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Friday, 3 May, 2024
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चुनाव से पहले जगन की सोशल इंजीनियरिंग से YSRCP में भड़का असंतोष, रेड्डियों की नाराजगी आने लगी सामने

नाराजगी में सबसे आगे सीएम जगन मोहन रेड्डी के अपने समुदाय के कुछ लोग रेड्डी विधायक और कट्टर वफादार हैं - जिनमें से कई आंध्र प्रदेश में 2024 के विधानसभा चुनावों से पहले विरोधी टीडीपी के साथ जा रहे हैं.

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हैदराबाद : मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की अपनी पार्टी को लगातार जीत दिलाने की क्षमता का टेस्ट चल रहा है, क्योंकि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के बीच असंतोष से, आंध्र प्रदेश चुनावों में क्लीन स्वीप के साथ सत्ता बरकरार रखने की उनकी योजना को झटका लगने का खतरा नजर आ रहा है.

असंतुष्टों में सबसे आगे उनके ही समुदाय के कुछ लोग, रेड्डी विधायक और कट्टर वफादार हैं, जैसा कि मंगलागिरी के विधायक अल्ला रामकृष्ण रेड्डी के पार्टी से बाहर होने से दिखा है.

एक समय वह जगन के करीबी विश्नासपात्र के रूप में देखे जाते थे, अल्ला पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू शासन के कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ एक योद्धा थे. उन्होंने दो बार के विधायक ने नायडू, उनके बेटे और तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के अन्य वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ अमरावती में आवंटित भूमि, इनर-रिंग रोड डिजाइन घोटाले समेत अन्य मामलों में शिकायत दर्ज की थी. इन मामलों की जांच सीआईडी कर रही है.

सोमवार को, अल्ला ने इस्तीफा दे दिया है क्योंकि उनकी जगह 11 विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी के प्रभारियों की नई सूची में पिछड़े वर्ग के नेता गंजी चिरंजीवी का नाम है, जिन्हें 2022 में अचानक टीडीपी से लाया गया था. अल्ला का इस्तीफा, मार्च में चार वाईएसआरसीपी विधायकों के बाहर जाने के बाद आया है, इनमें 3 रेड्डी समुदाय से हैं.

कोटमरेड्डी श्रीधर रेड्डी, अनम रामनारायणा रेड्डी और मेकापति चंद्रशेखर रेड्डी को पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण बाहर कर दिया गया था, एमएलसी चुनावों में इनकी क्रॉस वोटिंग से टीडीपी को जीत मिली थी.

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ताड़ीकोंडा का प्रतिनिधित्व करने वाली दलित विधायक वुंडावल्ली श्रीदेवी को भी इसी कारण से निलंबित कर दिया गया था. इन चारों विधायकों ने प्रतिद्वंद्वी टीडीपी के साथ गठबंधन कर लिया है.

इसके अलावा, बालिनेनी श्रीनिवास रेड्डी, पांच बार के विधायक और दो बार के मंत्री, कुछ समय से प्रतिकूल लहजे बोलते नजर आ रहे हैं. जगन के रिश्तेदार, बालिनेनी अप्रैल 2022 में मंत्रिमंडल से हटाए जाने के बाद से नाराज हैं, जबकि उसी प्रकाशम जिले के एक एससी विधायक टीम में बने हुए हैं.

बालिनेनी ने मई में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए अपने खिलाफ लोगों का जिक्र करते हुए और 2024 में ओंगोल से टिकट पाने की आशंकाओं पर कहा, “मैं शुरू से ही वाईएसआर परिवार के साथ मजबूती से खड़ा रहा. दुख की बात है कि यहां वाईएसआरसीपी नेता अब गलत प्रचार कर रहे हैं कि मैं पार्टी छोड़ रहा हूं. यह अत्याचार क्यों?”

