मुंबई: मुंबई में गुरुवार को पहले स्पेशल पुलिस कमिश्नर के तौर पर पदभार संभालने के कुछ ही घंटों बाद आईपीएस अधिकारी देवेन भारती ने ट्वीट किया, ‘मुंबई पुलिस एक टीम है और इसमें कोई सिंघम नहीं है.’
वैसे तो भारती का ट्वीट किसी खास संदर्भ से जुड़ा नजर नहीं आ रहा था, लेकिन इसे उनकी नियुक्ति को लेकर जारी राजनीतिक आलोचना से जोड़कर देखा गया.
महा विकास अघाड़ी (एमवीए)—जिसमें शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस शामिल हैं—के नेता एक स्पेशल सीपी का पद सृजित करने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले की आलोचना कर रहे हैं. इसके बारे में उनका कहना है कि यह मुंबई पुलिस के भीतर एक अलग पॉवर सेंटर बना देगा.
उनका आरोप है कि देवेन भारती का उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के प्रति ‘निष्ठावान’ अफसर होना भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मुंबई पुलिस पर दबाव बनाए रखने में सक्षम बनाएगा.
एनसीपी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर गुरुवार को दिप्रिंट को बताया, ‘भाजपा के लिए इस नियुक्ति का मतलब सिर्फ यह है कि मुंबई पुलिस में उसका कोई भरोसेमंद वरिष्ठ अधिकारी हो. सत्ता के गलियारों में यह बात किसी से छिपी नहीं है कि देवेन भारती एक ऐसे अफसर हैं जो देवेंद्र फड़नवीस के काफी भरोसेमंद हैं. हमारे शासनकाल के दौरान भारती ने एक बार भी राज्य के गृह मंत्री से मुलाकात नहीं की.’
दूसरी तरफ, गृह विभाग भी संभाल रहे डिप्टी सीएम फडणवीस ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि विशेष सीपी पद ‘एक मिसिंग लिंक को जोड़ने’ जैसा है.
इस बीच, कुछ सेवानिवृत्त मुंबई पुलिस प्रमुखों ने भी नए पद के गठन को उचित ही माना है. उनका कहना है कि मुंबई एक विशाल शहर है जहां पुलिस की जिम्मेदारी अक्सर सिर्फ अपराध नियंत्रण और कानून-व्यवस्था बनाए रखने से कहीं ज्यादा होती है.
स्पेशल पुलिस आयुक्त के तौर पर भारती की नियुक्ति पर विवाद शायद उन विवादों की कड़ी में से एक है जो 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी ने अपने 28 साल के लंबे पुलिसिंग करियर में झेले हैं.
दिप्रिंट ने फोन कॉल और टेक्स्ट मैसेज के जरिये भारती से संपर्क साधा, लेकिन रिपोर्ट प्रकाशित किए जाने तक कोई जवाब नहीं मिली. उनकी तरफ से प्रतिक्रिया आने पर रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.
फडणवीस शासनकाल में मलाईदार पोस्टिंग, एमवीए के दौरान ‘सजा’
देवेन भारती को मुंबई में अपनी सेवाएं देने का अच्छा-खासा अनुभव है. वह यहां पर संयुक्त पुलिस आयुक्त (कानून-व्यवस्था), अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (अपराध शाखा) और महाराष्ट्र आतंकवाद विरोधी दस्ते के प्रमुख जैसे महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुके हैं.
वह 26/11 के मुंबई हमले की जांच में शामिल थे, लेकिन उसे लेकर खासा विवाद भी हुआ था. हमले के समय मुंबई के पुलिस प्रमुख हसन गफूर ने द वीक पत्रिका को दिए एक इंटरव्यू के दौरान भारती सहित चार अधिकारियों का नाम लिया था, जो हमले के दौरान जमीनी स्तर पर सक्रिय होने के बावजूद स्थिति का जवाब देने से हिचकिचा रहे थे.
फडणवीस के सीएम रहने और 2014 और 2019 के बीच गृह मंत्रालय संभालने के दौरान भारती को कई बार मुंबई में मलाईदार पदों पर पोस्टिंग मिली.
