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Friday, 22 November, 2024
होमराजनीति‘पेपर लीक’ को लेकर गुजरात सरकार पर हमलावर आप खुद पंजाब में भर्ती ‘घोटाले’ के आरोपों पर घिरती जा रही

‘पेपर लीक’ को लेकर गुजरात सरकार पर हमलावर आप खुद पंजाब में भर्ती ‘घोटाले’ के आरोपों पर घिरती जा रही

पुलिस ने पंजाब लोक सेवा आयोग की तरफ से मई में कराई गई नायब तहसीलदार भर्ती परीक्षा के दौरान हाईटेक नकल कराने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है. इस मामले को लेकर विपक्ष आप सरकार पर घेरने में जुटा है.

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चंडीगढ़: आम आदमी पार्टी (आप) के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने जहां पेपर लीक को लेकर गुजरात सरकार पर निशाना साधा है, वहीं पंजाब में खुद उनकी अपनी पार्टी को एक ऐसे मामले में विपक्षी दलों के हमले का सामना करना पड़ रहा है, जिसे आप सरकार के सत्ता में आने के बाद से पहला बड़ा भर्ती ‘घोटाला’ बताया जा रहा है.

पंजाब पुलिस ने मंगलवार को दावा किया कि उसने एक अंतर्राज्यीय गिरोह का पर्दाफाश किया है जो पंजाब लोक सेवा आयोग (पीपीएससी) की तरफ से मई में कराई गई नायब तहसीलदार भर्ती परीक्षा के दौरान हाईटेक नकल कराने में शामिल रहा था.

कांग्रेस नेता सुखपाल सिंह खैरा और शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने अक्टूबर में ही इस प्रतियोगी परीक्षा में बड़े पैमाने पर धांधली होने का दावा किया था.

पटियाला रेंज के महानिरीक्षक (आईजी) मुखविंदर सिंह छीना ने मंगलवार को एक प्रेस ब्रीफिंग में बताया था कि इस गिरोह ने नकल में शामिल हर उम्मीदवार से कथित तौर पर 20 लाख रुपये लिए और बदले में ब्लूटूथ और जीएसएम डिवाइस का इस्तेमाल कर परीक्षा में धोखाधड़ी कराने की न केवल योजना बनाई बल्कि उसे अंजाम भी दिया.

अब जबकि केजरीवाल की तरफ से भाजपा शासित राज्य गुजरात में कथित पेपर लीक को अपनी पार्टी के चुनाव अभियान के प्रमुख मुद्दों में से एक बनाया गया है, संदिग्ध गिरोह के पांच सदस्यों की गिरफ्तारी राजनीतिक तौर पर आप के लिए एक शर्मिंदगी का सबब बन गई है, जिसने सरकारी नौकरियों के लिए चयन में पारदर्शिता का वादा किया था.

कांग्रेस नेता सुखपाल सिंह खैरा ने सोमवार को एक वीडियो बयान जारी करके कहा, ‘दूसरों पर उंगली उठाना आसान होता है. केजरीवाल गुजरात में पेपर लीक को लेकर इतना शोर मचा रहे हैं. उन्हें यह भी देखना चाहिए कि पंजाब में क्या हो रहा है.’

खैरा ने गुरुवार को एक ट्वीट कर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से आग्रह किया कि कथित अनियमितताओं की न्यायिक जांच का आदेश दें. एक अन्य ट्वीट में कांग्रेस नेता ने पिछले कुछ महीनों में पीपीएससी की तरफ से आयोजित की गई अन्य परीक्षाओं की भी गहन जांच कराने की मांग की.

अन्य विपक्षी दल भी कथित भर्ती घोटाले को लेकर आप पर निशाना साध रहे हैं और न केवल उन लोगों पर शिकंजा कसने की मांग कर रहे हैं जिन्होंने इस हाईटेक धोखाधड़ी को अंजाम दिया, बल्कि यह भी कह रहे हैं कि इस गिरोह की मदद से शीर्ष स्थान हासिल करने वाले उम्मीदवारों को भी गिरफ्तार किया जाए.

कथित तौर पर धोखाधड़ी के जरिये प्रवेश परीक्षा में टॉप पर रहे अधिकांश उम्मीदवार संगरूर जिले के मूनक और पटरान ब्लॉक से बताए जा रहे हैं, जो सीएम भगवंत मान का गृह निर्वाचन क्षेत्र है.