“हमें जगन से बहुत स्नेह है, लेकिन पारस्परिकता कहां है?” बालिनेनी ने कथित तौर पर हाल ही में टिप्पणी की थी. जहां बाकी विधायक बाहर आ गए हैं, वहीं ओंगोल के विधायक बालिनेनी, पार्टी गतिविधियों में अपनी भागीदारी को सीमित करते हुए, बेमेल काम करते नजर आ रहे हैं.

आंध्र प्रदेश में चुनाव अप्रैल में होने हैं और ये आम चुनाव के साथ ही होंगे.


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गुंटूर स्थित नवआंध्र इंटेलेक्चुअल फोरम के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर डी.ए.आर. सुब्रमण्यम ने दिप्रिंट को बताया, “हालांकि कुछ मामलों में इन रेड्डी विधायकों की आकांक्षाएं साफतौर से पूरी नहीं होती हैं, लेकिन अपने मंत्रिमंडल में अधिक बीसी, एससी को समायोजित करने के लिए जगन की राजनीतिक इंजीनियरिंग और विधानसभा सीटों में बदलाव से बड़ी नाराज़गी पैदा हुई है.”

फरवरी में, कोटामरेड्डी ने वाईएसआरसीपी छोड़ने की घोषणा की और जगन सरकार पर, इस संदेह पर उनके फोन टैप करने का आरोप लगाया कि वह टीडीपी नेताओं के संपर्क में हैं. नेल्लोर ग्रामीण से दो बार के विधायक को मंत्री बनने की प्रबल उम्मीदें थीं, जो अप्रैल 2022 में कैबिनेट फेरबदल के बाद धराशायी हो गईं. अनम को भी उम्मीद थी.

उदयगिरि से चार बार के विधायक मेकापति ने दिप्रिंट को बताया, “कोटामरेड्डी वाईएसआर के इतने वफादार थे कि जगन के आदेश पर, वह पल भर में अपना गला काट देते. उन्हें इस तरह के अपमान का सामना करना पड़ा. मेरे मुंह पर कहा गया कि मुझे टिकट नहीं दिया जाएगा क्योंकि ‘मेरा ग्राफ नीचे है.’ मुझे क्या करना चाहिए? मुझे चुनाव में टीडीपी से नामांकन मिलने की उम्मीद है.”

उद्योगपति और पूर्व लोकसभा सांसद मेकापति राजमोहन रेड्डी के भाई मेकापति का आरोप है कि वाईएसआरसीपी का  टिकट बांटने में “मेगा-मनी” ताकत एक तय करने वाली फैक्टर बन गई है.

आंध्र की राजनीति में रेड्डियों का प्रभाव

आंध्र प्रदेश की आबादी में कृषक, भूमि रखने वाले समुदाय रेड्डियों का लगभग 8-9 प्रतिशत होने का अनुमान है, लेकिन रेड्डी राजनेता जातीय वोट शेयर की तुलना में राजनीति में कहीं ज्यादा प्रभाव रखते हैं. 1956 के बाद से आंध्र के 17 मुख्यमंत्रियों में से 9 रेड्डी रहे हैं.

कांग्रेस के पतन के बाद, रेड्डियों ने अपनी निष्ठा वाईएसआरसीपी में शिफ्ट कर ली. मौजूदा विधानसभा में पार्टी के 151 विधायकों में से 49 विधायक इसी समुदाय से हैं. इनमें से अधिकतर विधायक रायलसीमा से हैं – जहां से जगन आते हैं.

जगन को अब जिनसे विसंगति का सामना करना पड़ रहा है, वह दूसरे क्षेत्र के नेताओं से है – तटीय आंध्र और विशेष रूप से नेल्लोर, प्रकाशम (ओंगोल) और गुंटूर जिले के.

अल्ला ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए अपनी विधानसभा और वाईएसआरसीपी सदस्यता से इस्तीफा दे दिया, लेकिन उन्होंने कहा कि वह वास्तविक इरादे का खुलासा बाद में करेंगे.