राजनीतिक टिप्पणीकार हेमंत देसाई ने दिप्रिंट को बताया, ‘मुंबई पुलिस में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के बीच दो स्पष्ट लॉबी रही हैं. एक मूल महाराष्ट्रियन अधिकारियों की और दूसरी गैर-महाराष्ट्रियों की, या खासकर उत्तर भारतीय अधिकारियों की. एनसीपी—जिसने पिछले दो दशकों में से अधिकांश समय गृह मंत्रालय संभाला है—और विशेष तौर पर इसके प्रमुख शरद पवार महाराष्ट्रियन लॉबी के करीब रहे हैं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘महाराष्ट्र में जैसे-जैसे भाजपा का वर्चस्व बढ़ा और पार्टी सत्ता में आई, राज्य में इसके केंद्रीय नेतृत्व का प्रभाव भी बढ़ता गया और पार्टी उत्तर भारतीय लॉबी और देवेन भारती जैसे अधिकारियों के करीब आ गई.’
देवेन भारती को अप्रैल 2015 में संयुक्त सीपी (कानून और व्यवस्था) नियुक्त किया गया था और अंततः उन्होंने इस पद पर सबसे लंबे समय तक रहने वाले अधिकारी के तौर पर एक रिकॉर्ड बनाया. आखिरकार चुनाव आयोग (ईसी) की तरफ से फडणवीस के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार को दिए गए निर्देश देने के बाद 2019 में उनका तबादला किया गया.
चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र सरकार से ऐसे सभी अधिकारियों का ट्रांसफर करने को कहा था, जो लगातार तीन सालों से किसी एक पद पर जमे थे. इसके बाद राज्य सरकार ने चुनाव आयोग से भारती का ‘अनुभव और ट्रैक रिकॉर्ड’ देखते हुए उस वर्ष लोकसभा चुनाव सम्पन्न होने तक उन्हें पद पर बनाए रखने की अनुमति देने का अनुरोध किया था. हालांकि, चुनाव आयोग ने यह अनुरोध खारिज कर दिया. भारती को तब आर्थिक अपराध शाखा का संयुक्त सीपी नियुक्त किया गया.
उसी वर्ष फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार ने भारती को महाराष्ट्र एटीएस प्रमुख के तौर पर नियुक्त किया. हालांकि, नवंबर 2019 के बाद राज्य में शासन बदलने पर आईपीएस अधिकारी को सरकार की तरफ से फेवर मिलना बंद हो गया.
2020 में, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार ने भारती को महाराष्ट्र राज्य सुरक्षा निगम में स्थानांतरित कर दिया—जिसे प्रशासनिक हलकों में ‘सजा’ के तौर पर दी जाने वाली पोस्टिंग माना जाता है. यही वो समय भी था जब भारती का नाम कई विवादों में घिरा.
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‘भाजपा की फूट डालो और राज करो वाली रणनीति’
2020 में सेवानिवृत्त मुंबई के पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी राकेश मारिया ने अपनी आत्मकथा में टेलीविजन एक्जीक्यूटिव इंद्राणी और पीटर मुखर्जी के मामले—जो कि कथित तौर पर इंद्राणी की बेटी शीना बोरा की हत्या से जुड़ा है—में देवेन भारती का नाम भी घसीटा था. यह मामला 2015 में सामने आया था. मारिया ने दावा किया कि भारती को बोरा के लापता होने की जानकारी थी, लेकिन उन्होंने मारिया को इसकी जानकारी नहीं दी थी. हालांकि, भारती ने इस आरोप को खारिज कर दिया था.
2021 में, मुंबई पुलिस ने उस समय अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक भारती के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और भारतीय पासपोर्ट अधिनियम के दंडात्मक प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज की. कहा जाता है कि भारती ने कथित तौर पर एक पुलिस अधिकारी पर एक भाजपा नेता की पत्नी के खिलाफ पासपोर्ट धोखाधड़ी के मामले में आगे कार्रवाई नहीं करने के लिए दबाव डाला था.
भारती को पिछले साल अक्टूबर में इस मामले में क्लीन चिट मिल गई थी. यहां यह बात भी गौरतलब है कि महाराष्ट्र में जून में सरकार बदल गई थी और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली बालासाहेबंची शिवसेना ने भाजपा के साथ मिलकर सत्ता संभाल ली थी.
नाम न छापने की शर्त पर कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘देवेन भारती खुले तौर पर फडणवीस के पसंदीदा अफसर रहे हैं. मुंबई के पुलिस आयुक्त विवेक फनसालकर एक सीधे-सादे अधिकारी हैं, जिनके सभी के साथ अच्छे संबंध रहे हैं. लेकिन, देवेन भारती के स्पेशल सीपी बनने से फडणवीस को अपना एजेंडा चलाने में मदद मिलेगी और डिप्टी सीएम को सीएम के साथ सत्ता का संतुलन साधने में भी मदद मिलेगी.’
