क्या शिवसेना और एनसीपी का कोई आवेदन राज्यपाल के पास अब तक था?
रविशंकर प्रसाद ने शिवसेना पर हमला बोलते हुए कहा, ‘कहा जा रहा है कि लोकतंत्र की हत्या हो गई है. जब शिवसेना स्वार्थ भाव से प्रेरित होकर अपनी 30 साल की दोस्ती तोड़कर अपने घोर विरोधियों का दामन थाम ले तो ये लोकतंत्र की हत्या नहीं है क्या? और एक स्थाई सरकार के आग्रह पर देवेन्द्र फडणवीस की अगुवाई में अजित पवार के साथ बड़ा तबका आकर सरकार को सहयोग करे तो इसे लोकतंत्र की हत्या कहा जाता है. अब 30 साल के राष्ट्रवाद को तिलांजलि देकर नए रिश्ते खोजे जा रहे है.’