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Thursday, 19 December, 2024
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BJP, AIADMK ने ए. राजा के ‘स्वतंत्र तमिलनाडु’ के बयान की आलोचना की, कहा-‘अलगाववाद का प्रचार कर रहे हैं’

रविवार को एक बैठक में बोलते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री राजा ने कहा कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को उन्हें 'थानी नाडु (अलग राष्ट्र)' की मांग करने के लिए 'मजबूर' नहीं करना चाहिए.

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चेन्नई: द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के सांसद ए. राजा की उस टिप्पणी से राज्य में राजनीतिक विवाद छिड़ गया है जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार से पार्टी को अलग तमिल राष्ट्र की मांग को फिर से शुरू करने के लिए मजबूर ना करने के लिए कहा है.

नमक्कल में रविवार को द्रमुक स्थानीय निकाय के प्रतिनिधियों के लिए आयोजित एक बैठक में बोलते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री राजा ने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्यों को स्वायत्तता नहीं दी है. उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री उन्हें एक ‘थानी नाडु (अलग राष्ट्र)’ की मांग करने के लिए विवश न करें.

राजा ने कथित तौर पर मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के सामने कहा ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि सभी राज्यों को एक जैसा दिखना चाहिए और गृह मंत्री अमित शाह कहते हैं कि अगर आप एकता चाहते हैं तो हिंदी सीखें. पार्टी के संस्थापक पेरियार (अपनी) मृत्यु तक थानी नाडु की मांग करते रहे थे लेकिन हमने (द्रमुक) अपने लोकतंत्र और राष्ट्रीय अखंडता के लिए अपनी मांग को दरकिनार कर दिया.’

उन्होंने तमिल में अपने भाषण में कहा, ‘मैं यह अत्यंत विनम्रता के साथ कह रहा हूं. हम मुख्यमंत्री अन्ना के (पूर्व सीएम सी.एन. अन्नादुरई) के रास्ते पर हैं, हमें पेरियार के रास्ते पर चलने के लिए विवश न करें’. उन्होंने आगे कहा, ‘एक अलग राज्य की हमारी मांग को फिर से शुरू करने के लिए मजबूर न करें और राज्य को स्वायत्तता दी जाए.’

राजा के भाषण की विपक्षी अखिल भारतीय द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) और उसकी सहयोगी भाजपा दोनों ने कड़ी आलोचना की है. जबकि अन्नाद्रमुक ने टिप्पणियों को गैर जिम्मेदाराना कहा है. भाजपा ने कहा है कि वे ‘अलगाववाद का प्रचार कर रहे हैं.’

वहीं, डीएमके ने टिप्पणियों से खुद को दूर कर लिया है.

डीएमके के प्रवक्ता टी.के.एस. एलंगोवन ने दिप्रिंट को बताया कि अलग राज्य की मांग करना ‘पार्टी का स्टैंड नहीं’ था.

उन्होंने कहा, ‘ए. राजा ने गुस्से और हताशा में ऐसा कहा होगा क्योंकि केंद्र सरकार राज्य की स्वायत्तता छीन रही है’ उनके आगे कहा, ‘पार्टी का मानना है कि राज्यों को अधिक जिम्मेदारियां दी जानी चाहिए.’


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‘लोगों का ध्यान भटकाने’ के लिए

राज्य की स्वायत्तता 1960 के दशक से द्रमुक के शीर्ष राजनीतिक एजेंडे में से एक रही है. इसके चुनावी घोषणापत्र संघवाद के संदर्भ से शुरू होते हैं. भारत की स्वतंत्रता एवं अखंडता को बरकरार रखने संबंधी संविधान के 16वें संशोधन के बाद 1963 में पार्टी ने एक अलग द्रविड़ नाडु की मांग को छोड़ दिया था.

1969 में एक संघीय व्यवस्था में केंद्र और राज्य के बीच संबंधों की जांच के लिए डीएमके ने पी.वी. राजमन्नार समिति का गठन किया था.

इसने नए कानून बनाने से पहले केंद्र सरकार से परामर्श करने के लिए प्रत्येक राज्य के लिए एक अंतर-राज्य परिषद की सिफारिश की गई थी.

द्रमुक ने 1971 में कांग्रेस (आई) के साथ गठबंधन के बाद इन मांगों को दोहराया. उन्होंने 1974 में तमिलनाडु विधानसभा में एक श्वेत पत्र प्रस्तुत किया और स्वायत्तता की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया.

द्रमुक के एलंगोवन ने दिप्रिंट को बताया कि उन्हें नहीं पता कि पार्टी ने रविवार की टिप्पणी के लिए राजा के खिलाफ कोई कार्रवाई की है या नहीं. लेकिन राज्यों को स्वायत्तता, पार्टी की आधिकारिक स्थिति है जिसकी ‘हम पिछले 60 सालों से बात कर रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘सत्ता का विभाजन राज्यों की संख्या बढ़ाने में मदद करेगा, न कि देश को आगे बढ़ाने में.’

अन्नाद्रमुक के प्रवक्ता कोवई सत्यन ने कहा कि द्रमुक राज्य में ‘लगभग 1.5 साल’ के लिए अलगाव के बीज बो रहा है.’ राजा अपनी टिप्पणियों के साथ बहुत आगे तक चले गए.

उन्होंने कहा, ‘जब वे विपक्ष में थे, तो वे (केंद्र को) केंद्र सरकार कहते थे. जिस क्षण वे सत्ता में आए, उन्होंने संघीय सरकार शब्द गढ़ लिया’. सत्यन ने आगे कहा, ‘क्योंकि लोग इसे संघीय सरकार कहकर बुलाते हैं, तो उन्हें लगता है कि इससे राज्य की स्वायत्तता सुनिश्चित हो जाएगी’

उन्होंने डीएमके पर जनता का ध्यान भटकाने के लिए तीन विषयों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया: ‘राज्य के अधिकार, संघवाद, और राज्य की स्वायत्तता और भाषा’

उन्होंने कहा, ‘वे कहेंगे कि वे राज्य के अधिकारों के बेहतर जानकार है, संघवाद सुनिश्चित करेंगे. लेकिन ये सब कहने के लिए है. जब कार्रवाई की बात आती है तो उन्हें पता नहीं होता कि आगे क्या करना है.’

तमिलनाडु भाजपा प्रमुख अन्नामलाई ने अपने विचार व्यक्त करने के लिए ट्विटर का सहारा लिया. तमिलनाडु में बीजेपी के महासचिव कारू नागराजन ने दिप्रिंट को बताया कि इस तरह की ‘अलगाववादी टिप्पणियों’ को बीजेपी बर्दाश्त नहीं करेगी.

उन्होंने कहा, ‘यह लोगों का ध्यान भटकाने के लिए किया जा रहा है. वे अपनी गलतियों को छिपाना चाहते है. वे सिर्फ लोगों की भावनाओं को भड़काने वाले मुद्दों के बारे में बोलना चाहते हैं.’

वह आगे कहते हैं, ‘यहां तक कि तमिलनाडु के लोग भी अलग राज्य की ऐसी बात को कभी स्वीकार नहीं करेंगे’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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