शिवसेना (यूबीटी) नेता और राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट करके कहा कि मुंबई पुलिस के भीतर दोहरा पॉवर स्ट्रक्चर ‘भाजपा की फूट डालो और राज करो वाली रणनीति’ का हिस्सा है.
उन्होंने लिखा, ‘यह शर्म की बात है कि वे मुंबई की कानून-व्यवस्था के साथ पक्षपात का खतरनाक खेल खेल रहे हैं.’
वहीं, फडणवीस ने गुरुवार को पुणे में पत्रकारों से बातचीत के दौरान स्पेशल सीपी का पद सृजित करने को लेकर जारी आलोचनाओं को खारिज कर दिया और कहा कि यह एक अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) स्तर का पद है, जबकि मुंबई पुलिस आयुक्त पद एक महानिदेशक (डीजी) स्तर का है. गौरतलब है कि मुंबई पुलिस आयुक्त के पद को डीजी स्तर पर अपग्रेड करना एक और बड़ा बदलाव था, जिसे फडणवीस ने ही 2015 में सीएम और गृह मंत्री रहते हुए लागू किया था.
उन्होंने आगे कहा, ‘अगर पदानुक्रम की बात करें तो मुंबई पुलिस में एडीजी स्तर का एक पद मिसिंग था. जब हमने मुंबई के विस्तार को देखते हुए मुंबई सीपी के पद को डीजी स्तर पर अपग्रेड किया, तो किसी कारण से हम एडीजी स्तर का पद नहीं बना सके. इसलिए हमने अब इसे ही बनाया है. हालांकि, पोस्ट को स्पेशल सीपी नाम दिया गया है, लेकिन यह मुंबई सीपी के अधीन आता है.’
‘चेन ऑफ कमांड नहीं टूटी’
सेवानिवृत्त वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों और मुंबई पुलिस के पूर्व प्रमुखों का कहना है कि स्पेशल सीपी का पद, मुंबई सीपी को रिपोर्ट करना, ये व्यवस्था सैद्धांतिक तौर पर तो काम करती है, जैसा लगभग एक दशक से दिल्ली में चल रहा है. लेकिन, अधिकारियों के बीच परस्पर टकराव इसे मुश्किल बना सकता है.’
महाराष्ट्र के सेवानिवृत्त डीजीपी एम.एन. सिंह ने दिप्रिंट को बताया, ‘चेन ऑफ कमांड नहीं टूटी नहीं है. सीपी ही असली बॉस हैं.’
उन्होंने कहा, ‘लोगों को इस कदम पर संदेह इसलिए है क्योंकि उन्हें लगता है कि देवेन भारती फडणवीस के काफी करीबी हैं इसलिए उन्हें सीपी के पर कतरने के लिए लाया गया है. हालांकि, मुझे लगता है कि यह अटकलबाजी ज्यादा है. वह देवेंद्र फडणवीस के करीबी हो सकते हैं, मैं नहीं जानता, लेकिन अगर ऐसा है तो भी मुझे नहीं लगता कि सीपी को पुलिस बल को नियंत्रित करने में कोई समस्या होगी.’
सेवानिवृत्त अधिकारी डी. शिवनंदन—जो महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी भी हैं—ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि मुंबई पुलिस बल में 50,000 से 60,000 कर्मी हैं जिन पर करीब 2 करोड़ लोगों की सुरक्षा का जिम्मा है और इसकी जिम्मेदारियों का दायरा भी काफी बड़ा है—कानून और व्यवस्था बनाए रखना, अपराधों की जांच और उनकी रोकथाक, वीआईपी आवागमन का प्रबंधन संभालना, और ट्रैफिक व्यवस्था भी दुरुस्त रखना.
शिवानंदन ने कहा, ‘स्पेशल सीपी को अलग से स्पष्ट कार्य दिए जा सकते हैं जहां वह प्रभार संभाल सकता है और सीपी को रिपोर्ट कर सकते हैं. इससे सीपी पर जिम्मेदारियों का भारी-भरकम बोझ कुछ कम होगा.’
साथ ही जोड़ा, ‘हालांकि, नकारात्मक पहलू यह है कि एक म्यान में दो तलवारें हो गई हैं. जो भी अधिक मुखर और प्रशासन के करीब होगा वह खुद को ताकतवर स्थिति में पाएगा. अब यह या तो एक संयुक्त परिवार रहेगा या फिर पूरी तरह अराजकता फैल सकती है.’
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