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Wednesday, 20 November, 2024
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संसद का विशेष सत्र शुरू होने से पहले PM मोदी ने कहा—‘सदन से विदाई लेना बहुत ही भावुक पल’

PM मोदी ने कहा कि 75 वर्ष की हमारी यात्रा ने अनेक लोकतांत्रिक परंपराओं और प्रक्रियाओं का उत्तम से उत्तम सृजन किया है और इस सदन के सभी सदस्यों ने उसमें सक्रियता से योगदान दिया है.

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नई दिल्ली: संसद के विशेष सत्र के आगाज़ से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नए परिसर में जाने से पहले इस संसद भवन से जुड़े प्रेरणादायक क्षणों को याद करने का समय आ गया है.

संसद का पांच दिवसीय विशेष सत्र सोमवार से शुरू हो गया है. इस सत्र में कुल आठ विधेयक पेश किए जाएंगे जिनमें से सरकार चार विधेयकों को खुलासा कर चुकी है. पहले दिन सोमवार को आज़ादी के बाद 75 साल की उपलब्धियों पर चर्चा की जाएगी.

इस दौरान सत्र शुरू होने से पहले अपने भाषण में पीएम मोदी ने कहा, ‘‘इस इमारत के निर्माण का निर्णय विदेशी शासकों का था. हम गर्व से कह सकते हैं कि इस भवन के निर्माण में परिश्रम मेरे देशवासियों का था.पसीना मेरे देशवासियों का था…पैसे भी मेरे भी देश वासियों का था.’’

उन्होंने कहा कि, ‘‘देश के लिए आगे बढ़ने का मौका है. यह एतिहासिक पल है.75 साल में कई उत्तम सृजन हुआ है.’’

75 वर्ष की हमारी यात्रा ने अनेक लोकतांत्रिक परंपराओं और प्रक्रियाओं का उत्तम से उत्तम सृजन किया है और इस सदन के सभी सदस्यों ने उसमें सक्रियता से योगदान दिया है. मोदी ने लोकसभा में कहा कि जी20 शिखर सम्मेलन की सफलता पूरे देश की सफलता है, किसी अकेले व्यक्ति या किसी एक पार्टी की नहीं.

नया विश्वास, नया आत्मविश्वास

प्रधानमंत्री ने कहा कि अमृतकाल की प्रथम प्रभा का प्रकाश, राष्ट्र में एक नया विश्वास, नया आत्मविश्वास, नई उमंग, नए सपनें, नए संकल्प और राष्ट्र का नया सामर्थ्य उसे भर रहा है. ‘‘आज चारों तरफ भारतवासियों की उपलब्धि की चर्चा गौरव के साथ हो रही है.’’

भाषण में पीएम ने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता से आज पूरा देश अभिभूत है. इसमें भारत के सामर्थ्य का एक नया रूप जो आधुनिकता, विज्ञान, technology, हमारे वैज्ञानिकों और जो 140 करोड़ देशवासियों के संकल्प की शक्ति से जुड़ा हुआ है. वो देश और दुनिया पर नया प्रभाव पैदा करने वाला है.

मोदी ने कहा, ‘‘G20 की सफलता किसी व्यक्ति या दल की नहीं, बल्कि भारत के 140 करोड़ भारतीयों की सफलता है. भारत इस बात के लिए गर्व करेगा कि भारत की अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकन यूनियन G20 का स्थाई सदस्य बना.’’

विपक्ष का ज़िक्र

विपक्ष पर पीएम ने कहा, ‘‘इस संसद में पंडित (जवाहलाल) नेहरू की ‘आधी रात को’ की गूंज हमें प्रेरित करती रहेगी और यह वही संसद है जहां अटल जी ने कहा था ‘सरकारें आएंगी, जाएंगी; पार्टियां बनेंगी, बिगेगी; मगर ये देश रहना’ चाहिए.’’

