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Friday, 1 November, 2024
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पटना के मानेर में हैं आरजेडी के यादव बनाम बीजेपी के यादव बनाम इंडीपेंडेंट यादव

मानेर में हर तीसरा वोटर यादव है, और हर पार्टी ने इसका ध्यान रखा है. बीजेपी ने निखिल यादव को उतारा है, तो आरेडी सिटिंग विधायक भाई वीरेंद्र यादव के साथ लड़ रही है.

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मानेर: खाद्य दिग्गज़ों बीकानेरवाला और हल्दीराम्स के आने से पहले, बिहार में लड्डुओं का स्रोत पटना ज़िले का मानेर था. ये शहर यहां की मानेर शरीफ दरगाह के लिए भी जाना जाता है.

लेकिन चुनावी संदर्भ में इसे लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) का गढ़ माना जाता है- वो पार्टी जिसका पिछले 15 साल से इस सीट पर क़ब्ज़ा है.

इसकी बुनियादी वजह ये, कि यहां के एक तिहाई मतदाता यादव हैं, वो जाति जिससे आरजेडी को सहारा मिलता है. मानेर के तीन लाख मतदाताओं में, क़रीब एक लाख यादव हैं. लगभग 30,000 मुसलमान हैं, 32,000 दलित हैं, और अन्य में 65,000 ऊंची जातियों के लोग हैं.

इसलिए इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि सभी प्रमुख उम्मीदवार यादव हैं. आरजेडी ने सिटिंग विधायक भाई वीरेंद्र यादव को मैदान में उतारा है, जबकि बीजेपी टिकट एक अन्य यादव निखिल मंडल को मिला है, जो पार्टी में शामिल होने से पहले, पत्रकार हुआ करते थे.

इसे एक तिकोना मुक़ाबला बना रहे हैं, बीजेपी के बाग़ी श्रीकांत निराला यादव, जो पार्टी टिकट न मिलने के बाद, एक निर्दलीय के रूप में लड़ रहे हैं.

निराला कोई हल्के उम्मीदवार नहीं हैं. वो मानेर से तीन बार विधायक रह चुके हैं. उन्होंने सबसे पहले 1990 में, यहां से बतौर कांग्रेसी उम्मीदवार चुनाव जीता था, जिसके बाद 1995 में जनता दल के टिकट पर, उन्हें एक और जीत हासिल हुई.

2005 का चुनाव उन्होंने आरजेडी के टिकट पर जीता, लेकिन 2010 में वो पाला बदलकर जेडी(यू) में चले गए. वहां से वो बीजेपी में आ गए, और 2015 में मानेर से पार्टी उम्मीदवार थे, लेकिन भाई वीरेंद्र से हार गए.

निराला को, जिनके पिता, माता, और ससुर सब इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, कथित रूप से उनकी पार्टी-विरोधी गतिविधियों के चलते, इस बार टिकट नहीं दिया गया. 2019 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने कथित रूप से, पाटलिपुत्र संसदीय सीट से लालू की बेटी, आरजेडी की मीसा भारती के लिए, पर्दे के पीछे रहकर प्रचार किया था. मीसा अंत में बीजेपी के राम कृपाल यादव के हाथों परास्त हो गईं थीं.


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एक कठिन कार्य

दो अन्य यादवों की मौजूदगी के बावजूद, आरजेडी के भाई वीरेंद्र इस सीट की रेस में, आगे दिखाई दिखाई पड़ रहे हैं, और ये स्थिति अकेले उनकी वजह से नहीं है.

बहुत से मतदाताओं ने, जिनसे दिप्रिंट ने बात की, स्पष्ट किया कि वो सिर्फ एक मुख्य कारण से आरजेडी के साथ बने हैं- लालू प्रसाद यादव.

चुनाव क्षेत्र के मौली नगर गांव के निवासी कृष्ण मुरारी ने कहा, ‘हमें भाई वीरेंद्र से कोई मतलब नहीं है; यहां पर सब लालू को वोट देते हैं. जिसे लालू कहते हैं, हम उसे वोट दे देते हैं’.