मजीठिया ने बुधवार को एक के बाद एक ट्वीट करके कहा कि ‘घोटाले’ की गहन जांच जरूरी है क्योंकि सबूत सरकार और पीपीएससी की किसी बड़ी साजिश का संकेत देते हैं. उन्होंने बताया कि चयनित उम्मीदवार केवल दो परीक्षा केंद्रों मूनक और पटरान से हैं.

शिरोमणि अकाली दल के महासचिव ने एक वीडियो में कहा, ‘हमने पहली बार भर्ती प्रक्रिया में घोटाले की आशंका तभी जताई थी जब यह बात हमारे संज्ञान में आई थी कि जिन उम्मीदवारों ने नायब तहसीलदार लिखित परीक्षा में टॉप किया है, वे कुछ महीने पहले ही पटवारियों की भर्ती के लिए आयोजित लिखित परीक्षा में असफल रहे थे. पटवारी लिखित परीक्षा में फेल अभ्यर्थी कुछ ही महीनों बाद वैसी ही एक भर्ती परीक्षा में टॉप पर कैसे रहे?’

पुलिस के इस मामले में शुरुआती गिरफ्तारियों का ब्योरा दिए जाने के बाद से फिलहाल आप की तरफ से कोई बयान नहीं दिया गया है.


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कैसे सामने आया ‘घोटाला’

पीपीएससी ने दिसंबर 2020 में राजस्व विभाग में 78 नायब तहसीलदारों की भर्ती के लिए एक विज्ञापन दिया था, और अंतत: इस साल मई में इसके लिए भर्ती परीक्षा आयोजित की गई. परीक्षा के लिए 85,000 से अधिक उम्मीदवारों ने आवेदन किया, जिनमें 40,000 से अधिक परीक्षा में शामिल हुए. अक्टूबर में 1,700 उम्मीदवारों की मेरिट सूची प्रकाशित की गई थी.

विपक्षी नेताओं की तरफ से अनियमितताओं को लेकर हो-हल्ला मचाने के एक महीने बाद सतर्कता ब्यूरो ने नवंबर में अपनी जांच शुरू की.

पटियाला आईजी पटियाला ने फर्जीवाड़े में शामिल अंतरराज्यीय गिरोह के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह गिरोह परीक्षा की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के संपर्क में आया था.

छीना ने बताया, ‘डमी उम्मीदवारों का एक सेट परीक्षा में शामिल होने के लिए बनाया गया जिसका काम केवल प्रश्नपत्र की तस्वीरें क्लिक करना और उसे कंट्रोल रूम भेजना था. डमी उम्मीदवारों ने तस्वीरें शेयर करने के लिए वाई-फाई कनेक्टिविटी वाले माइक्रो कैमरों का इस्तेमाल किया.’

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि कंट्रोल रूम हरियाणा में बनाया था जहां एक्सपर्ट और शिक्षकों का एक ग्रुप प्रश्नपत्रों की प्रतीक्षा कर रहा था. उन्होंने बताया, ‘जैसे ही प्रश्नपत्र की तस्वीरें आईं, उन्होंने (ग्रुप ने) पेपर हल करके एक आंसर-की शीट तैयार कर दी. यह काम सभी क्वेश्चन पेपर सीरीज के लिए किया गया था.’

अधिकारी ने बताया, ‘20-22 लाख रुपये का भुगतान करने वाले सभी उम्मीदवारों को एक नया मोबाइल फोन और एक जीएसएम डिवाइस दी गई और इसका इस्तेमाल आंसर-की शीट भेजने के लिए किया गया. उन्होंने गिरोह के सदस्यों या फैसिलेटर्स को संदेश भेजने के लिए खांसने या टेबल थपथपाने जैसे संकेतों का इस्तेमाल किया, जो उनके क्वेश्चन पेपर के मुताबिक सही आंसर-की उपलब्ध कराने के लिए परीक्षा केंद्रों के पास ही मौजूद थे.’

इस सिलसिले में पटियाला से तीन और हरियाणा से दो सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है, जिनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 419 (भेष बदलकर धोखाधड़ी करने), 420 (धोखाधड़ी), 468 (ठगी), 471 (जालसाजी) और 120बी (आपराधिक साजिश) के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है.

पुलिस ने कहा कि इस पूरे ऑपरेशन में इस्तेमाल जीएसएम डिवाइस, मोबाइल फोन, लैपटॉप और सिम सहित कई गैजेट्स भी जब्त किए गए हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(अनुवादः रावी द्विवेदी)


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