scorecardresearch
Thursday, 25 April, 2024
होमराजनीतिमतदाताओं का प्रबंधन, घर-घर सेवाएं- गुजरात चुनाव के लिए पन्ना प्रमुख नेटवर्क बना BJP का सहारा

मतदाताओं का प्रबंधन, घर-घर सेवाएं- गुजरात चुनाव के लिए पन्ना प्रमुख नेटवर्क बना BJP का सहारा

ऐसी बूथ-स्तर की पैदल सेना अपने नेटवर्क के जरिए भाजपा मतदाताओं की छोटी से छोटी बात का ख्याल रखती है और यह सुनिश्चित करती है कि वे चुनाव के दिन मतदान करने के लिए बाहर आएं.

Text Size:

सूरत/गांधीनगर: पिछले साल सूरत के मोटा वराछा इलाके के नजदीक रहने वाली एक महिला को एक महंगी सर्जरी की जरूरत थी. उसका परिवार गरीबी रेखा (बीपीएल) से नीचे था. भाजपा के कार्यकर्ता मिलन जलावड़िया याद करते हुए बताते हैं कि उन्होंने उन्हें 24 घंटे के अंदर ‘मां अमृतम’ कार्ड की मंजूरी दिलाई गई थी. यह गुजरात सरकार की एक योजना है जिसके तहत बीपीएल परिवारों को गंभीर बीमारियों के लिए मेडिकल और शल्य चिकित्सा देखभाल प्रदान की जाती है.

जलावड़िया ने कहा कि इसने न सिर्फ महिला को अपने अस्पताल के खर्चों को मैनेज करने में मदद की बल्कि उसे और उसके परिवार को हमेशा के लिए प्रतिबद्ध भाजपा मतदाताओं में भी तब्दील कर दिया.

जलावड़िया गुजरात में भाजपा के ‘पन्ना प्रमुख’ हैं. पन्ना प्रमुख- मतदाता सूची के एक पेज का प्रमुख- देश भर में बूथ प्रमुखों, पन्ना प्रमुखों और पन्ना समितियों के भाजपा के बहुचर्चित व्यापक नेटवर्क का एक छोटा घटक है, जिस पर पार्टी आगामी गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए भरोसा कर रही है.

इस नेटवर्क के जरिए पार्टी मतदाताओं की छोटी से छोटी बातों का ध्यान रखती है और यह सुनिश्चित करती है कि वे चुनाव के दिन मतदान करने के लिए बाहर आएं.

और जब चुनाव नहीं होता है, तो भाजपा की ये पैदल सेना लगभग एक समानांतर प्रशासन प्रणाली चलाते हैं. वे सरकारी योजनाओं को लाभार्थियों के दरवाजे तक लाते हैं, किसी भी काम या समस्याओं को सुलझाने के लिए बिचौलियों के रूप में काम करते हैं. और जाहिर तौर पर भाजपा के लिए प्रचार करते रहते हैं.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

जलवाड़िया ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमें हर समय मतदाताओं के साथ संपर्क को बनाए रखना होता है. मेरे आस-पड़ोस के लोगों को क्या चाहिए, इस पर मुझे पैनी निगाह रखनी होती है. अगर मैं किसी की मदद के लिए आस-पास मौजूद नहीं हूं, तो मैं अपने बूथ के व्हाट्सएप ग्रुप पर एक मैसेज डाल देता हूं. कोई न कोई कार्यकर्ता मदद के लिए तैयार खड़ा होता है. अगर पार्टी का कोई व्यक्ति उनकी जरूरतों को पूरा कर रहा है, उनके मसलों को सुलझाने में उनकी मदद कर रहा है, तो उनके भाजपा की तरफ आने और वोट देने की संभावना काफी बढ़ जाती है.’

जलावडिया ने कहा, ‘जब चुनाव का समय नहीं होता है, तो हमें अपने काम के लिए दिन का सिर्फ आधा घंटा देना होता है.’ वह टेक्सटाइल ट्रेडिंग बिजनेस के साथ फुल टाइम जुड़े हुए हैं.

182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा के लिए दो चरणों- 1 और 5 दिसंबर को- में चुनाव होने हैं. वोटों की गिनती 8 दिसंबर को होगी.

