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Sunday, 22 December, 2024
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‘भारत जोड़ो यात्रा’ में राहुल गांधी की दाढ़ी चर्चा का विषय क्यों बनी हुई है

भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी की बढ़ी दाढ़ी लोगों में खासी दिलचस्पी जगा रही है. राजनीतिक पार्टियों के बीच इसपर काफी बातें हो रही हैं, जो वैसे तो कोई मुद्दा ही नहीं है.

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नई दिल्ली: नफरत और भय की राजनीति खत्म करने के भारत जोड़ो यात्रा के घोषित उद्देश्य को लेकर तीखी बहस के बीच राहुल गांधी की बढ़ी दाढ़ी लोगों में खासी दिलचस्पी जगा रही है और चर्चा का विषय बनी हुई है. इसे लेकर केवल ट्विटर यूजर्स ही टिप्पणी नहीं कर रहे, बल्कि तमाम सक्रिय राजनेता भी इस पर बहस में कूद पड़े हैं. अन्यथा, आम तौर पर यह राजनीतिक विमर्श में कोई मुद्दा ही नहीं होता.

गौरतलब है पिछले माह असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने यह तक कह डाला था कि राहुल की दाढ़ी पूर्व इराकी तानाशाह सद्दाम हुसैन से मिलती-जुलती है. इस हफ्ते, केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि राहुल गांधी अपनी दाढ़ी बढ़ा रहे हैं, इसलिए मतलब यह कतई नहीं है कि कांग्रेस पार्टी (लोकसभा में) सीटें बढ़ाने में सफल होगी. राहुल की दाढ़ी की तुलना कार्ल मार्क्स से करने वाली एक वायरल तस्वीर कुछ समय पहले ही सुर्खियों में रही थी.

‘देश बदलने आए हैं’

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इन तरह की तमाम बहस खारिज करते हुए कहा, ‘हम वेश नहीं, देश बदलने आए हैं.’

हालांकि, इमेज गुरु दिलीप चेरियन कुछ अलग ही तरह की राय रखते हैं. उन्होंने थोड़े हल्के-फुल्के अंदाज में दिप्रिंट से कहा, ‘यह कुछ हद तक फॉरेस्ट गंप जैसी एप्रोच है. वह शायद भारत का भ्रमण करते एक भिक्षुक जैसी छवि बनाने की कोशिश में लगे हैं.’

इस पर थोड़ी गंभीरता के साथ चेरियन नए लुक को लेकर कुछ तर्क भी कहते हैं. उन्होंने कहा, ‘भारत जोड़ो यात्रा में शामिल लोगों ने मुझे बताया कि आजकल पटवारी का बेटा भी जीप पर सवार होकर लोगों से मिलने आता है. लेकिन राहुल पैदल चल रहे हैं. इसका मतलब है कि उनकी छवि एक ‘वाकिंग फकीर’ की बनाई जा रही है और दाढ़ी वाला लुक इस पर फिट बैठता है.’

उन्होंने आगे कहाकि पूर्व में कुछ ‘शरारती’ तत्वों ने यह साबित करने की कोशिश की है कि हर बार जब वह दाढ़ी बढ़ाते हैं, तो विदेश चले जाते हैं. चेरियन ने कहा, ‘वह इस तरीके से इस दावे को खारिज भी कर रहे हैं.’

हालांकि, अगर कांग्रेस नेताओं की माने तो अस्त-व्यस्त ढंग से बढ़ी ग्रे दाढ़ी विशुद्ध रूप से उनकी व्यस्तता भरी कार्यशैली को दिखाती है.

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘(भारत जोड़ो) यात्रा के दौरान नियमित रूप से दाढ़ी बनाने के लिए आपको सुबह 3.30 बजे ही उठना होगा. राहुल सुबह लगभग 5 बजे उठते हैं. उनके पास यह सब करने का समय नहीं होता क्योंकि दिनभर चलने वाली हमारी तमाम गतिविधियां सुबह 5.30 बजे से ही शुरू हो जाती हैं.’

हालांकि, इस पर गौर करना दिलचस्प होगा कि 31 दिसंबर को दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान भी राहुल गांधी बढ़ी दाढ़ी में ही नजर आए थे. जबकि उस समय यात्रा पर लगभग एक सप्ताह का ब्रेक था.


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यात्री भी अपने नेता का अनुसरण कर रहे

कम वरिष्ठ नेताओं से बात करो तो उनका अंदाजा ज्यादा सटीक लगता है. एक यात्री ने कहा, ‘यह सिर्फ आलस का नतीजा हो सकता है! जब आप दिन में 25 किलोमीटर पैदल चल रहे हों तो कौन दाढ़ी बनाने के लिए आधा घंटा पहले उठना चाहेगा?’

दरअसल, जैसे-जैसे यात्रा आगे बढ़ रही है संभवत: राहुल गांधी के पदचिन्हों पर चलते हुए ही कई अन्य यात्रियों ने भी अपनी दाढ़ी बढ़ा ली है. इन्हीं में एक हैं युवा नेता और जेएनयूएसयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार.

उन्होंने हरियाणा में यात्रा से इतर नूंह में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान दाढ़ी को लेकर सियासी चुटकी भी ली.

यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस चुनाव जीतना चाहती है या यात्रा केवल एक ‘तपस्या’ भर है, कन्हैया कुमार ने कहा, ‘सिर्फ इसलिए कि हमारी दाढ़ी बढ़ गई है, इसका मतलब यह नहीं है कि हम चुनाव से संन्यास ले लेंगे.’

बाद में, जब दिप्रिंट ने उन्हें दाढ़ी के बारे में कुछ और बताने को कहा तो उन्होंने यह कहकर बात टाल दी कि वह केवल ‘राजनीतिक सवालों’ का जवाब देंगे.

यह पूछे जाने पर कि क्या गांधी की दाढ़ी उसी तर्ज पर है जैसे 2021 के बंगाल चुनावों में प्रधानमंत्री मोदी ने बढ़ाई थी, उन्होंने इस बात कोई सिरे से नकार दिया.

यह पहला मौका नहीं

हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी की दाढ़ी सार्वजनिक तौर पर चर्चा का विषय बनी है. जैसा कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं, उनकी दाढ़ी को लेकर हमेशा ‘पसंद-नापसंद’ का रिश्ता रहा है. यूपीए के राजनीतिक पर्यवेक्षक बताते हैं कि कैसे संसद सत्र की शुरुआत में उन्हें क्लीन शेव देखा गया और सत्र समाप्त होते-होते वह हल्की बढ़ी दाढ़ी में नजर आने लगे. उस समय एक हल्की-फुल्की गपशप में यह कहा गया कि सत्रों के बीच के ब्रेक के दौरान अपनी विदेश यात्रा के लिए व्यावसायिक उड़ान भरने पर पहचाने जाने से बचने के लिए उन्होंने ऐसा किया है. यह कुछ उसी तरह की बात है जिसका जिक्र ऊपर चेरियन ने किया है.

दाढ़ी पहले भी राहुल गांधी की सबसे यादगार राजनीतिक गतिविधियों का भी हिस्सा रही है. जब उन्होंने खनन गतिविधियों को लेकर नियामगिरि (2010) में वेदांता समूह के भूमि अधिग्रहण के खिलाफ विरोध जताया, उस समय भी उनकी दाढ़ी ने तमाम लोगों का ध्यान आकृष्ट किया था.

2011 में जब वह आंदोलनकारी किसानों पर पुलिस फायरिंग के विरोध में यूपी के भट्टा परसौल गांव पहुंचे तो क्लीन शेव थे. इन दोनों मौकों से कांग्रेस को मिला राजनीतिक लाभ तो बहस का ही मुद्दा रहा है लेकिन राहुल गांधी के राजनीतिक जीवन में यह दोनों घटनाएं खाम महत्व रखती हैं. हाल ही में पार्टी की तरफ से एक वीडियो जारी किया गया है, जिसमें राहुल गांधी ने अपनी यात्रा के दौरान बातचीत में कहा है कि इन दो प्रकरणों के बाद मुख्यधारा के मीडिया ने उनके पक्ष में कुछ दिखाना बंद कर दिया था.

जमीनी स्तर पर मिली-जुली प्रतिक्रिया

बहरहाल, यात्रा में शामिल होने वाले कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने अपने नेता के लुक को लेकर अलग-अलग राय रखी है.

सिर पर कांग्रेस का चुनाव चिन्ह पंजा बनवाए हुए नितिन गणपत खुद एक फैशनिस्ट हैं. महाराष्ट्र के कोल्हापुर के निवासी गणपत केवल गांधी के साथ एक सेल्फी लेने के लिए साइकिल पर यात्रा के साथ चल रहे हैं. लेकिन जब गणपत से राहुल गांधी के दाढ़ी वाले लुक के बारे में पूछा गया तो थोड़ी शर्मीली मुस्कान के साथ बोले कि उन्हें इसे बनवा लेने चाहिए.

हरियाणा में यात्रा के दौरान जब दिप्रिंट ने गणपत से बात की तो उनका यही कहना था, ‘अच्छा नहीं लग रहा.’

राजनीतिक तौर पर शायद यही उन कुछ बातों में एक है जिन पर कांग्रेस और भाजपा कार्यकर्ता सहमत नजर आते हैं. फरीदाबाद में यात्रा स्थल पर सरपंच के नाते आए भाजपा कार्यकर्ता सुखबीर मदेरणा ने कहा कि उन्हें भी गांधी की दाढ़ी पसंद नहीं है. उनके बगल में उसी गांव के रहने वाले उनके दोस्त चंद्रहंस भड़ाना खड़े थे लेकिन वह कांग्रेस कार्यकर्ता हैं.

भड़ाना ने मुस्कराते हुए कहा, ‘वह 100 से ज्यादा दिनों से यात्रा पर हैं. नाई नहीं मिला होगा शायद उनको. लेकिन मुझे यह पसंद नहीं है.’

दाढ़ी बढ़ना यात्रा के दौरान समय के अभाव का नतीजा है, या फिर कोई कार्यशैली है या राजनीतिक संदेश देने के लिए जानबूझकर किया गया बदलाव—यह और पहले नहीं तो 3 जनवरी को जरूर स्पष्ट हो सकता है जब भारत जोड़ो यात्रा 9 दिनों के ब्रेक के बाद फिर शुरू होनी है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)

(अनुवाद: रावी द्विवेदी | संपादन: अलमिना खातून)


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