लोकसभा में पीएम मोदी ने कहा, ‘‘यह वही संसद थी जिसने इंदिरा गांधी के नेतृत्व में बांग्लादेश मुक्ति आंदोलन और उसके समर्थन को देखा था.यह वही संसद थी जिसने आपातकाल के दौरान लोकतंत्र पर हमला भी देखा था.’’

लोकसभा में पीएम मोदी ने कहा, ‘‘सबका साथ, सबका विकास’ के मंत्र ने दशकों से लंबित मुद्दों पर कई ऐतिहासिक फैसले लिए, उनका स्थायी समाधान इस संसद में हुआ है.’’

जब इस संसद ने तीन मौजूदा प्रधानमंत्रियों – नेहरू जी, शास्त्री जी और इंदिरा जी – को खो दिया, तो उन्हें उचित श्रद्धांजलि दी गई. उन्होंने कहा, नेहरू से लेकर शास्त्री और वाजपेयी तक, इस संसद ने कई नेताओं को भारत के बारे में अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत करते देखा है.

पीएम ने कहा कि इस सदन ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान ‘कैश फॉर वोट’ घोटाला भी देखा है.

उन्होंने कहा कि जब झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड बने तो हर जगह जश्न मनाया गया; लेकिन तेलंगाना के निर्माण ने कड़वी यादें छोड़ दीं.

इस संसद ने सिर्फ चार सांसदों वाली पार्टी को सत्ता में बैठे देखा, जबकि 100 से ज्यादा सांसदों वाली पार्टी विपक्ष में बैठी.

पत्रकारों, महिलाओं को किया याद

पीएम ने कहा, ‘‘प्रारंभ में यहां महिलाओं की संख्या कम थी, लेकिन धीरे-धीरे माताओं, बहनों ने भी इस सदन की गरिमा को बढ़ाया है.’’

पीएम ने कहा, ‘‘करीब-करीब 7,500 से अधिक जनप्रतिनिधि अबतक दोनों सदनों में अपना योगदान दे चुके हैं. इस कालखंड में करीब 600 महिला सांसदों ने दोनों सदनों की गरिमा को बढ़ाया है.’’

संसद पर 2001 में हुए आतंकवादी हमले को याद करते हुए पीएम ने कहा, ‘‘आतंकियों से लड़ते-लड़ते सदन और सदन के सदस्यों को बचाने के लिए जिन्होंने अपने सीने पर गोलियां झेलीं, आज मैं उनको भी नमन करता हूं. वे हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उन्होंने बहुत बड़ी रक्षा की है.’’

पत्रकारों के लिए मोदी ने कहा कि आज जब हम इस सदन को छोड़ रहे हैं, तब मैं उन पत्रकार मित्रों को भी याद करना चाहता हूं, जिन्होंने पूरा जीवन संसद के काम को रिपोर्ट करने में लगा दिया.

मोदी ने कहा, ‘‘एक प्रकार से वे जीवंत साक्षी रहे हैं. उन्होंने पल-पल की जानकारी देश तक पहुंचाईं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे पत्रकार जिन्होंने संसद को कवर किया, शायद उनके नाम जाने नहीं जाते होंगे, लेकिन उनको कोई भूल नहीं सकता है. सिर्फ खबरों के लिए ही नहीं, भारत की इस विकास यात्रा को संसद भवन से समझने के लिए उन्होंने अपनी शक्ति खपा दी.’’

‘‘एक प्रकार से जैसी ताकत यहां की दीवारों की रही है, वैसा ही दर्पण उनकी कलम में रहा है और उस कलम ने देश के अंदर संसद के प्रति, संसद के सदस्यों के प्रति एक अहोभाव जगाया है.’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि शास्त्रों में माना गया है कि किसी एक स्थान पर अनेक बार जब एक ही लय में उच्चारण होता है तो वह तपोभूमि बन जाता है. नाद की ताकत होती है, जो स्थान को सिद्ध स्थान में परिवर्तित कर देती है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि अब तक 7,500 से अधिक सदस्यों ने दोनों सदनों में योगदान दिया है; लगभग 600 महिला सांसदों ने दोनों सदनों की गरिमा बढ़ाई है.

