नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नए वक्फ कानून पर देशभर में जागरूकता अभियान चलाने जा रही है. गुरुवार को पार्टी ने नई दिल्ली स्थित अपने मुख्यालय में कार्यशाला का आयोजन किया.
कार्यशाला को संबोधित करते हुए पार्टी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने कहा कि भाजपा 20 अप्रैल से 5 मई तक पूरे देश में राज्य, ब्लॉक और मंडल स्तर पर ‘वक्फ सुधार जनजागरण अभियान’ चलाएगी. कार्यशाला का आयोजन नए वक्फ कानून के खिलाफ विपक्ष के विरोध को देखते हुए किया गया था, ताकि पार्टी नेता विभिन्न मंचों और घर-घर जाकर कानून के बारे में ‘सही और तथ्यात्मक जानकारी’ फैला सकें.
पार्टी ने मुस्लिम समुदाय को नए कानून के लाभों के बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से कार्यक्रमों की देखरेख के लिए चार सदस्यीय केंद्रीय समिति का भी गठन किया है. पार्टी नेता अनिल एंटनी, अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय प्रमुख जमाल सिद्दीकी, राज्यसभा सांसद राधा मोहन दास अग्रवाल और महासचिव दुष्यंत गौतम इसका हिस्सा हैं.
भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी यासर जिलानी ने दिप्रिंट को बताया, “कांग्रेस और उसके सहयोगी दल, जो लंबे समय से हमारे गरीब मुस्लिम भाइयों और बहनों को गुमराह कर रहे हैं, तुष्टीकरण की राजनीति से पीड़ित हैं. वक्फ अधिनियम के बारे में मुस्लिम समुदाय को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है. इस जागरूकता कार्यक्रम का उद्देश्य कांग्रेस और उसके सहयोगियों के झूठ को उजागर करना और हमारे मुस्लिम भाइयों और बहनों को इस कानून की सच्चाई और लाभों से अवगत कराना है.”
पार्टी सूत्रों के अनुसार, जागरूकता अभियान का विशेष ध्यान पसमांदा समुदाय और मुस्लिम महिलाओं पर होगा. भाजपा महासचिव अरुण सिंह द्वारा पार्टी नेताओं को लिखे गए पत्र में कहा गया है, “इससे विशेष रूप से उन लोगों को मदद मिलेगी जो लंबे समय से हाशिये पर हैं, जिससे उन्हें आवाज़ और अवसर दोनों से वंचित रखा गया है. यह विशेष रूप से मुस्लिम महिलाओं, गरीब मुसलमानों और पसमांदा मुसलमानों के हितों की रक्षा करेगा और उन्हें लाभ पहुंचाएगा. संसद द्वारा पारित कानून पारदर्शिता को बढ़ावा देगा और लोगों के अधिकारों की रक्षा करेगा.”
राज्य स्तर पर योजना के हिस्से के रूप में, मुस्लिम समुदाय और अन्य समुदायों के पादरी, डॉक्टर, कलाकार, वकील, शिक्षाविद, महिला कार्यकर्ता, मीडिया व्यक्तित्व और सोशल मीडिया प्रभावितों को आमंत्रित करके महत्वपूर्ण स्थानों पर टाउनहॉल आयोजित किए जाएंगे.
पार्टी ने देश भर के ईसाई समुदाय के सदस्यों के साथ “ईसाई सद्भाव बैठक” आयोजित करने की भी योजना बनाई है. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “यह भी निर्देश दिया गया है कि प्रभावशाली महिला नेताओं के साथ महिला टाउनहॉल आयोजित किए जाएंगे.”
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‘वक्फ का धर्म से कोई लेना-देना नहीं’
भाजपा के एक नेता के अनुसार, कार्यशाला का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि वह कानून के बारे में अपने सभी सवाल उठा सकें और उसके बाद लोगों को इसके सकारात्मक पहलुओं के बारे में बता सकें.
