नई दिल्ली: एक ट्रेन के अंदर यात्रियों से बात करते केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव, महाराष्ट्र के पालघर में आदिवासियों के साथ नाचतीं राज्य मंत्री डॉ. भारती पवार, और ‘कौन आया कौन आया, शेर आया, शेर आया’ के नारों के साथ उनके सहयोगी अनुराग ठाकुर का स्वागत.
लोगों के साथ घुलते-मिलते केंद्रीय मंत्रियों की ये तस्वीरें, जो 21 अगस्त को ख़त्म होने वाली पांच-दिवसीय जन आशीर्वाद यात्रा का हिस्सा थीं, एक झलक थीं कि बीजेपी किस तरह केंद्रीय मंत्री परिषद के हालिया फेरबदल और विस्तार को, राजनीतिक रूप से भुनाना चाह रही है.
महाराष्ट्र में केंद्रीय मंत्री नारायण राणे की जन आशीर्वाद यात्रा ने, सीएम उद्धव ठाकरे के खिलाफ ‘थप्पड़ टिप्पणी’ पर, उनकी गिरफ्तारी से उठे अशोभनीय विवाद के बाद राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान बटोरा है, लेकिन उनके तीन दर्जन मंत्रिमंडलीय सहयोगी, दूसरे 21 राज्यों में इसी तरह की यात्राएं कर रहे थे, जिनका मक़सद अलग-अलग राजनीतिक लक्ष्य साधना था. विवादास्पद रूप से, ये पहली बार है कि किसी सत्ताधारी पार्टी ने इतने बड़े पैमाने पर कोई यात्रा आयोजित की है- 39 मंत्रियों की 22 सूबों की यात्रा.
बीजेपी नेताओं ने कहा कि इसके पीछे मुख्य विचार न सिर्फ ये दिखाना था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैसे विभिन्न जातियों और संप्रदायों के नेताओं को सशक्त कर रहे हैं, बल्कि एनडीए सरकार को लेकर जनता की धारणा को भी बदलना था, जिसे कोविड कुप्रबंधन की वजह से नुक़सान पहुंचा था.
यात्राओं के दौरान इन मंत्रियों के भाषणों और यात्रा क्रमों को क़रीब से देखने पर पता चलता है कि वो मुख्य रूप से चार उद्देश्यों को हासिल करना चाह रहे थे.
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शासन की नाकामी के बारे में जनता की धारणा
मोदी सरकार के कोविड कुप्रबंधन ने ज़मीनी स्तर पर बहुत रोष पैदा कर दिया है और इंडिया टुडे द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में संकेत मिला था कि पीएम मोदी की लोकप्रियता में कमी आई है.
सर्वे के अनुसार, हालांकि मोदी को सबसे अधिक वोट मिले थे, लेकिन उनकी लोकप्रियता घट गई थी. अब केवल 24 प्रतिशत लोगों को लगता है, कि पीएम के लिए वो सबसे अच्छी पसंद हैं, जो जनवरी 2020 के 38 प्रतिशत और अगस्त 2020 के 66 प्रतिशत से गिर गई है.
सिर्फ यही नहीं, बीजेपी के विधायकों और सांसदों में भी कुप्रबंधन को लेकर नाराज़गी थी और उन्होंने इस ओर ध्यान आकर्षित किया था कि लोगों की प्रतिक्रिया के डर से, वो बाहर निकलकर लोगों से मिल नहीं पा रहे थे.
महामारी की दूसरी लहर से कारगर ढंग से निपटने में केंद्र की नाकामी की धारणा को देखते हुए, इन मंत्रियों ने सरकार के मुफ्त टीकाकरण कार्यक्रम को, एक बड़ी सफलता के रूप में प्रदर्शित किया और मोदी सरकार की अन्य उपलब्धियों के बारे में भी बात की.
मसलन, केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने सरकार के प्रयासों की सराहना की, और उसके द्वारा चलाए जा रहे टीकाकरण कार्यक्रम पर प्रकाश डाला.
रूपाला ने गुजरात के मेहसाणा ज़िले में कहा, ‘आप सभी को ये जानकर ख़ुशी होगी कि हम 55 करोड़ लोगों को टीके लगा चुके हैं. और ऐसा बंदोबस्त किया गया है कि दिसंबर तक सभी भारतीयों को टीका लग जाएगा. ऐसा टीकाकरण कार्यक्रम दुनिया में कहीं नहीं चलाया गया है’.
बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर ने, जो कैबिनेट मंत्री के रूप में पदोन्नत होने के बाद पहली बार हिमाचल प्रदेश आए थे, इस अवसर पर जम्मू-कश्मीर में सरकार की उपलब्धियों के बारे में बात की.
ठाकुर ने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और धारा 35-ए को हमेशा के लिए हटा दिया गया है. जेएंडके तेज़ी के साथ विकास के पथ पर अग्रसर है. दो साल से भी कम समय के भीतर विकास की रफ्तार तेज़ी के साथ बढ़ी है’.
