कोलकाता: राहुल गांधी, अभिषेक बनर्जी, प्रशांत किशोर और पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव एच.के. द्विवेदी उन 31 लोगों में शामिल हैं जिन्हें पेगासस जासूसी मामले की जांच कर रहे पश्चिम बंगाल के आयोग के समक्ष पेश होने का नोटिस जारी किया गया है. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.
सूत्रों ने कहा कि अब तक तीन लोगों ने आयोग के समक्ष वर्चुअली अपनी गवाही दी है और एक ने व्यक्तिगत तौर पर पेशी के लिए नई दिल्ली से उड़ान भरी. जल्द ही कुछ और नोटिस भेजे जाने की संभावना है, क्योंकि कथित तौर पर जासूसी के शिकार कुछ और लोगों के पते-ठिकाने की अभी जानकारी जुटाई जा रही है. बयानों की रिकॉर्डिंग 21 दिसंबर तक चलेगी.
सूत्रों ने कहा कि आयोग ने उन लोगों को भी गवाही की अनुमति दी है जो साक्ष्य के तौर पर अपने कथित ‘इनफेक्टेड’ उपकरणों को जमा कराते हैं और शुक्रवार को साइबर फोरेंसिक एक्सपर्ट भी आयोग के समक्ष पेश होंगे.
26 जुलाई को पश्चिम बंगाल कथित पेगासस जासूसी मामले की जांच का आदेश देने वाला पहला राज्य बन गया था. इस मुद्दे पर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को लगातार घेरने वाली मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज जस्टिस मदन बी. लोकुर और कलकत्ता हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त चीफ जस्टिस ज्योतिर्मय भट्टाचार्य की अगुआई में एक आयोग के गठन की घोषणा की थी.
आयोग को इन आरोपों की जांच का जिम्मा सौंपा गया है कि इजरायल के स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर भारत में तमाम प्रमुख लोगों की जासूसी की गई थी. 3 अगस्त को पश्चिम बंगाल के प्रमुख अखबारों में एक सार्वजनिक सूचना छपी जिसमें सभी नागरिकों से 30 दिनों के भीतर पेगासस से संबंधित कोई भी जानकारी उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया था.
सूत्रों ने बताया कि 30 नवंबर 2021 तक आयोग ने स्पाइवेयर के कथित पीड़ितों को कुल 42 नोटिस भेजे थे. इसमें 31 अलग-अलग लोगों को आयोग के समक्ष पेश होने के लिए भेजे गए नोटिस के अलावा 11 रिमाइंडर भी शामिल हैं.
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कानूनी जांच और सियासी बवाल
जुलाई में विभिन्न मीडिया संगठनों के एक अंतरराष्ट्रीय संघ ने बताया था कि इजरायल की साइबर आर्म्स फर्म एनएसओ ग्रुप द्वारा विकसित एक स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल दुनियाभर के लोगों के मोबाइल फोन को हैक करने के लिए किया गया है.
भारत में यह खुलासा करते हुए द वायर ने जो रिपोर्ट प्रकाशित की थी उसमें कम से कम 174 ऐसे लोगों के नाम थे, जिनकी कथित तौर पर जासूसी की गई थी. सूची में राजनेता, न्यायाधीश, नौकरशाह, पत्रकार, एक्टिविस्ट और अन्य प्रमुख हस्तियां शामिल थी.
एनएसओ समूह ने कहा है कि उसने केवल ‘वैध तरीके से स्थापित सरकारों’ को ही अपना उत्पाद बेचा है. भारत सरकार ने पेगासस की खरीद की खबरों की न तो पुष्टि की है और न ही खंडन किया है.
इस रिपोर्ट की जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थीं. अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इन आरोपों की जांच के लिए एक स्वतंत्र समिति गठित की गई थी.
जुलाई में कोलकाता में एक राजनीतिक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ब्राउन टेप से पैक किया गया एक मोबाइल फोन रख रखा था और केंद्र पर जमकर हमला बोला था.
उन्होंने कहा, ‘हमारे फोन टैप किए जाते हैं. पेगासस खतरनाक और घातक है. मैं किसी से बात नहीं कर सकती. आपको जासूसी के लिए बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है. मैंने अपना फोन लपेट दिया है. हमें केंद्र सरकार को भी समेटना होगा, नहीं तो देश तबाह हो जाएगा.’
पेगासस मामले को लेकर तृणमूल कांग्रेस लगातार केंद्र पर हमले करती रही है. पार्टी सांसदों ने जुलाई में संसद के बाहर खिलौना फोन लेकर विरोध प्रदर्शन किया था और सदन के अंदर भी नारेबाजी की थी. विरोध जताने के कारण टीएमसी के छह सांसदों को राज्य सभा से एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया था.
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