BJP worker, Milan Jalavadiya in Olpad, Surat district.| Manasi Phadke | ThePrint
सूरत जिले के ओलपाड में भाजपा पन्ना प्रमुख मिलन जलवडिया (दाएं) | मानसी फड़के | दिप्रिंट

यह भी पढ़ें: सवर्ण मानसिकता से ग्रस्त EWS वाला फैसला कोर्ट के बदलते रुख का संकेत है, सामाजिक न्याय पर तीखे संघर्ष की आहट है


भाजपा के बूथ प्रमुखों और पन्ना प्रमुखों की दुनिया

गुजरात में भाजपा के पास ऐसे 80 से 82 लाख लोगों की सेना है, जिनके नाम, संपर्क विवरण, पहचान और पते पार्टी के साथ पंजीकृत हैं और साल में कई स्तरों पर इन्हें सत्यापित किया जाता है, ताकि इन्हें पार्टी के संगठन के साथ जोड़ा जा सके.

हर पोलिंग बूथ के लिए एक हेड होता है. बूथ प्रमुखों के तहत, बूथ स्तर पर हर एक पेज या मतदाताओं के साथ पार्टी के संपर्क के पहले व्यक्ति के तौर पर एक प्रमुख नियुक्त किया जाता है, जिसे पन्ना प्रमुख कहा जाता है. हर पेज में लगभग 30-35 मतदाता हैं. पन्ना प्रमुख का काम यह देखना है कि उनमें से कितने लोग भाजपा को सपोर्ट करते हैं. और जो लोग भाजपा के मतदाता नहीं हैं, तो उन्हें अपने काम और उनकी मदद के जरिए पार्टी के तरफ झुकाना होता है.

दरअसल पन्ना प्रमुख का नाम उसी मतदाताओं के पेज से चुना जाता है जिनकी जिम्मेदारी उन्हें सौंपी जाती है. उनके पेज पर 30-35 मतदाता यानी पांच या छह परिवारों होते हैं. आमतौर पर ये मतदाता उनके पड़ोसी ही होते हैं.

अगर अन्य राज्यों में कुछ छिटपुट स्थानीय चुनावों को छोड़ दें तो पन्ना प्रमुख के तहत आने वाली एक पन्ना समिति गुजरात भाजपा के लिए एक अनूठी अवधारणा है. पन्ना समितियों में इन पांच या छह परिवारों में से प्रत्येक से एक मतदाता होता है.

भाजपा के गांधीनगर कोरपोरेटर और शहर के पन्ना प्रमुख राजू पटेल ने कहा, ‘इसलिए प्रभावी रूप से, हम हर परिवार में भाजपा के एक वार्ताकार होने का दावा कर सकते हैं.’

पटेल ने बताया, ‘मैं इस क्षेत्र में कई सालों से रह रहा हूं और मेरे पेज के अधिकांश मतदाता कम से कम पांच से दस साल से मेरे आसपास रह रहे हैं. इसलिए हम पहले से ही एक-दूसरे को जानते हैं, उनके पारिवारिक समारोहों, शादियों में शामिल होते हैं और एक साथ त्योहार मनाते है. मेरे लिए भाजपा के संदेश को इन लोगों तक पहुंचाना आसान है.’

गांधीनगर के एक अन्य भाजपा पन्ना प्रमुख कमलेश बैंकर ने बूथ संख्या 19 से पेज संख्या 16 तक की बुकलेट खोली और तेजी से लगभग पांच नामों पर टिक किया. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘ये वे सदस्य हैं जिन्हें मैंने अपनी पेज समिति के लिए सावधानी से चुना है.’ गांधीनगर में बीजेपी वार्ड के अध्यक्ष बैंकर ने कहा, ‘मैंने पहले ये सुनिश्चित कर लिया था कि उनके परिवार के भीतर उनकी बात सुनी जाती है और वे प्रभावशाली हैं. वे सरकारी कर्मचारी नहीं हैं. वे या तो युवा हैं, जिनका झुकाव राजनिति की ओर है, या फिर बुजुर्ग लोग हैं जिनके पास काफी खाली समय है.’

उन्होंने कहा, ‘पहले एक व्यक्ति यानी एक पन्ना प्रमुख के पास 30 लोगों की जिम्मेदारी होती थी. अब पन्ना समिति मॉडल के साथ हमारे पास हर पांच या छह मतदाताओं के लिए एक जिम्मेदार व्यक्ति मौजूद है. और पेज प्रमुख के रूप में पन्ना समिति के सदस्य – पेज पर मौजूद हर परिवार से एक – हमारे पेज पर सभी मतदाताओं तक पहुंचने के लिए हमारे प्राथमिक संपर्क हैं.’

पटेल और बैंकर दोनों ही इन्हें 2021 में गांधीनगर नगर निगम चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत का श्रेय देते हैं. इन चुनावों में पार्टी ने पन्ना समितियों के इस ग्रिड में सुधार लाते हुए इन्हें 16 से बढ़ाकर 41 कर दिया था.

गांधीनगर नगर निगम की कुल 44 सीटों में से कांग्रेस ने सिर्फ दो सीटों पर जीत हासिल की थी. जबकि आम आदमी पार्टी के खाते में एक सीट गई.

