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Saturday, 23 November, 2024
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‘बड़ी बिंदी और मुखर रोल मॉडल’—सुषमा स्वराज के नाम पर ‘साइलेंट महिला वोटर्स’ को लुभाने में लगी BJP

भाजपा देश भर में विभिन्न उपलब्धियां हासिल करने वाली महिलाओं को सुषमा स्वराज पुरस्कार दे रही है, और उसे उम्मीद है कि वे ‘इंफ्लूएंसर’ साबित होंगी और पार्टी को ‘और अधिक आक्रामक ढंग से महिला मतदाता वर्ग के साथ जोड़ने’ में मदद करेंगी.

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नई दिल्ली: भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव से पूर्व अधिक से अधिक महिला मतदाताओं से जुड़ने के लिए ‘प्रेरणास्रोत’ रहीं पॉलिटिकल आइकन सुषमा स्वराज के नाम का इस्तेमाल करने में जुटी है. भाजपा सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि देश के हर जिले की 10 महिलाओं को सुषमा स्वराज पुरस्कार इस उम्मीद के साथ प्रदान किया जा रहा है कि सम्मानित महिलाएं पार्टी के लिए ‘इंफ्लूएंसर’ साबित होंगी.

दिप्रिंट के साथ बात करने वाले भाजपा नेताओं ने जोर देकर कहा कि ‘नए जमाने के किसी अन्य नेता’ की तुलना में पूर्व विदेश मंत्री स्वराज एक अधिक आदर्श ‘रोल मॉडल’ थीं, क्योंकि वह न केवल एक अनुभवी राजनेता थीं, बल्कि अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े रहने को भी बहुत अहमियत देती थीं, चाहे करवा चौथ का व्रत रहना हो या फिर बिंदी लगाना.

शिमला जिले में रविवार को आयोजित सुषमा स्वराज पुरस्कार समारोह में शामिल रहीं राज्यसभा सदस्य इंदु गोस्वामी ने कहा, ‘सुषमा स्वराज के नाम पर महिलाओं को पुरस्कार देने के पीछे मूल विचार उनके योगदान को अमर बनाना है. वह सभी राजनीतिक दलों के बीच बेहद सम्मानित और पसंदीदा महिला नेता थीं. वह पार्टी की जेनरेशन एक्स नेताओं में ऐसी पहली महिला नेता थीं, जिन्होंने अपने व्यक्तिगत और सार्वजनिक आचरण से पूरे भारत में महिलाओं को प्रभावित किया.’

गोस्वामी ने कहा, ‘वह भारतीय महिलाओं के लिए एक आदर्श थीं. वह साड़ी पहनतीं, माथे पर हमेशा एक बड़ी बिंदी लगातीं और करवा चौथ का व्रत मनातीं, और संसद में स्पष्ट और प्रभावशाली हिंदी भाषण के साथ विपक्ष को घेरतीं तो तथ्यों और भावनाओं का पूरा ध्यान रखतीं. महिलाओं को सम्मानित करके हम और अधिक महिलाओं को सुषमाजी की विरासत से जोड़ना चाहते हैं.’

भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष वनथी श्रीनिवासन ने दिप्रिंट को बताया कि हर राज्य और जिले में महिला विंग ने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धि हासिल करने वाली महिलाओं का चयन किया है.

उन्होंने आगे कहा, ‘हम महिला सेवा में उनका उत्कृष्ट योगदान और उपलब्धियां स्वीकार रहे हैं. अब तक 9,000 से अधिक महिलाओं को उनके योगदान के लिए सुषमा स्वराज पुरस्कार दिया जा चुका है, ताकि वे सुषमा स्वराज की तरह समाज में दूसरों के लिए प्रेरणा बन सकें.’

पिछले कुछ दिनों में पार्टी ने देश के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं को सुषमा स्वराज पुरस्कार प्रदान किया है.

देहरादून में इस रविवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में 26 महिलाओं को सम्मानित किया गया. जम्मू में रविवार को ही पूर्व डिप्टी सीएम कविंदर गुप्ता और जम्मू-कश्मीर भाजपा महासचिव (संगठन) अशोक कौल की मौजूदगी में पार्टी ने विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी महिलाओं को पुरस्कृत किया, जिसमें एक पायलट, एक आईआईटी शोधकर्ता, एक प्रोफेसर, एक उद्यमी और एक कलाकार शामिल हैं.

अपने 2022 के बजट में सुषमा स्वराज पुरस्कार की घोषणा करने वाली हरियाणा सरकार ने भी 10 मार्च को कई महिलाओं को पुरस्कार प्रदान किया.

अब पार्टी को एक बड़ी उम्मीद यह है कि पुरस्कार विजेता महिलाएं पार्टी को महिला मतदाताओं से जोड़ने में मददगार होंगी.

