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Sunday, 15 September, 2024
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AIADMK से पश्चिमी TN को छीनने की कोशिश, कोयंबटूर एयरपोर्ट को लेकर 14 साल पुराने विवाद को DMK ने किया खत्म

एयरपोर्ट प्रोजेक्ट डीएमके और भाजपा दोनों के लिए फायदेमंद साबित होगा क्योंकि वे राज्य के पश्चिमी क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहते हैं.

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चेन्नई: तमिलनाडु सरकार ने 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले राज्य के पश्चिमी क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए कोयंबटूर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लंबे समय से रुके हुए विस्तार के लिए रास्ता साफ कर दिया है.

यह परियोजना भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया पर विवाद के कारण 14 साल से अधिक समय से तमिलनाडु और केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के बीच विवाद का विषय रही थी.

हालांकि, राज्य की डीएमके सरकार ने अब अपना रुख बदल दिया है और एयरपोर्ट के विस्तार के लिए आवश्यक 600 एकड़ से अधिक भूमि बिना किसी शर्त के भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) को सौंपने पर सहमति जताई है. निजी क्षेत्र को भूमि के उप-पट्टे (sub-leasing) की अनुमति न देने की अपनी पिछली नीति पर एक बड़ा यू-टर्न लेते हुए, राज्य सरकार ने बिना किसी उप-पट्टे की पाबंदी के 99 साल के पट्टे पर भूमि निःशुल्क दे दी है.

राजनीतिक टिप्पणीकारों ने कहा कि डीएमके ने राज्य के पश्चिमी क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने के उद्देश्य से एक सुनियोजित राजनीतिक निर्णय लिया है, जो कभी एआईएडीएमके का गढ़ हुआ करता था.

राजनीतिक टिप्पणीकार रवींद्रन दुरैसामी ने कहा, “हम इस बात को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते कि भाजपा और AIADMK तमिलनाडु के पश्चिमी क्षेत्र में अपनी जगह बनाए रखने के लिए जोरदार संघर्ष कर रहे हैं. इसी समय, DMK राज्य में अपने राजनीतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए केंद्र और राज्य के बीच सहज संबंध बनाए रखने की कोशिश कर रही है.”

क्या थीं रुकावटें

महत्वाकांक्षी कोयंबटूर हवाई अड्डे के विस्तार की योजना पहली बार तब खटाई में पड़ गई जब 2021 में 10 साल के अंतराल के बाद DMK फिर से सत्ता में आई. राज्य सरकार ने तब फैसला किया कि वह AAI को भूमि का स्वामित्व हस्तांतरित नहीं करेगी, बल्कि कुछ शर्तों के साथ इसे पट्टे पर देगी.

सबसे विवादास्पद शर्त यह थी कि अगर केंद्र सरकार हवाई अड्डे को निजी हाथों में सौंपती है, तो तमिलनाडु को पट्टे का भुगतान भूमि के बाजार मूल्य के हिसाब से बढ़ाया जाएगा. लेकिन लोकसभा चुनावों के बाद, डीएमके ने कोयंबटूर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के विस्तार परियोजना पर विवाद को खत्म करने का फैसला किया है.

राज्य के एक वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि तमिलनाडु सरकार ने कोई समझौता नहीं किया है और कोयंबटूर हवाई अड्डे के विस्तार का विचार वास्तव में पिछली डीएमके सरकार के दौरान शुरू किया गया था.

मंत्री ने कहा, “इसे राज्य के अधिकारों पर समझौता करना नहीं कहा जा सकता, बल्कि विकास परियोजनाओं को लाने के लिए एक दी जाने वाली एक छूट है, जिससे अंततः राज्य के लोगों को लाभ होगा.”

2010 में, DMK के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने हवाई अड्डे के विस्तार के लिए एक आदेश जारी किया और अधिग्रहण के लिए लगभग 600 एकड़ भूमि की पहचान की गई. हालाँकि, भूमि अधिग्रहण और धन आवंटन की प्रक्रिया केवल 2018 में AIADMK सरकार के तहत शुरू हुई.


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भूमि अधिग्रहण के बारे में भूमि मालिकों और अन्य हितधारकों के साथ वर्षों की बातचीत के बाद, पिछले महीने आखिरकार यह मुद्दा सुलझा लिया गया. 23 अगस्त को जिला प्रशासन ने एएआई को भूमि का उपयोग करने की अनुमति दे दी.

कोयंबटूर से डीएमके सांसद गणपति पी. राजकुमार ने कहा, “हमने अपना काम कर दिया है और अब केंद्र सरकार को इस पर प्रतिक्रिया देनी है.”

डीएमके और भाजपा के लिए फायदेमंद

एयरपोर्ट प्रोजेक्ट डीएमके और भाजपा दोनों के लिए फायदेमंद होगी. 2026 में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव के मद्देनजर डीएमके, एआईएडीएमके और भाजपा तमिलनाडु के पश्चिमी क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहते हैं.

कोयंबटूर दक्षिण से भाजपा विधायक वनथी श्रीनिवासन ने कहा कि सरकार ने अपनी नीति इसलिए बदली क्योंकि उसे एहसास हुआ कि सत्तारूढ़ डीएमके पार्टी के पास अब केवल दो साल और बचे हैं.

वनथी ने दिप्रिंट से कहा, “वे जानते हैं कि अगले पांच साल तक (केंद्र में) भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार रहेगी और वे मुद्दों पर लड़ते नहीं रह सकते.”

कोयंबटूर जिला डीएमके के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है. हालांकि यह 234 सदस्यीय विधानसभा में 133 सीटों के बहुमत के साथ सत्ता में आई, लेकिन यह जिले के 10 निर्वाचन क्षेत्रों में से एक भी सीट नहीं जीत सकी.

भाजपा के साथ संभावित गठबंधन पर लोगों के संदेह को दूर करना डीएमके की जिम्मेदारी है.”

उद्योगपतियों ने फैसले का स्वागत किया

उद्योगपति कम से कम दो दशकों से तमिलनाडु के तेजी से औद्योगिक विकास कर रहे पश्चिमी क्षेत्र के साथ आवागमन को सुधारने के लिए कोयंबटूर के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के विस्तार की मांग कर रहे हैं. हवाई अड्डे के विस्तार परियोजना से जुड़े एएआई के एक अधिकारी के अनुसार, एएआई ने बड़े डबल इंजन वाले विमानों को उतरने की अनुमति देने के लिए हवाई अड्डे के रनवे का विस्तार करने का फैसला किया है.

अधिकारी ने कहा कि विस्तार से हवाई अड्डे की यातायात-संचालन क्षमता लगभग 35 लाख यात्रियों से बढ़कर 1.5 करोड़ यात्री प्रति वर्ष हो जाएगी.

वर्तमान में कोयंबटूर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से अबू धाबी और सिंगापुर के लिए फ्लाइट की सेवाएं उपलब्ध हैं.

उद्योगपतियों ने सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि विदेशों के साथ बेहतर उड़ान सुविधा होने से माल के निर्यात में सुधार होगा. इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स, कोयंबटूर के अध्यक्ष बी. श्रीरामलु ने कहा, “निकट भविष्य में संपर्क बढ़ने से एमएसएमई को विदेशी देशों से अधिक ऑर्डर मिलेंगे.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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