मेकापति ने कहा, ”अल्ला सबसे ईमानदार थे और उन्हें निश्चित रूप से मंत्री बनाया जाना चाहिए था, लेकिन अभी उनकी किस्मत देखिए.”

जगन का निर्णय कथित तौर पर इस फीडबैक पर आधारित है कि गंजी चिरंजीवी के पास बड़ी बीसी (BCs) आबादी के साथ उनकी मंगलागिरी में जीत की बेहतर संभावना है.

सुब्रमण्यम ने कहा, “तटीय आंध्र के ये सभी रेड्डी, मंत्री पद के दावेदार हैं, इस तथ्य से बेपरवाह कि रेड्डी कोटा कमोबेश रायलसीमा द्वारा खपा लिया जाता है. जगन की सोशल इंजीनियरिंग के परिणामस्वरूप पिछले साल के फेरबदल के बाद लगभग 70 प्रतिशत सीटें बीसी, एससी, एसटी को मिलीं.”

सुब्रमण्यम ने कहा, नेल्लोर के काकानी गोवर्धन रेड्डी को बालिनेनी की जगह भरते हुए मंत्री बनाया गया, लेकिन फिर भी, कोटामरेड्डी को जगह नहीं दी गई, जिससे जगन के खिलाफ उनकी नाराजगी बढ़ सकती थी.

जबकि सोमवार की सूची में 11 बदलाव हुए थे, जिससे कई लोग कथित तौर पर नाखुश थे, वाईएसआरसीपी के राज्यसभा सांसद अयोध्यारामी रेड्डी (सबसे अमीर सांसदों में से एक) के भाई अल्ला ने अपनी नाराजगी को सार्वजनिक करते हुए पद छोड़ दिया.

गजुवाका में, मौजूदा विधायक नागी रेड्डी के बेटे देवन रेड्डी की जगह बीसी नेता रामचंद्र राव को लाया गया. नागी रेड्डी ने 2019 में जनसेना प्रमुख पवन कल्याण को हराया था.

जैसे ही खबरें सामने आईं कि देवान ने भी विरोध में इस्तीफा दे दिया, उन्होंने वाईएसआरसीपी नेता वाई.वी. सुब्बा रेड़्डी, जो कि जगन के चाचा हैं और उत्तरी आंध्र के प्रभारी शक्तिशाली क्षेत्रीय समन्वयक भी हैं, से मुलाकात के बाद इस खबर का खंडन किया.

सुब्बा रेड्डी ने दिप्रिंट को बताया, “पहले मंगलागिरी को एक बीसी उम्मीदवार देने का निर्णय लिया गया था और अल्ला भी बाद में उचित, सम्मानजनक समायोजन के आश्वासन पर सहमत हो गये थे. लेकिन ऐसा लगता है कि उन्हें अपने लोगों द्वारा उकसाया गया और उन्होंने इस्तीफा दे दिया, जिससे कुछ गलत धारणाएं पैदा हुईं. हम उनसे बात करेंगे और मामले को जल्द ही सुलझा लेंगे.”

वफादार कोटामरेड्डी के निष्कासन पर सवाल के जवाब में, सुब्बा रेड्डी ने दावा किया कि उन्हें “पार्टी विरोधी गतिविधियों, अन्य वाईएसआरसीपी नेताओं पर कीचड़ उछालने” के लिए बाहर का रास्ता दिखाया गया था. “दुर्भाग्य से, हमारे कुछ लोग (जैसे कोटामरेड्डी, मेकापति) हमारे प्रतिद्वंद्वी के जाल में फंस गए हैं.”

कांग्रेस के पूर्व वित्तमंत्री, अनम, टीडीपी में शामिल हुए थे और फिर वाईएसआरसीपी में चले गए थे. वेंकटगिरी के विधायक को मार्च में निलंबित कर दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने टीडीपी में शामिल होने के अपने फैसले की घोषणा की थी.

