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Sunday, 22 December, 2024
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BJP की जन-आक्रोश यात्रा कैसे राजस्थान में गुटबाजी रोकने और भारत जोड़ो यात्रा का मुकाबला करने की एक कोशिश है

भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने 200 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करने वाली इस रथ यात्रा को गुरुवार को जयपुर में हरी झंडी दिखाई. इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और राज्य के पार्टी प्रमुख सतीश पूनिया ने मंच साझा किया.

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नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में जारी भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान में प्रवेश करने से पहले ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गुरुवार को अपनी जन-आक्रोश यात्रा को हरी झंडी दिखाई. यह सामूहिक जनसंपर्क कार्यक्रम है जो राज्य में अगले साल प्रस्तावित विधानसभा चुनावों से पहले 200 निर्वाचन क्षेत्रों को कवर करने के उद्देश्य से शुरू किया गया है.

जन-आक्रोश यात्रा के पीछे राजस्थान भाजपा का उद्देश्य कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा से मुकाबला करने के अलावा राज्य में गुटबाजी से जूझ रही पार्टी का एकजुट चेहरा सामने रखने का भी है. गौरतलब है कि राजस्थान भाजपा पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और राज्य के पार्टी अध्यक्ष सतीश पूनिया के खेमों में बंटी है.

कांग्रेस शासित राजस्थान—जो कांग्रेस के अपने बलबूते सत्तासीन होने वाले दो राज्यों में से एक है—में गुरुवार को रथ यात्रा को हरी झंडी दिखाने के मौके पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नाड्डा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर आरोप लगाया कि वे राज्य के लोगों से ज्यादा अपनी पार्टी के हितों का ध्यान रख रहे हैं.

नड्डा ने जयपुर में 51 ‘जन-आक्रोश रथों’ को हरी झंडी दिखाई, जो राज्य के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों की यात्रा करेंगे.

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ‘हमारी यात्रा ऐसे समय शुरू हो रही है जब गहलोत और (कांग्रेस नेता और पूर्व डिप्टी सीएम) सचिन पायलट के बीच तनातनी खुलकर जारी रहे. वहीं, नड्डा जी की रैली के दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेताओं पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, राज्य अध्यक्ष सतीश पूनिया और (राज्य विधानसभा में नेता विपक्ष) गुलाब चंद कटारिया आदि ने मंच साझा करके पार्टी के पार्टी के एकजुट होने का संदेश दिया.’

भारत जोड़ो यात्रा 4 दिसंबर को मध्य प्रदेश से राजस्थान में प्रवेश करने वाली है. ऐसा लग रहा है कि भाजपा मध्य प्रदेश में भी ऐसी ही जवाबी रणनीति अपना रही है. गौरतलब है कि राहुल गांधी के पिछले हफ्ते आदिवासी बहुल बड़ौदा अहीर गांव पहुंचने से एक दिन पहले ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस गांव की यात्रा की और जनजाति गौरव यात्रा को झंडी दिखाई, जो कि आदिवासी आउटरीच प्रोग्राम का एक हिस्सा है.


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रैलियों को संबोधित करेंगे पार्टी के वरिष्ठ नेता

नड्डा ने कोर कमेटी की एक बैठक की भी अध्यक्षता की, जिसमें राजे, पूनिया, कटारिया और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और राज्य के प्रभारी अरुण सिंह आदि ने हिस्सा लिया. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, नड्डा ने नेताओं से ‘एकजुट रहना’ सुनिश्चित करने और जन-आक्रोश यात्रा को सफल बनाने पर ध्यान देने को कहा.

पार्टी के पदाधिकारी ने बताया, ‘यात्रा कार्यक्रम पर अमल को लेकर व्यापक चर्चा की गई. 3 से 13 दिसंबर के बीच कुल 200 रथ 75,000 किमी की यात्रा करके 200 सीटों को कवर करेंगे. कई वरिष्ठ नेता रथों में यात्रा करेंगे, जिनमें पूनिया, अरुण सिंह, राजे, कटारिया के अलावा केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और गजेंद्र शेखावत आदि शामिल हैं. यही नहीं पार्टी नेता 14 से 20 दिसंबर के बीच रैलियों को भी संबोधित करेंगे, जिसमें लगभग 15-20 विधानसभा क्षेत्रों को कवर किया जाएगा.’

ये रथ गांवों और कस्बों से गुजरेंगे और प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में 35-40 किमी की दूरी तय करेंगे. पार्टी ने लोगों के साथ संवाद करने और केंद्र सरकार की नीतियों और राजस्थान की कांग्रेस सरकार की कथित खामियों को उजागर करने के लिए 20,000 ग्राम चौपालों और 20,000 नुक्कड़ सभाओं के आयोजन की भी योजना बनाई है.

इसे यात्रा का उद्देश्य किसानों, बेरोजगारी और कानून-व्यवस्था की स्थिति से जुड़े मुद्दों पर राज्य सरकार को घेरना है. भाजपा की राज्य इकाई 17 दिसंबर को अशोक गहलोत सरकार के चार वर्ष पूरे होने के मौके पर ‘ब्लैड डे’ मनाएगी. जन-आक्रोश रैलियां राज्य में भारत जोड़ो यात्रा जारी रहने से कुछ दिन पहले 20 दिसंबर तक चलती रहेंगी.

नड्डा ने गुरुवार को जयपुर में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘यदि आप चाहते हैं कि आपकी बहनें सुरक्षित हों, रोजगार के मौके उपलब्ध हों…यदि आप चाहते हैं कि पेट्रोल और डीजल की कीमतें, और बिजली टैरिफ, राजस्थान में भी कम हो जाए तो इस सरकार को सत्ता से हटाना ही होगा. यही नहीं राजस्थान में सांप्रदायिक तनाव भी बहुत ज्यादा बढ़ गया है.’

भाजपा में गुटबाजी

पार्टी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि यह सिर्फ कांग्रेस से मुकाबले के लिए नहीं है. विधानसभा चुनाव में बमुश्किल एक साल बचा है और भाजपा की राज्य इकाई गुटबाजी से जूझ रही है.

पार्टी नेतृत्व भी राज्य इकाई और ‘ब्रांड मोदी’ के सामूहिक नेतृत्व के तहत चुनाव लड़ने की जरूरत पर जोर जोर दे रहा है.

राजस्थान प्रभारी अरुण सिंह समेत भाजपा की राज्य इकाई को केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से बता दिया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे बड़ा ब्रांड और भाजपा का चेहरा होने को देखते हुए उन्हें नेतृत्व के मुद्दे पर कोई चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह हाई कमान की तरफ से ही तय किया जाएगा.

एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘कांग्रेस के पास जहां केवल गहलोत-पायलट के बीच टकराव से निपटने की समस्या है, वहीं भाजपा के लिए स्थितियां बहुत सरल नहीं हैं. न केवल पूनिया और राजे की खेमेबंदी बल्कि कई अन्य वरिष्ठ नेता भी हैं जिनके बारे में केंद्रीय नेतृत्व को ध्यान देना होगा. एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि सभी को पार्टी लाइन पर ध्यान केंद्रित करने और चुनावों की तैयारियों में जुटने को कहा गया है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)

(अनुवाद: रावी द्विवेदी)


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