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने अपनी रैलियों में केंद्र सरकार द्वारा किए गए कार्यों पर रोशनी डाली, कि मोदी सरकार किस प्रकार देश को ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाने की दिशा में काम कर रही है.
विभिन्न जातियों और सामाजिक समूहों तक पहुंचना
संसद में अपने नए मंत्रियों का परिचय कराने में नाकाम रहने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष पर लोकतांत्रिक प्रथाओं को रोकने का आरोप लगाया था.
ज़ोर-ज़ोर से हो रही नारेबाज़ी के बीच पीएम ने कहा था, ‘मैंने सोचा था कि सदन में आज उत्साह का माहौल होगा, चूंकि महिलाओं, दलितों, और आदिवासियों को बड़ी संख्या में मंत्री बनाया गया है…उनका परिचय कराकर मुझे ख़ुशी होती…और मैंने सोचा था कि इससे सभी को ख़ुशी होगी’.
‘और ये लोग नए मंत्रियों का परिचय भी नहीं कराने दे रहे हैं. और इसलिए नए मंत्रियों को लोकसभा से परिचित किया हुआ मान लिया जाना चाहिए’.
मोदी सरकार के उपलब्ध कराए आंकड़ों के अनुसार, हाल ही में विस्तारित मंत्री परिषद में 27 मंत्री अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) से, 12 अनुसूचित जातियों (एससी) से, और आठ अनुसूचित जनजातियों (एसटी) से हैं. पहली बार परिषद में दर्ज़ी और मोढ़, तेली समेत, बहुत सी जातियों को प्रतिनिधित्व दिया गया है.
पिछले फेरबदल में मंत्रिपरिषद में बीजेपी के जो 39 मंत्री शामिल किए गए थे, उनमें 14 ओबीसी समुदाय से थे जिससे उनकी संख्या बढ़कर 27 हो गई, और 9 एससी समुदाय से थे, जिनकी संख्या अब 12 हो गई है.
बीजेपी ने इस पहलू को लोगों के सामने उजागर करने के लिए यात्रा का इस्तेमाल किया.
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को ही ले लीजिए. पार्टी के इस ओबीसी चेहरे की यात्रा हरियाणा के गुड़गांव से शुरू हुई, और फिर राजस्थान पहुंच गई. यादव की यात्रा का दूसरा हिस्सा अलवर ज़िले के भिवाड़ी से शुरू हुआ और कई जगहों को कवर किया गया. फिर वो अलवर, जयपुर और अजमेर ज़िलों के ग्रामीण इलाक़ों में गए. अलवर और अजमेर दोनों में अच्छी ख़ासी ओबीसी आबादी है.
एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘जयपुर में बीजेपी के ओबीसी मोर्चे ने बिड़ला ऑडिटोरियम परिसर में, जन आशीर्वाद यात्रा और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव का भव्य स्वागत किया’.
इसी तरह, गुजरात में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मंसुख मंडाविया और रूपाला अपने पाटीदार समाज के बीच में गए. 2017 में पाटीदार आरक्षण आंदोलन ने, उस साल के विधानसभा चुनावों में एक अहम भूमिका निभाई थी, जिसकी वजह से कांग्रेस बीजेपी को कड़ी टक्कर दे पाई थी.
एक सभा को संबोधित करते हुए, जो उनकी यात्रा का हिस्सा थी, मंडाविया ने पाटीदार नेताओं से कहा कि, ‘बीजेपी और पाटीदार एक ही हैं’. केंद्रीय मंत्री विशेष तौर पर कागवाड़ में खोडलधाम मंदिर गए, जो लेवा पटेलों का शीर्ष धार्मिक निकाय है, जहां उन्होंने पाटीदार नेताओं को संबोधित किया. ये मंदिर राजकोट के निकट है.
इसी तरह, रूपाला ने मेहसाणा ज़िले में वलीनाथ धाम में एक सभा को संबोधित किया, जो मालधारी समाज के लिए अहमियत रखता है. इसके साथ ही उन्होंने मेहसाणा के ऊंझा से अपनी यात्री का शुरुआत की, जहां पाटीदारों का ही दबदबा है.
राज्यसभा सांसद ने मेहसाणा ज़िले के श्री उमिया माताजी संस्थान का भी दौरा किया, जिसे गुजरात में कड़वा पाटीदार समाज की शीर्ष इकाई माना जाता है.
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री और एक आदिवासी नेता भारती पवार ने, अपनी यात्रा पालघर और नाशिक के आदिवासी-बहुल इलाक़ों से शुरू की, और स्थानीय लोगों के साथ डांस भी किया, जिसे बीजेपी ने उनके मंत्री बनने पर, आदिवासी समाज की ख़ुशी के रूप में प्रदर्शित किया.
