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Saturday, 2 November, 2024
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हरियाणा विधानसभा चुनाव: खट्टर का दो-तिहाई बहुमत लाने का दावा कितना सही?

5 जून को भाजपा कार्यकर्ताओं की एक बैठक 'कार्यकर्ता अभिनंदन समारोह' को संबोधित करते हुए मनोहर लाल खट्टर ने दो-तिहाई वोट लाने की घोषणा भी कर दी है.

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नई दिल्ली: हरियाणा विधानसभा चुनावों के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी ने चुनावी दंगल की तैयारियां शुरू कर दी हैं. गौरतलब है कि राज्य में पांच महीने बाद अक्टूबर महीने में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में लोकसभा चुनाव में 10  की 10 सीटों पर प्रचंड बहुमत दिलाने वाली खट्टर सरकार पर विधानसभा चुनावों में भी ऐसा ही प्रदर्शन करने का जिम्मा है. 5 जून को भाजपा कार्यकर्ताओं की एक बैठक ‘कार्यकर्ता अभिनंदन समारोह’ को संबोधित करते हुए मनोहर लाल खट्टर ने दो-तिहाई वोट लाने की घोषणा की है.

4 जून को मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने कैबिनेट की मीटिंग बुलाई थी और कुछ ज़रूरी फैसले भी लिए थे. अधिकारियों को पेंडिंग पड़े काम तीन महीने में पूरे करने के कड़े निर्देश दिए गए हैं. इसके साथ ही राज्य में सरकारी नौकरियों की भर्तियां भी निकाली हैं. 6 जून से 20 जून तक हरियाणा के सभी ज़िलों में भाजपा संगठनात्मक बैठकें भी बुलाएगी.

कैबिनेट में लिए गए कुछ फैसलों पर एक नज़र-

सरकार ने फरीदाबाद, करनाल और गुरुग्राम ज़िलों में साइकिल ट्रैक बनाने की मंजूरी दी है. ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग रोजाना साइकिल का प्रयोग करने के लिए प्रेरित हो सकें.

ग्राम सचिव के लिए ग्रेजुएशन और जिलेदार की नौकरी के लिए के लिए 55% व नहरी पटवारी के लिए 50% अंक अनिवार्य कर दिए गए हैं.

ग्रुप-सी और ग्रुप डी की भर्ती में 10 अंक सामाजिक-आर्थिक व अनुभव के आधार पर मिलेंगे. साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं में 25 फीसदी सवाल हरियाणा से जुड़े होने की बात भी कही गई है.

छात्रों को शिक्षण संस्थानों में ही लर्नर ड्राइविंग लाइसेंस दिए जाएंगे. विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रार, मेडिकल कॉलेजों के निदेशक,राजकीय एवं सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेजों के प्राचार्य, एलोपैथिक एवं यूनानी कॉलेजों के निदेशक व प्राचार्य आदि को यह अधिकार दिया गया है.

हरियाणा में टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए एक एजेंसी नियुक्त की जाएगी जो टूरिज्म की दृष्टि से विकसित होने वाली जगहों का अध्ययन करेगी. इसके साथ ही ग्रामीण सड़कों को चौड़ा किए जाने की बात भी कही है.

विपक्षी पार्टियों ने शुरू की मीटिंग्स

भाजपा की इन तैयारियों के इतर विपक्षी पार्टियां भी अपने कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम करना शुरू कर चुकी हैं. आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के साथ-साथ हरियाणा को लेकर भी सोशल मीडिया पर अपना अभियान चलाना शुरू किया है. आम आदमी पार्टी के नवीन जयहिंद ने दिप्रिंट को बताया, ‘तैयारी तो हम कर ही रहे हैं. कार्यकर्ताओं से मिलना भी शुरू कर दिया है. आंकलन किया जा रहा है. भाजपा ने झूठ के दम पर नैरेटिव गढ़ दिया है. सेना का, राष्ट्रवाद का, धर्म का. हमने तो लोकसभा में अपने काम के दम पर वोट मांगे थे. इस बार भी उसी आधार पर मांगेंगे.’

वहीं, जननायक जनता पार्टी के मीडिया प्रभारी दीपकमल सहारण ने दिप्रिंट को बताया, ‘अभी दिल्ली में मीटिंग्स चल रही हैं. आम आदमी पार्टी से गठबंधन तो है ही, आगे की रणनीति क्या होगी इसपर बात चल रही है.’

इसके अलावा हरियाणा प्रदेश कांग्रेस में भी मंगलवार 4 जून को बैठक हुई है. मगर इस बैठक में भी कांग्रेसी नेताओं के आपसी मतभेद खूब उभर कर सामने आए. राज्य में कांग्रेस की हार और विधानसभा चुनाव पर चर्चा की गई. आरोपों-प्रत्यारोपों के बीच अशोक तंवर का इस्तीफा मांगा जा रहा है. गौरतलब है कि रोहतक और सोनीपत सीट से सीनियर भूपिदंर सिंह हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा के हार जाने के बाद आगामी विधानसभा चुनाव हुड्डा परिवार के लिए आर-पार की लड़ाई है.

दो विधानसभा सीटों से लोकसभा में प्रचंड बहुमत लाने तक 

एक समय था जब 1991 में भाजपा ने हरियाणा में पहली बार चुनाव लड़ा. लेकिन 90 विधानसभा सीटों में से सिर्फ 2 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई थी. फिर साल 2014 में वही भाजपा मोदी लहर में 90 में से 47 सीटें जीती और राज्य में सरकार बनाई. जाट बाहुल्य राज्य में भजनलाल के बाद मनोहरलाल खट्टर ऐसे गैर जाट मुख्यमंत्री बने हैं जो अपना कार्यकाल पूरा कर पाए हैं. इससे पहले गैर जाट मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए थे.

इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 10 लोकसभा सीटों पर क्लीन स्वीप करते हुए कांग्रेस-इनेलो का सूपड़ा साफ कर दिया है. 2019 के आम चुनाव में हरियाणा में करीब 58 प्रतिशत वोट लेकर आई भाजपा के लिए आगामी विधानसभा चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करने का दबाव है. लेकिन इस लोकसभा चुनाव में 90 सीटों में से 79 सीटों में बढ़त मिलने से भाजपा विश्वत भी है.

2009 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का वोट शेयर महज 9 फीसदी था तो कांग्रेस का वोट शेयर लगभग 36 फीसदी था. 2014 के चुनाव में भाजपा का वोट शेयर बढ़कर 34.7 फीसदी हो गया था और कांग्रेस का घटकर 21 फीसदी हो गया.

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