नई दिल्लीः तीन तलाक बिल विपक्षी दलों के भारी हंगामे और विरोध के बीच शुक्रवार को ध्वनिमत से पारित हो गया. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस बिल को लोकसभा में पेश किया जिसका कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल के नेताओं ने तीखा विरोध किया.
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— ANI (@ANI) June 21, 2019
बता दें कि कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में तीन तलाक बिल विरोध के बीच पेश किया. इस दौरान कांग्रेस सांसद थरूर ने तीन तलाक बिल पर लोकसभा में जबर्दस्त हंगामा, बिल का विरोध करते हुए थरूर ने कहा कि तीन तलाक बिल मुस्लिम परिवारों के खिलाफ है. यह सिर्फ परेशान करने के लाया गया. सिर्फ एक समुदाय के बजाय सभी के लिए कानून बनना चाहिए.
वहीं एमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में तीन तलाक पर बिल पर अपना तीखा विरोध जताया. ओवैसी ने कहा यह मुस्लिम महिलाओं के हक में नहीं. उनके लिए परेशानी का सबब बनेगा. उन्होंने कहा कि तीन तलाक बिल में मुसलमान पुरुष को तीन साल की सजा देता है जो भेदभावपूर्ण है. उन्होंने सत्तापक्ष की ओर इशारा करते हुए कहा कि आपको केरला की हिंदू महिलाओं से मोहब्बत क्यों नहीं आप मुस्लिम महिलाओं के हित के लिए क्यों परेशान हैं.
वहीं कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हम संसद है. संसद कानून बनाने के लिए होता है. जनता ने हमें चुनकर इसीलिए भेजा है. संसद को अदालत न बनाएं. कानून मंत्री ने कहा कि ये नारी न्याय और गरिमा का सवाल है. इसे संविधान की प्रक्रिया के तहत लाया गया है. इससे मुस्लिम महिलाओं की रक्षा होगी. यह धर्म, इबादत या पूजा से नहीं जुड़ा है.
इस बीच लोकसभा स्पीकर सदन में बार-बार हंगामे को देखकर सदन में खड़े होकर सदस्यों को समझाते रहे. आखिर में उन्होंने बहस को बढ़ता देखा तो बिल का समर्थन करने वाले सदस्यों से हाथ उठाने को कहा और जो इसके खिलाफ हों उन सदस्यों का हाथ उठाकर अंत हां कहने वालों की संख्या ज्यादा होने पर इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया.
गौरतलब है कि लोकसभा में शुक्रवार को चार बिल पेश होने हैं जिसमें एक महत्वपूर्ण बिल ट्रिपल तलाक पेश हो चुका है. मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत की प्रथा पर रोक के लिए सरकार यह नया बिल ले आई है. लोकसभा से जुड़ी कार्यवाही की सूची में इसे शामिल किया गया था.
बता दें कि 16वीं लोकसभा का कार्यकाल खत्म होने के साथ ही पिछला विधेयक प्रभाव में नहीं रह गया था. क्योंकि यह राज्यसभा में पास नहीं हो पाया था.
इससे पहले केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कैबिनेट के इस फैसले की जानकारी दी थी कि मुस्लिम महिलाओं के हितों के मद्देनजर मोदी सरकार आगामी संसदीय सत्र में तीन तलाक बिल लेकर आएगी. उन्होंने बताया था कि पुराना अध्यादेश ही बिल के रूप में कन्वर्ट होगा.
इस विधेयक को अगर संसद से मंजूरी मिल जाती है तो यह इस साल के शुरुआत में लागू किए गए तीन तलाक के अध्यादेश की जगह लेगा. 16वीं लोकसभा में तीन तलाक का विधेयक लोकसभा से पास हो गया था, लेकिन राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं होने से यह विधेयक अटक गया था.
हाल में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी स्पष्ट किया था कि मुस्लिम महिलाओं के अधिकार और सम्मान की रक्षा के लिए केंद्र सरकार प्रतिबद्ध है. संसद में मोदी सरकार फिर से तीन तलाश के खिलाफ बिल लाएगी.
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी स्पष्ट किया था कि मुस्लिम महिलाओं के अधिकार और सम्मान की रक्षा के लिए केंद्र सरकार प्रतिबद्ध है. संसद में मोदी सरकार फिर से तीन तलाक के खिलाफ बिल लाएगी.
संसद का आगामी सत्र 17 जून से शुरू हुआ है. इसी को देखते हुए कैबिनेट में उन विधेयकों को भी मंजूरी दी जा सकती है जो पिछली सरकार में पास नहीं हो पाए थे. इसके अलावा सभी मंत्रालय के 100 दिनों के एजेंडे पर भी चर्चा की जाएगी.