Local BJP office in Olpad, Surat.| Manasi Phadke| ThePrint
ओलपाड, सूरत में स्थानीय भाजपा कार्यालय।| मानसी फड़के| दिप्रिंट

‘अपने काम से गैर-बीजेपी मतदाताओं को लुभाना’

यह पेचीदा संगठनात्मक प्रणाली भाजपा के गढ़ों में निर्बाध रूप से काम करती है. लेकिन कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं जहां पार्टी के पास प्रतिबद्ध मतदाता नहीं हैं या जहां पार्टी के सदस्यों को पता है कि मतदाता विचारधारा के आधार पर मतदान नहीं करते हैं. लेकिन, इस स्तर के बारीकी प्रबंधन से पार्टी यह भी जानती है कि ये मतदाता कौन हैं.

टेक्सटाइल ट्रेडिंग से जुड़े सूरत के मोटा वराछा इलाके के एक अन्य पन्ना प्रमुख निशित पटेल ने कहा, ‘हम इन मतदाताओं पर अलग से ज्यादा ध्यान देते हैं. ऐसे मतदाताओं को शब्दों से समझाने की कोशिश करने का कोई मतलब नहीं है. उन्हें बातों से नहीं बहलाया जा सकता है. उन्हें अपनी तरफ लाने का एक ही तरीका है कि हम उन्हें अपने काम से लुभाने की कोशिश करें.’

पटेल ने कहा, अगर बूथ स्तर पर काम कर रहे लोग लगातार यह सुनिश्चित कर रहे है कि इस तरह के मतदाता या ‘गैर-भाजपा मतदाताओं’ को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है, उन्हें आधार कार्ड बनवाने जैसी प्रक्रियाओं में किसी लालफीताशाही का सामना नहीं करना पड़ रहा है या पासपोर्ट सत्यापन के समय उनके सामने कोई मुश्किलें नहीं आ रहीं हैं. समय के साथ वह खुद-ब-खुद भाजपा के मतदाताओं में तब्दील हो जाएंगे.’

पार्टी को उम्मीद है कि बूथ स्तर के कार्यकर्ता पहली बार मतदान करने वालों पर काफी जोर देंगे.

गांधीनगर कारपोरेटर और भाजपा के पन्ना प्रमुखों में से एक, युवा डॉक्टर संकेत पंचसरा ने कहा, ‘अगर हमारे पेज पर कोई 16-17 साल के युवा बच्चे हैं, तो हम उन्हें मतदाता के रूप में पंजीकृत कराने में सभी कागजी कार्रवाई में उनकी मदद करते हैं. हम राजनीति की दुनिया में उनके पहले संपर्क बन गए हैं और इस बात की अधिक संभावना है कि वे अपना वोट देकर हम पर अपना भरोसा जताएंगे.

मोटा वराछा के पटेल ने कहा, ‘उनके क्षेत्र में कई युवा छात्र विदेश में पढ़ने की इच्छा रखते हैं. उन्होंने पासपोर्ट के लिए आवेदन किया हुआ है. हम पुलिस सत्यापन के लिए व्यक्तिगत रूप से उनके साथ जाने की कोशिश करते हैं. यह हमें न सिर्फ संबंधित युवा बल्कि उसके पूरे परिवार का विश्वास पाने में मदद करता है.’

पार्टी नेताओं ने कहा कि पन्ना प्रमुख लोगों के साथ स्थानीय बैठकें आयोजित करके और परिवारों को (अपने चुनावी पेज वाले) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ को एक साथ सुनने के लिए आमंत्रित करते हैं.

सप्ताह में एक बार स्थानीय विधायक पार्टी के बूथ-स्तरीय कैडर से मिलते हैं और महीने में एक बार स्थानीय सांसद से भी मिलते हैं.

जलावड़िया ने कहा कि विधायक हर महीने एक बार बूथ कार्यकर्ताओं को स्थानीय सरकारी अधिकारियों से मिलाने की भी कोशिश करते हैं. उन्होंने कहा, ‘वह जोनल अधिकारियों से कहते हैं, अगर वह (बूथ कार्यकर्ता) किसी काम के लिए कह रहा है तो समझो की वह मेरी तरफ से है. इस तरह मैं 24 घंटों के अंदर एक मां अमृतम कार्ड को मंजूरी दे सका.’

(अनुवाद: संघप्रिया मौर्या)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: मतदान केंद्रों की ABC समझ रही बूथ स्तर की आर्मी- गुजरात में कैसे चल रहा है कांग्रेस का ‘साइलेंट’ कैंपेन


share & View comments