उन्होंने आगे कहा, ‘हम बीजेपी के खिलाफ नहीं हैं. लोकसभा चुनावों में हमने मोदी जी को वोट दिया, लेकिन असैम्बली के लिए, हम आरजेडी को वोट देंगे’.

मुरारी ने ये भी कहा कि लॉकडाउन के दौरान तेजस्वी यादव ने, उन्हें हैदराबाद से वापस लाने के लिए बसें भिजवाईं, जहां वो फंसे हुए थे.

एक और गांव वासी दीपक कुमार यादव ने कहा, कि बहुत से लोगों के बीजेपी को वोट न देने का एक और कारण है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार. दीपक ने कहा, ‘हम पलटू राम को वोट नहीं करेंगे’. उन्होंने आगे कहा, ‘लालू ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया, लेकिन उन्होंने लालू को छोड़ दिया. हम नीतीश कुमार के अलावा किसी को भी वोट दे देंगे; वो तो यहां आए भी नहीं’.

शांति नगर के सुनील यादव का कहना था, कि उनका लक्ष्य तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाना है. सुनील ने कहा, ‘बीजेपी का दांव यहां नहीं चलेगा’. उन्होंने आगे कहा, ‘तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए सभी यादव एकजुट हैं. वैसे भी यहां से लालू का उम्मीदवार ही जीतेगा, हमें नक़ली यादवों की ज़रूरत नहीं है. लालू ने हमें ताक़त दी है, और ऊंची जातियों का राज ख़त्म किया है, किसी दूसरे उम्मीदवार को चुनने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता’.

लेकिन बीजेपी के निखिल मंडल अपनी जीत के प्रति आशावान हैं. मंडल ने कहा, ‘लोग सिटिंग विधायक से संतुष्ट नहीं हैं. आरजेडी का गढ़ होने के बावजूद, यहां मुझे बहुत सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है’. उन्होंने आगे कहा, ‘लोग बदलाव चाहते हैं और विकास की राजनीति चाहते हैं. इस सीट को जीतकर मैं बीजेपी हाईकमान को, एक सरप्राइज़ देना चाहता हूं’.


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चुनाव क्षेत्र के मुद्दे

इस चुनाव क्षेत्र में लोगों को सबसे बड़ी शिकायत, जेडी(यू)-बीजेपी सरकार की फ्लैगशिप योजना ‘हर घर नल का जल’ स्कीम से थी, जिसके अंतर्गत सरकार ने साफ पेय जल उपलब्ध कराने का वादा किया था.

चुनाव क्षेत्र के कम से कम 30 गांव, पीने के पानी में मिले संखिया से प्रभावित रहे हैं. गांव वालों का कहना है कि पाइप तो हैं, लेकिन उनमें पानी नहीं आता.

शांति नगर के गांव वालों का कहना है कि हर घर नल जल योजना के तहत यहां सिर्फ पाइप है लेकिन पानी नहीं है/फोटो: प्रवीण जैन/ दिप्रिंट
शांति नगर के गांव वालों का कहना है कि हर घर नल जल योजना के तहत यहां सिर्फ पाइप है लेकिन पानी नहीं है/फोटो: प्रवीण जैन/ दिप्रिंट

शांति नगर गांव की मालती ने कहा, ‘स्कीम सिर्फ कागज़ पर है’. उन्होंने आगे कहा, ‘हमारे गांव में एक पाइप तो लगाया गया है, लेकिन उससे हमें पानी नहीं मिलता’.

मानेर में एक और शिकायत ये है, कि पड़ोसी बिहता तेज़ी के साथ एक व्यवसायिक शहर में विकसित हो रहा है, और वहां इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) भी है, जबकि मानेर की अनदेखी की गई है.

मानेर के सत्येंद्र यादव ने कहा, कि सरकार ने घोषणा की थी कि शहर को, एक धार्मिक और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा, लेकिन अभी तक कुछ काम नहीं हुआ है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए)


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