नाम न छापने की शर्त पर उत्तर प्रदेश की एक लोकसभा सांसद ने इसका कारण भी बताया.

उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से महिलाओं पर केंद्रित कल्याणकारी कार्यक्रम चलाए जाने के बावजूद कुछ राज्यों में महिलाओं के बीच हमारी पैठ पुरुष मतदाताओं की तुलना में कम है. हमारी पार्टी बैठकों में हमें बताया गया कि इंफ्लूएंसर के जरिये महिलाओं तक पहुंचना अधिक असरदार होता है. बहुत से लोग भाषण नहीं सुनना चाहते, लेकिन जब पायलट, महिला उद्यमी, प्रोफेसर कल्याणकारी कार्यक्रमों के बारे में बात करते हैं या हमारे अच्छे काम के बारे में बताते हैं तो उसका प्रभाव कई गुना अधिक होता है. उपलब्धियां हासिल करने वाली ये महिलाएं पार्टी को अपने टार्गेट ग्रुप तक पहुंचाने में अधिक मददगार साबित होंगी.’


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‘मंडल, कमंडल और अब महिलाएं’

भाजपा में कई प्रमुख महिला नेता हैं, जिनमें केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, प्रतिमा भौमिक, दर्शना जरदोश और साध्वी निरंजना ज्योति आदि शामिल हैं. लेकिन सूत्रों का कहना है कि इसमें किसी की भी ‘आभा’ स्वराज की जैसी नहीं है, जिनका 6 अगस्त 2019 को 67 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था.

महाराष्ट्र की एक महिला लोकसभा सांसद ने कहा, ‘वह एक उत्कृष्ट वक्ता, प्रभावी सांसद, समर्पित राजनेता, उदार विदेश मंत्री, अच्छी पत्नी, मां और बहन थीं. भाजपा और सत्ता संरचना में शीर्ष पर पहुंचने के बावजूद, उन्होंने कई अन्य नई-पुरानी महिला नेताओं के विपरीत अपनी विनम्रता कभी नहीं छोड़ी. यही कारण है कि कोई अन्य महिला नेता सुषमा की जैसी ऊंचाई तक नहीं पहुंच पाई है.’

Sushma Swaraj | File photo: Praveen Jain | ThePrint

उक्त सांसद ने कहा कि यह सुषमा स्वराज ही थीं जिन्होंने ‘सामान्य महिलाओं’ के लिए राजनीति में करियर बनाना अधिक सुलभ कर दिया.

उन्होंने कहा, ‘पहले, सार्वजनिक जीवन कुलीन महिलाओं के लिए ही आरक्षित था. उन्होंने अपने दृढ़ संकल्प से सामान्य महिलाओं का राजनीति में आना संभव बनाया. वह जनता के जेहन में छा जाने वाली एकमात्र महिला राजनेता थीं. सुषमाजी के जीवन आदर्शों को सामने लाकर हम अधिक आक्रामक तरीके से महिला वर्ग के साथ जुड़ना चाहते हैं.’

पार्टी के एक केंद्रीय नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि चुनाव से पहले पार्टी इस सेगमेंट पर अधिक रणनीतिक फोकस के साथ ध्यान केंद्रित कर रही है.

उन्होंने कहा, ‘मंडल 1990 में हुआ, कमंडल उसके बाद हुआ और अब महिला कैचमेंट एरिया भाजपा की राजनीति की नई रणनीति है.’

‘मंडल’ शब्द अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अनुसूचित जाति (एससी) से संबंधित राजनीति के संदर्भ में आता है, जो 1979 के मंडल आयोग के नाम पर सुर्खियों में आया. ‘कमंडल’ हिंदुत्व की राजनीति का एक पर्याय है, जो आध्यात्मिक नेताओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले पानी के बर्तन को इंगित करता है.

केंद्रीय भाजपा नेता ने आगे बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पार्टी कार्यकर्ताओं से बार-बार कह रहे हैं कि महिला कल्याण पर केंद्रित दृष्टिकोण अपनाएं.

पिछले साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने भाषण में पीएम ने विस्तार से इस पर चर्चा की थी कि कैसे ‘नारी शक्ति’ देश को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकती है. पिछले अप्रैल में भाजपा के 42वें स्थापना दिवस पर भी, पीएम ने इस बात को रेखांकित किया कि कैसे ‘पिछले कई चुनावों में महिलाएं हमें वोट देने के लिए आगे आई हैं.’ मोदी ने कहा था कि यह एक ‘सामाजिक जागृति’ और एक ‘चुनावी ट्रेंड’ दोनों को दर्शाता है.

