scorecardresearch
Saturday, 21 December, 2024
होमराजनीतिछत्तीसगढ़ में साथ आये  मायावती - जोगी, भाजपा की नींद उड़ी 

छत्तीसगढ़ में साथ आये  मायावती – जोगी, भाजपा की नींद उड़ी 

Text Size:

अमित शाह छत्तीसगढ़ पहुंचे ताकि भाजपा चौथी बार सत्ता में आये. पार्टी उम्मीद कर रही है कि  यह गठबंधन ऐंटी -इंकम्बेंसी को करेगा काबू.

नई दिल्ली: बसपा और  अजीत जोगी की पार्टी –  जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के बीच  गठबंधन की घोषणा के एक दिन बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह छत्तीसगढ़ आये. शाह इस साल के अंत में होनेवाले  विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा  की चुनावी रणनीति को सुदृढ़ करने की मंशा के साथ आये हैं.

मुख्यमंत्री रमन सिंह लगातार चौथे कार्यकाल के लिए चुनाव लड़ रहे हैं और भाजपा  उम्मीद करती है कि नवनिर्मित गठबंधन छत्तीसगढ़ में उसके शासन बनाये  रखने में मददगार साबित होगा.

भाजपा  के नेताओं का मानना है कि जोगी-मायावती गठबंधन अपने बल पर  चुनाव जीतने में सक्षम नहीं है लेकिन वह ऐंटी इंकम्बेंसी वोटों में सेंध लगाकर सत्ताधारी पार्टी को लाभ पहुंचा सकता है.


यह भी पढ़ें :  Mahagatbandhan gets a Mayawati reality check as BSP raises the stakes


राज्य ने अब तक कांग्रेस और बीजेपी के बीच द्विध्रुवीय प्रतियोगिताओं को ही  देखा है और हर बार टक्कर कांटे की रही है. विजेता और दूसरे स्थान पर आनेवाली पार्टी के  वोट शेयर  का अंतर 2003 में 2.55 प्रतिशत, 2008 में 1.8 प्रतिशत और 2013 में केवल  0.77 प्रतिशत था.

भाजपा उम्मीद करती है कि नया गठबंधन इस खेल का रुख उनके पक्ष में मोड़ देगा.

भाजपा  नेताओं का कहना है कि जोगी राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से कम से कम 10 पर काफी मजबूत हैं  जबकि बसपा, जिसका केवल एक विधायक है, वह अन्य 10 सीटों पर इसी तरह वोट काटने में सक्षम है.

नेताओं का कहना है कि दोनों पक्ष  साथ मिलकर 40 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान पैटर्न को प्रभावित कर सकते हैं.

बसपा -जोगी गठबंधन आखिर  क्यों मायने रखता है

मायावती-जोगी गठबंधन  राज्य में दलित-आदिवासी आबादी को भुनाने की उम्मीद कर रहा  है.

आदिवासी  राज्य की आबादी का लगभग 31.8 प्रतिशत हैं, जबकि दलित 11.6 प्रतिशत. साथ मिलकर वे  राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण और सशक्त  वोट बैंक हैं. गठबंधन मुख्य रूप से एससी के लिए आरक्षित 10 विधानसभा सीटों और एसटी के लिए  आरक्षित 29 सीटों को निशाना बना रहा है.

जहाँ जोगी पहले कांग्रेस के साथ थे वहीँ बसपा की राज्य में उपस्थिति पहले से रही है. 2003 के चुनावों में  बसपा के पास विधानसभा में 5.09 प्रतिशत का वोट-शेयर और एक विधायक  था. 2008 में यह  वोट-शेयर 6.11 प्रतिशत तक पहुंच गया, जिससे पार्टी को दो विधायक मिले.  हालाँकि  पिछले चुनावों में यह आंकड़ा 4.3 प्रतिशत हो गया और पार्टी को एक सीट से ही संतोष करना पड़ा.


यह भी पढ़ें : BJP will not take initiative to form govt in Jammu & Kashmir, says Ram Madhav


2000 में मध्यप्रदेश से अलग होने के बाद से ही छत्तीसगढ़ में आरक्षित श्रेणी के मुख्यमंत्री की भारी मांग रही है और गठबंधन इसका फायदा उठा सकता है.

Read in English : BJP goes into huddle after Mayawati and Jogi tie-up in Chhattisgarh.

share & View comments