सुब्रमण्यम ने कहा, “जैसा कि वाईएसआरसीपी धीमी पड़ गई है, जगन निर्वाचन क्षेत्र-वार चुनावी इंजीनियरिंग के लिए उन लोगों को तैनात करने जा रहे हैं जिन्हें वे जीतने योग्य चेहरों के रूप में देखते हैं. रेड्डी की नाराजगी सामने आ रही है, लेकिन अन्य समुदायों के कुछ विधायकों के बीच भी साफ कलह दिख रही है, जिनको पार्टी से नामांकन गंवाने की आशंका है.”


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तेलंगाना नतीजों का असर

वाईएसआरसीपी रेड्डी के एक वरिष्ठ नेता ने कुछ हलकों में असंतोष को स्वीकार किया, लेकिन जगन का बचाव करते हुए कहा कि “उनका कड़ा फैसला पूरी तरह से सदन में बेहतर ताकत के साथ सत्ता बनाए रखने के लिए जीतने की योग्यता के मानदंडों पर आधारित हैं.”

उन्होंने कहा, “रेड्डी वाईएसआरसीपी की बड़ी ताकत हैं, और बीसी, एससी भी हमारी जीत के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं.” उन्होंने कहा कि 11 निर्वाचन क्षेत्र प्रभारियों के बदलाव “आने वाली कुछ और सूचियों में से पहला है”

“हमारे पास विधायकों का निरंतर मूल्यांकन जारी है, जमीनी रिपोर्ट, परामर्श सर्वेक्षण के आधार पर उनके प्रदर्शन को लेकर कई बदलाव होने वाले हैं. लेकिन तेलंगाना नतीजों ने कुछ मौजूदा विधायकों को बदलने की हमारी कार्ययोजना को तेज कर दिया है.”

जगन अपनी पार्टी के लोगों से सभी 175 विधानसभा सीटें जीतने के लक्ष्य के साथ सख्ती से काम करने को कह रहे हैं. सार्वजनिक आउटरीच कार्यक्रमों की शुरुआत कर, जगन कुछ समय से अपने विधायकों को अपनी सीटें बरकरार रखने के लिए अपने तरीके सुधारने और निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के बीच जुड़ाव में सुधार करने की चेतावनी दे रहे हैं.

तेलंगाना में बीआरएस की हार के लिए जिम्मेदार प्रमुख कारणों में से एक के. चंद्रशेखर राव का लगभग 100 विधायकों में से ज्यादातर को मैदान में बनाए रखने का निर्णय है, जबकि लोकल फीडबैक में कम से कम 25 विधायकों के खिलाफ मजबूत तौर से सार्वजनिक असंतोष देखा गया.

रिपोर्टों से पता चलता है कि जगन अपनी पार्टी की 151 सीटों में से आधे से अधिक विधायकों को हटाने उन्हें या इधर-उधर करने की योजना बना रहे हैं.

सुब्रमण्यम ने कहा, “हम एक और कार्यकाल हासिल करने के लिए उम्मीदवार बदलने को लेकर जगन को दोषी नहीं ठहरा सकते. परिवर्तन जरूरी है लेकिन अपने पिता वाईएसआर के विपरीत, जगन के पास परिवर्तन की जरूरत के बारे में अपने लोगों को समझाने का धैर्य नहीं है. ऐसे निर्णय लेते समय उन्हें उन लोगों को उचित अवसर देना चाहिए, जिन्हें कि अवसर से वंचित किया जा रहा है. वाईएसआर के पास एक सक्षम सलाहकार के.वी.पी.रामचंद्र राव थे जो ऐसे मामलों में उनका उचित मार्गदर्शन कर रहे थे. जगन के पास कई सलाहकार हैं, लेकिन उन्हें के.वी.पी जैसे सलाहकार की जरूरत है.”

(अनुवाद और संपादन: इन्द्रजीत)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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