सूत्रों ने बताया कि पार्टी के कई पदाधिकारियों ने नए कानून में “इस्लाम का पालन करने” के प्रावधान पर चिंता जताई. वक्फ कानून के एक प्रावधान के अनुसार, केवल वे लोग जो “पांच साल से इस्लाम का पालन कर रहे हैं” वह ही अपनी संपत्ति धर्मार्थ उपयोग के लिए दे सकते हैं.
पार्टी के एक पदाधिकारी ने कहा, “हमने (किरेन) रिजिजू जी से पूछा कि जब हम अपने समुदाय के लोगों को नए कानून के बारे में जागरूक करने जाएंगे तो हम इस प्रावधान को कैसे उचित ठहराएंगे, जो निश्चित रूप से उनके लाभ के लिए है, लेकिन यह खंड सभी के मन में संदेह पैदा करता है. यहां तक कि एक छोटा बच्चा भी कहेगा कि वह एक मुस्लिम है. कोई और यह कैसे तय कर सकता है? हमें संतोषजनक जवाब नहीं मिला, लेकिन हमें अधिनियम के अन्य सकारात्मक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा गया है.”
पार्टी के एक अन्य नेता ने बताया कि कार्यशाला के दौरान इस बात पर जोर दिया गया कि विपक्षी नेता जहां दावा कर रहे हैं कि कानून जल्दबाजी में लाया गया है, वहीं संयुक्त संसदीय समिति की बैठकों और संसद सत्र के दौरान इस पर “विस्तृत चर्चा” की गई, जो देर रात तक चली.
वक्फ (संशोधन) अधिनियम 8 अप्रैल को लागू हुआ, जिसके विरोध में पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और बिहार के कई जिलों में विरोध प्रदर्शन हुए. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में इस कानून को लागू करने से इनकार कर दिया है.
पार्टी के एक अन्य नेता ने दिप्रिंट को बताया, “कार्यशाला के दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं को बताया गया कि कैसे कुछ वरिष्ठ मुस्लिम कांग्रेस नेताओं ने प्रमुख ज़मीन हड़पने के लिए वक्फ कानून का दुरुपयोग किया है. अगले कुछ दिनों में उचित दस्तावेजों के साथ और अधिक जानकारी साझा की जाएगी ताकि कार्यकर्ता लोगों के बीच जाकर उन्हें बेनकाब कर सकें.”
एक नेता ने कहा, “सिर्फ मुस्लिम नेता ही नहीं, कुछ हिंदू कांग्रेस नेता भी हैं जिन्होंने वक्फ का इस्तेमाल ज़मीन हड़पने के लिए किया है. यह भी एक कारण है कि हम यह बताना चाहते हैं कि वक्फ कानून संपत्तियों के प्रबंधन के बारे में है और इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है. यही कारण है कि गैर-मुस्लिम सदस्यों को भी इसमें शामिल किया जा रहा है, क्योंकि वक्फ की बहुत सी ज़मीन हिंदुओं की है.”
जनता दल (यूनाइटेड) के प्रमुख और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, तेलुगु देशम पार्टी के सुप्रीमो और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, राष्ट्रीय लोक दल के जयंत चौधरी, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान और अन्य सहयोगियों ने संसद में वक़्फ़ (संशोधन) विधेयक पारित करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
पार्टी के एक नेता ने कहा, “मुस्लिम मतदाता इन सहयोगियों के लिए महत्वपूर्ण हैं और बिहार चुनाव के नज़दीक होने के कारण विपक्ष द्वारा फैलाई जा रही भ्रांतियों और दुष्प्रचार को रोकना और भी ज़रूरी हो गया है. यह आउटरीच प्रोग्राम सही तस्वीर को प्रसारित करने में मदद करेगा कि कैसे गरीब मुस्लिम परिवार, ख़ासकर महिलाएं इससे लाभान्वित होने जा रही हैं.”
उन्होंने कहा, “पार्टी इस तथ्य से अवगत है कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम पारित होने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे और ऐसे कदमों को रोकने के लिए, विशेष रूप से पश्चिम बंगाल के सीएम द्वारा दिए गए बयानों के बाद, इस तरह के व्यापक स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम शुरू करना महत्वपूर्ण हो गया.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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