केंद्रीय नेता ने कहा, ‘पीएम ने विकास और कई राज्यों में भाजपा की जीत सुनिश्चित करने में साइलेंट महिला वोटर्स की शक्ति का जिक्र किया. पार्टी ने बड़ी संख्या में महिला उम्मीदवार मैदान में उतारकर त्रिपुरा में सत्ता विरोधी लहर को भी मात दी है. अधिक महिला नेता भाजपा के प्रभाव क्षेत्र का विस्तार करेंगी, इसलिए ज्यादा से ज्यादा महिलाओं तक पहुंचने पर लगातार ध्यान दिया जा रहा है.’


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महिला मतदाता कितनी अहम

2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने 37.36 प्रतिशत वोट हासिल किए जो कि 1980 में पार्टी के गठन के बाद से इसका सबसे अधिक वोट शेयर था. इस दौरान एक और रिकॉर्ड टूटा और पुरुषों और महिलाओं का वोट प्रतिशत लगभग बराबर (दोनों 66 फीसदी) रहा. इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनावों में भी महिला मतदाताओं की संख्या में खासी बढ़ोतरी दिखी थी. उस बार, करीब 65 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान किया, जो 2009 में 55 प्रतिशत की तुलना में अधिक था.

इसके अलावा, चुनाव बाद के दो सर्वेक्षणों के आंकड़े बताते हैं कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में 2022 के विधानसभा चुनावों में पुरुषों की तुलना में अधिक महिलाओं ने भाजपा को वोट दिया. पार्टी ने इन चारों राज्यों में चुनाव जीते हैं.

यूपी में पुरुषों के 59.96 फीसदी के मुकाबले महिलाओं का मतदान प्रतिशत 62.24 फीसदी था; उत्तराखंड में यह आंकड़ा 62.6 फीसदी के मुकाबले 67.2 फीसदी था; गोवा में पुरुषों के 78.19 प्रतिशत के मुकाबले महिलाओं का मतदान प्रतिशत 80.96 प्रतिशत था; और मणिपुर में यह 87.9 प्रतिशत के मुकाबले 90.5 प्रतिशत था. पंजाब, जहां आम आदमी पार्टी (आप) सत्ता में आई, में महिला मतदाताओं की तुलना में पुरुषों ने मामूली रूप से अधिक मतदान किया, जहां आंकड़ा 71.99 प्रतिशत (पुरुष) और 71.91 प्रतिशत (महिला) रहा.

माना जाता है कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, उज्जवला, और सुकन्या समृद्धि जैसी महिला-केंद्रित योजनाओं के जरिये भाजपा विभिन्न राज्यों में अपनी महिला मतदाताओं की संख्या बढ़ाने में सफल रही है. पीएम अक्सर सार्वजनिक भाषणों में महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर बोलते हैं और पार्टी ने 2019 के आम चुनाव में अन्य दलों की तुलना में अधिक महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था.

भाजपा महिला मोर्चा की प्रमुख श्रीनिवासन ने दिप्रिंट को बताया कि विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से 2024 के चुनावों के लिए और भी अधिक महिलाओं को लुभाने का प्रयास किया जा रहा है.

ऐसा ही एक कार्यक्रम ‘कमल मित्र’ है, जिसे अगले महीने लॉन्च किया जाना है. इसके तहत अन्य महिलाओं को मोदी सरकार की योजनाओं के बारे में जागरूकता प्रदान करने के लिए महिलाओं को प्रशिक्षित किया जाना है.

श्रीनिवासन ने कहा, ‘हम कमल मित्र जैसे कई अन्य उपायों के जरिये महिलाओं से जुड़ रहे हैं. हमारा लक्ष्य एक लाख कमल मित्र तैयार करना है. हम कमल मित्र कार्यक्रम चलाने के लिए अपने कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित भी कर रहे हैं. ये कमल मित्र जमीनी स्तर पर सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में होने वाली दिक्कतें दूर करने में महिलाओं की मदद करेंगी. लाभार्थियों के साथ सेल्फी के जरिए हमारा लक्ष्य एक करोड़ महिलाओं तक पहुंचना है.’

उन्होंने कहा, ‘हम देश में विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धि हासिल करने वाली महिलाओं को (सुषमा स्वराज पुरस्कार) दे रहे हैं. हम 100 शहरों में पांच से दस हजार महिलाओं के साथ टाउन हॉल बैठकें करेंगे, ताकि महिलाओं के साथ हमारा जमीनी जुड़ाव बढ़ाया जा सके. हम लोकसभा चुनाव से पहले अधिक से अधिक महिलाओं के बीच पैठ बनाने के अलावा राजनीति में महिला नेताओं की भागीदारी भी बढ़ाना चाहते हैं.’

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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