इम्फाल: मणिपुर में भाजपा और कांग्रेस नेताओं का सारा ध्यान मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की ओर से पेश किए जाने वाले विश्वास प्रस्ताव पर है. सोमवार को विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र में विश्वास प्रस्ताव पेश किया जाएगा.
विश्वास मत में राज्य में भाजपा नीत गबठंधन सरकार के भाग्य का फैसला होगा.
भाजपा और कांग्रेस ने क्रमश: अपने 18 और 24 विधायकों को व्हिप जारी करते हुए विधानसभा में मौजूद रहने और पार्टी लाइन के मुताबिक मत देने के लिए कहा है. 60 सदस्यीय विधानसभा में तीन विधायकों के इस्तीफे और दल-बदल कानून के तहत चार विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के बाद अब सदन में 53 विधायक हैं.
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एस टिकेंद्र सिंह ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि सरकार 30 से ज्यादा सदस्यों का समर्थन हासिल करके विश्वास मत जीतेगी. हालांकि सदन में गठबंधन सरकार के पास सिर्फ 29 सदस्यों का संख्याबल है. कांग्रेस ने 28 जुलाई को भाजपा नीत सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था.
कांग्रेस के विधायक केशम मेघचंद्र सिंह ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की ओर से पेश विश्वास प्रस्ताव पर सदन में चर्चा सूचीबद्ध है.
उन्होंने कहा, ‘सदन की कार्यवाही के नियम में यह स्पष्ट है कि अगर एक ही मुद्दे को लेकर दो अलग-अलग प्रस्ताव पेश किए गए हों यानी एक विपक्ष के द्वारा और एक सरकार के द्वारा तो प्राथमिकता सरकार की ओर से पेश किए गए प्रस्ताव को दी जानी चाहिए. इसलिए कांग्रेस इस चर्चा में हिस्सा लेगी.’
सिंह ने कहा कि इस चर्चा के दौरान कांग्रेस राज्य में बड़ी मात्रा में मादक पदार्थ की जब्ती पर चर्चा करेगी जो चंदेल स्वायत्त जिला परिषद के अध्यक्ष लुखोसेई जोऊ से जुड़ा है. वह उस समय भाजपा नेता थे. वहीं विपक्षी पार्टी कोविड-19 महमारी के प्रसार और लॉकडाउन के दौरान जरूरी वस्तुओं के उपलब्ध नहीं होने जैसे मुद्दे को उजागर करेगी.
भाजपा नीत सरकार के सामने 17 जून को राजनीतिक संकट उपस्थित हो गया क्योंकि छह विधायकों ने समर्थन वापस ले लिया, वहीं भाजपा के तीन विधायक पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए.
हालांकि भाजपा के शीर्ष नेताओं और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा के हस्तक्षेप के बाद नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) के चार विधायक बाद में गठबंधन में वापस आ गए. संगमा एनपीपी के सुप्रीमो हैं.
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