बीजेपी नेता सुनील देवधर ने ट्वीट किया, ‘#जनआशीर्वादयात्रा पर आदिवासियों की उत्साह से भरी तस्वीरें देखिए, चूंकि महाराष्ट्र की मिट्टी से उनकी विद्वान आदिवासी बेटी @डॉभारतीपवार जी को @नरेंद्रमोदी जी की कैबिनेट में शामिल किया गया है’.
इसी तरह दक्षिण में, केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्य मंत्री अनेकल नारायणस्वामी ने, ‘जय मदिगा’ के नारों के बीच अपने गृह राज्य कर्नाटक में एक यात्रा में हिस्सा लिया, और बेंगलुरू ग्रामीण के नीलमंगला तथा तुमकूर जैसी जगहों पर, उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया.
केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य राज्यमंत्री कौशल किशोर, जो एक प्रमुख दलित चेहरा हैं और पासी समाज से आते हैं, अपनी यात्रा के तहत उत्तर प्रदेश में उन्नाव, रायबरेली और बाराबंकी ज़िलों में गए. बाराबंकी में काफी बड़ी संख्या में पासी समुदाय के लोग रहते हैं.
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चुनावों से पहले राज्य सरकारों के कार्यों को उजागर करना
पांच राज्यों में चुनाव होने जा रहे हैं जिनमें बीजेपी-शासित उत्तर प्रदेश, गोवा और उत्तराखंड शामिल हैं, इसलिए मंत्रियों ने यात्राओं के दौरान राज्य सरकार के किए गए कार्यों पर भी रोशनी डाली.
महाराष्ट्र में, जहां 2022 में ऊंचे दांव के नगर निकाय चुनाव होंगे, केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने इस अवसर पर राज्य में शिवसेना और महा विकास अघाड़ी सरकार पर निशाना साधा, जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी घटनाक्रम पर छा गई. महाराष्ट्र में अगले छह महीने में, 22 नगर निगमों, 24 ज़िला परिषदों और तहसील स्तर की कई इकाइयों के चुनाव होने हैं.
राणे ने कहा, ‘ये मेरी ज़िम्मेदारी है, जैसे कि देवेंद्र फडणवीस और प्रवीण दारेकर जैसे अन्य बीजेपी नेताओं की भी है कि हमें मुम्बई निकाय चुनाव जीतने हैं. चाहे कुछ भी हो जाए, बीजेपी ये चुनाव जीतेगी. शिवसेना को अपने पिछले वर्षों के पापों का ख़मियाज़ा भुगतना होगा’.
कौशल किशोर ने उत्तर प्रदेश में अपनी रैलियों के ज़रिए, समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव पर निशाना साधा. बाराबंकी में एक रैली को संबोधित करते हुए, किशोर ने अखिलेश यादव पर तुष्टीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया.
काडर में फिर से स्फूर्ति लाना
एक वरिष्ठ बीजेपी नेता के अनुसार, कोविड और उसके बाद पश्चिम बंगाल में चुनावी हार के बाद, बीजेपी काडर का उत्साह ठंडा पड़ गया था और अब यात्राओं ने उनमें फिर से स्फूर्ति जगाने का काम किया है.
वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘हमें 39 मंत्रियों के लिए देशभर में सिलसिलेवार रैलियों का आयोजन करना था, जो कोई आसान काम नहीं था. इसके लिए काफी मेहनत और सावधानी के साथ योजना बनाने की ज़रूरत थी’.
‘बहुत से सूबों में कई समितियां बनाई गईं, ताकि काम की निगरानी हो सके, और वो सुचारू रूप से चल सके. इससे कार्यकर्ताओं को एक बार फिर मौक़ा मिला कि वो आउटरीच कार्यक्रमों में हिस्सा ले सकें, जो कोविड की वजह से रोक दिए गए थे’.
यात्रा के दौरान मंत्रियों ने विपक्षी पार्टियों पर भी निशाना साधा.
हिमाचल प्रदेश में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने, संसद को काम न करने देने के लिए कांग्रेस पर निशाना साधा. पीएम की ‘युवा कैबिनेट’ की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस पीएम मोदी की लोकप्रियता को पचा नहीं पा रही है, और केवल संसदीय कार्यवाही को रोकने में लगी है.
भारती पवार ने महाराष्ट्र सरकार को आड़े हाथों लिया. अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने कहा, ‘केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र के लिए 70 करोड़ रुपए और बड़ी संख्या में वेंटिलेटर्स जारी किए थे, लेकिन आश्चर्य है कि उनमें से एक भी उपकरण पालघर नहीं पहुंचा है. केंद्र ने कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए, अलग-अलग राज्यों को 23,000 करोड़ रुपए दिए. हम राज्य में केंद्रीय स्कीमों के कार्यान्वयन का जायज़ा ले रहे हैं, लेकिन राज्य सरकार का रवैया बहुत उदासीन है’.
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