scorecardresearch
Saturday, 4 May, 2024
होमराजनीति'आदिवासियों और दलितों की पार्टी बनना,' चुनाव से 2 साल पहले मध्य प्रदेश बीजेपी ने बनाया नया टार्गेट

‘आदिवासियों और दलितों की पार्टी बनना,’ चुनाव से 2 साल पहले मध्य प्रदेश बीजेपी ने बनाया नया टार्गेट

2011 की जनगणना के अनुसार, मध्य प्रदेश में कुल जनसंख्या का 21.5 % आदिवासी हैं जो भारत में किसी भी राज्य की तुलना में सबसे अधिक है. इसमें 15.6 प्रतिशत अनुसूचित जाति शामिल हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव लगभग दो साल दूर हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को 2018 के चुनाव में जिन कमियों की कीमत चुकानी पड़ी थी उन्हें दूर करने के लिए अभी से कमर कसनी शुरू कर दी है.

इस रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा राज्य के आदिवासियों और दलितों तक पहुंच बनाना है.

भाजपा के सूत्रों के अनुसार, मध्य प्रदेश में अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अनुसूचित जाति (एससी) का एक बड़ा वर्ग पार्टी का समर्थन नहीं करता है, इसका बड़ा कारण उनके समुदाय का भाजपा में प्रतिनिधित्व न के बराबर होना है.

2011 की जनगणना के अनुसार, मध्य प्रदेश में कुल जनसंख्या का 21.5 % आदिवासी हैं जो भारत में किसी भी राज्य की तुलना में सबसे अधिक है. इसमें 15.6 प्रतिशत अनुसूचित जाति शामिल हैं. राज्य की 47 सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं. 2018 में, बीजेपी ने मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल इलाकों में 16 सीटें जीतीं, जबकि 2013 में 31 सीटें थीं.  2018 में बीजेपी ने एससी के लिए आरक्षित 35 सीटों में से 17 सीटें जीती थीं, जबकि 2013 में 28 सीटें जीती थीं.

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘हम एससी और एसटी मतदाताओं पर ध्यान केंद्रित करेंगे और भाजपा को एससी / एसटी की पार्टी बनाएंगे. एससी और एसटी आबादी के लिए पहले से ही कार्यक्रम शुरू किए जा चुके हैं.’

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

‘फिलहाल, हमें समुदाय से 30-35 प्रतिशत वोट मिलते हैं और लक्ष्य 75 प्रतिशत तक पहुंचने का है. हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि लोग हमें समाज के सभी वर्गों के लिए एक पार्टी के रूप में देखें.’

इसके लिए, पार्टी एक बहु-आयामी रणनीति पर नजर गड़ाए हुए है – सरकारी कार्यक्रमों और पार्टी में संगठनात्मक परिवर्तन से लेकर सांस्कृतिक कार्यक्रमों को शुरू करने तक.

राज्य के नेताओं को इस पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा गया है, उनके काम को पहचानने के लिए कार्यक्रमों के संचालन के लिए प्रतिष्ठित एससी / एसटी आंकड़ों की पहचान की जा रही है.

18 सितंबर को, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जबलपुर का दौरा किया और आदिवासी नायकों को सम्मानित करने के लिए एक कार्यक्रम में भाग लिया, जहां उन्होंने उनके विकास के लिए भाजपा द्वारा किए जा रहे कामों के बारे में भी बात की.

दिप्रिंट से बात करते हुए, मध्य प्रदेश के भाजपा प्रभारी पी. मुरलीधर राव ने कहा कि पार्टी का ‘संगठन विस्तार और भविष्य का एकीकरण आदिवासी आबादी और अनुसूचित जातियों पर भी केंद्रित होगा’.

उन्होंने कहा, ‘हम इसे हासिल करने के लिए अभियान, कार्यक्रम और सभी प्रयास करेंगे.’

भाजपा 2018 के चुनाव में 109 सीटें जीतकर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी, 230 सदस्यीय एमपी विधानसभा में 114 सीटें जीतने वाली कांग्रेस से वो बस थोड़ा ही पीछे रही थी.

हालांकि,  यह मार्च 2020 में सरकार बनाने में सफल रही जब ज्योतिरादित्य सिंधिया जो अब एक केंद्रीय मंत्री हैं अपने 22 कांग्रेस विधायकों के साथ पार्टी में शामिल हो गए.


यह भी पढ़ें: नागपुर में अपनी पकड़ क्यों खोती जा रही है BJP, पुराने गढ़ में खोई जमीन वापस पाने में जुटी कांग्रेस


‘कांग्रेस आधार को कमजोर करने पर नजर’

सूत्रों ने कहा, भाजपा 2003 से मध्य प्रदेश की सत्ता में काबिज है, सिर्फ वो एक साल को छोड़कर जब कांग्रेस के कमलनाथ मुख्यमंत्री थे. लेकिन एससी और एसटी समुदायों के एक बड़े वर्ग ने अभी भी इसे अपना समर्थन नहीं दिया है, .

सूत्रों के मुताबिक, पिछले महीने बीजेपी की राज्य कार्यसमिति की बैठक के दौरान आदिवासियों और दलितों के लिए आउटरीच कार्यक्रम शुरू करने के मुद्दे पर चर्चा हुई थी, जिसमें कई नेताओं ने जोर देकर कहा था कि पार्टी को उन पर ध्यान देने की जरूरत है.

सूत्रों ने बताया कि पार्टी ने राज्य में 35 निर्वाचन क्षेत्रों की भी पहचान की है, जहां वह पिछले कई सालों से नहीं जीती है.

भाजपा के एक दूसरे नेता ने कहा, ‘इसके लिए एक विशेष टीम का गठन किया जाएगा और यह पता लगाया जाएगा कि हम इन सीटों पर क्यों नहीं जीत पाए और क्या करने की जरूरत है.’

भाजपा के एक तीसरे नेता ने कहा कि बूथ से लेकर मंडल और जिला स्तर तक सभी स्थानीय सदस्यों को पिछले तीन चुनावों को देखते हुए, पार्टी के वोट शेयर को कम से कम 10 प्रतिशत बढ़ाने का लक्ष्य दिया गया है.

नेता ने आगे कहा, ‘अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों का एक बड़ा वर्ग हमारा समर्थन करता है, लेकिन साथ ही कुछ ऐसे उपवर्ग हैं जिन तक हमें पहुंचने की आवश्यकता है. एक बार अगर हम ऐसा करने में कामयाब हो जाते हैं, तो हम अगले चुनावों के लिए राजनीतिक रूप से बेहतर स्थिति में होंगे.’

माना जा रहा है कि बीजेपी इस बात को लेकर भी चिंतित है कि कई एससी और एसटी लगातार कांग्रेस को समर्थन दे रहे हैं. तीसरे नेता ने कहा, ‘हम एससी और एसटी समुदायों के सभी उपवर्गों तक पहुंचने के लिए विशेष योजनाएं बना रहे हैं. इससे हमें कांग्रेस का आधार कमजोर करने में भी मदद मिलेगी.’

(इस लेख को अंग्रेगी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: वाजपेयी-आडवाणी से मोदी-शाह तक अपने दाग़ी मंत्रियों से कैसे निपटती रही हैं बीजेपी सरकारें


 

share & View comments