नई दिल्ली: आगामी कर्नाटक विधानसभा चुनावों के लिए अपने उम्मीदवारों की सूची जारी किए जाने के बाद से भाजपा में बांटे गए टिकटों को लेकर नाराज़गी शुरू हो गई.
और मंगलवार की रात पहली लिस्ट में 189 प्रत्याशियों का नाम आते ही नाराजगी का ये बांध टूट गया.
भाजपा नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी ने सूची में अपना नाम नहीं मिलने के बाद बुधवार को तुरंत पार्टी छोड़ दी. निवर्तमान विधानसभा में मंत्री लक्ष्मण बी.एस. येदियुरप्पा के वफादार और एक शक्तिशाली लिंगायत नेता हैं.
सावदी ने अपने अथानी निर्वाचन क्षेत्र से टिकट से वंचित होने के बाद विधान परिषद की सदस्यता के साथ-साथ पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया. वह उस सीट से तीन बार के विधायक हैं.
सावदी ने कहा: “मैंने अपना फैसला कर लिया है. मैं कटोरी लेकर घूमने वालों में से नहीं हूं. मैं एक स्वाभिमानी राजनीतिज्ञ हूं. मैं किसी के बहकावे में आकर काम नहीं कर रहा हूं.”
हालांकि, सावदी 2018 में अथानी को कांग्रेस के महेश कुमथल्ली से हार गए थे. कुमथल्ली, जिन्होंने 2019 में भाजपा का दामन थामा, उन्हें 2023 के चुनावों के लिए टिकट दिया गया है.
दलबदल के बाद, कुमथल्ली को 2019 के उपचुनाव में फिर से विधानसभा के लिए चुना गया, जबकि सावदी को विधान परिषद के लिए नामित किया गया था.
भाजपा ने बुधवार रात 224 सीटों वाली विधानसभा के लिए 189 उम्मीदवारों की घोषणा की, इसमें 52 नए चेहरों को शामिल किया और पूर्व जद (एस)-कांग्रेस गठबंधन को गिराने में मदद करने वाले अधिकांश दलबदलुओं को भी बरकरार रखा गया.
दिप्रिंट ने मंगलवार को बताया कि भाजपा ने नामांकन के अंतिम दिन से बमुश्किल 10 दिन पहले अपनी पहली सूची जारी की, जो संभवतः पार्टी में लोगों को मनाने की कोशिश में कठिनाइयों का संकेत दे रही है और राज्य और केंद्रीय नेताओं के सभी वर्गों की अपेक्षाओं को प्रबंधित कर रही है.
सूची आने के कुछ घंटे पहले, दो नेता नए लोगों के लिए रास्ता बनाने के बारे में मुखर थे.
भाजपा के शिवमोग्गा विधायक के.एस. ईश्वरप्पा मंगलवार को यह कहते हुए चुपचाप चले गए कि वह चुनावी राजनीति से हटना चाहेंगे. उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा को पत्र लिखकर कहा: “पार्टी ने पिछले 40 वर्षों में मुझे एक बूथ प्रभारी से लेकर राज्य के पार्टी प्रमुख तक कई जिम्मेदारियां दी हैं. मुझे उपमुख्यमंत्री बनने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ था. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.”
पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार, हालांकि, आलाकमान के फैसले के अधिक आलोचक थे.
हुबली से छह बार के विधायक ने पार्टी नेतृत्व से उन्हें एक और मौका देने का अनुरोध करते हुए कहा, “मेरे माइनस पॉइंट क्या हैं.”
शेट्टार ने कहा, ‘मेरी उम्र 67 साल है और मैं पूर्व मुख्यमंत्री हूं. हर सर्वे ने दिखाया है कि मैं लोकप्रिय हूं. पिछले छह चुनावों में मैं हुबली के लोगों के आशीर्वाद से निर्वाचित हुआ हूं… मैं लगातार 25,000 से अधिक मतों के अंतर से निर्वाचित हुआ हूं. मैंने एक भी टर्म में हार का सामना नहीं किया है.”
पत्रकारों से बातचीत में, शेट्टार ने पार्टी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को उजागर किया, जिसमें बताया गया कि कैसे उनका परिवार जनसंघ के दिनों से भाजपा से जुड़ा हुआ है.
इस बीच, भाजपा के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बुधवार को कहा कि 189 नामों की घोषणा करने से पहले “लगभग सभी क्षेत्रों में” सहमति थी. उन्होंने कहा, ‘कुछ लोग (सूची से) असहमत हैं और उनके साथ चर्चा की जाएगी. मैं उनके साथ लगातार संपर्क में हूं. मैंने लक्ष्मण सावदी (प्रदेश उपाध्यक्ष) से बात की है और उनसे जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेने को कहा गया है.
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