‘‘मैं मानता हूं कि इस सदन में 7,500 प्रतिनिधियों की जो वाणी यहां गूंजी है, उसने इसे तीर्थक्षेत्र बना दिया है. लोकतंत्र के प्रति श्रद्धा रखने वाला व्यक्ति आज से 50 साल बाद जब यहां देखने के लिए भी आएगा तो उसे उस गूंज की अनुभति होगी कि कभी भारत की आत्मा की आवाज यहां गूंजती थी.’’

पुराना संसद भवन

पुराने संसद भवन पर पीएम मोदी ने कहा, इस इमारत को अलविदा कहने का भावनात्मक क्षण; इसके साथ कई खट्टी-मीठी यादें जुड़ी हैं.

‘‘हम भले ही नए भवन में जाएंगे, लेकिन ये पुराना भवन भी आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा.’’

मोदी ने कहा, ‘‘इस सदन से विदाई लेना बहुत ही भावुक पल है. हम जब इस सदन को छोड़कर जा रहे हैं, तो हमारा मन बहुत सारी भावनाओं और अनेक यादों से भरा हुआ है.’’

सदन में पहली बार आने के अपने पल को याद करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘जब मैंने पहली बार एक सांसद के रूप में इस भवन में प्रवेश किया, तो सहज रूप से मैंने इस सदन के द्वार पर अपना शीश झुकाकर, इस लोकतंत्र के मंदिर को श्रद्धाभाव से नमन किया था. वो पल मेरे लिए भावनाओं से भरा हुआ था.’’

मोदी ने कहा, ‘‘मैं कभी कल्पना भी नहीं कर सकता था, लेकिन ये भारत के लोकतंत्र की ताकत है और भारत के सामान्य मानवी की लोकतंत्र के प्रति श्रद्धा का प्रतिबिंब है कि रेलवे प्लेटफॉर्म पर गुज़ारा करने वाला एक गरीब परिवार का बच्चा सदन में पहुंच गया.’’

संसद की 75 साल की विरासत पर अपनी टिप्पणी समाप्त करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि मैं सभी सांसदों से अनुरोध करता हूं कि वे इस संसद से जुड़ी अपनी यादें साझा करें.

उन्होंने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि जैसे ही हम नए संसद भवन में प्रवेश करेंगे, हम नई आशा और विश्वास के साथ वहां जाएंगे.’’

‘‘नए संसद भवन में शिफ्ट होने पर पीएम मोदी ने कहा, हम उस पल का हिस्सा बनने के लिए भाग्यशाली हैं जो अतीत को भविष्य से जोड़ता है.’’

पीएम ने कहा, ‘‘धारा 370 ये सदन हमेशा याद रखेगा. वन नेशन वन टैक्स, GST का निर्णय भी इसी सदन ने किया. ‘वन रैंक, वन पेंशन’ भी इसी सदन ने देखा. गरीबों के लिए 10 % आरक्षण बिना किसी विवाद के इसी सदन में हुआ.’’

प्रधानमंत्री ने संसद की पुरानी बिल्डिंग में लगभग एक घंटा 10 मिनट तक भाषण दिया.

मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि संसद का ये सत्र छोटा, लेकिन ऐतिहासिक निर्णयों का है. इस सत्र की एक विशेषता ये है कि 75 साल की यात्रा अब नए मुकाम से आरंभ हो रही है.

‘‘नए स्थान पर उस यात्रा को आगे बढ़ाते समय, नए संकल्प, नई ऊर्जा और नए विश्वास से काम करना है. हमें मिलकर 2047 तक देश को विकसित बनाना है.इसके लिए जितने भी निर्णय होने वाले हैं, वो सभी नए संसद भवन में होंगे.’’


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