नई दिल्ली: कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच श्रेय को लेकर जारी होड़ ने शुक्रवार को एक नया मोड़ ले लिया, जब हिमाचल के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने घोषणा की कि अटल टनल के पास पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया के नाम की एक पट्टिका फिर से लगाई जाएगी. हिमाचल प्रदेश के मनाली को केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में लेह से जोड़ने वाली इस सुरंग को दुनिया में 10,000 फीट की ऊंचाई पर ऊपर सबसे लंबे राजमार्ग का दर्जा हासिल है.
सुक्खू ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर बनी इस सुरंग का नाम नहीं बदला जाएगा, लेकिन जिन लोगों ने इसकी आधारशिला रखी थी, उनके नाम की पट्टिका फिर से लगाई जाएगी.
माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर टनल की तस्वीर शेयर करते हुए सुक्खू ने लिखा, ‘न अटल टनल का नाम बदलेगा, न पट्टिका हटेगी. लेकिन रोहतांग टनल का शिलान्यास करवाने वालों की पट्टिका भी जरूर लगेगी.’
न अटल टनल का नाम बदलेगा न पट्टिका हटेगी, लेकिन रोहतांग टनल का शिलान्यास करवाने वालों की पट्टिका भी जरूर लगेगी । pic.twitter.com/ixXK8jmuHq
— Sukhvinder Singh Sukhu (@SukhuSukhvinder) December 16, 2022
जानकारी के मुताबिक, सुक्खू ने सोनिया गांधी के नाम वाली पट्टिका बहाल करने की घोषणा भले ही शुक्रवार को की है लेकिन इस पर फैसला कथित तौर पर 13 दिसंबर को ही ले लिया गया था, जब कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश का विधानसभा चुनाव स्पष्ट बहुमत के साथ जीतकर राज्य की तत्कालीन भाजपा सरकार को हटा दिया.
भाजपा के राज्य प्रवक्ता रणधीर शर्मा ने इस हफ्ते के शुरू में कहा था कि यदि वाजपेयी के नाम की मौजूदा पट्टिका को हटाया गया तो इसके खिलाफ प्रदर्शन किया जाएगा. साथ ही दावा किया था, ‘सोनिया गांधी ने केवल ‘भूमि पूजन’ किया था, जबकि पूरा काम वाजपेयी और केंद्र सरकार की तरफ से किया गया.’ हालांकि, उनका कहना है, यदि सुरंग का नाम नहीं बदला जाता तो गांधी के नाम की पट्टिका फिर लगाना ‘मंजूर’ है.
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भाजपा की हिमाचल प्रदेश इकाई के महासचिव राकेश जम्वाल ने शनिवार को दिप्रिंट को बताया, ‘हमने उन्हें चेतावनी दी है कि अगर दिवंगत अटल बिहार वाजपेयी का नाम हटाया गया तो विरोध प्रदर्शन करेंगे. सुरंग उनका विचार था. हम इस टनल के नाम में कोई बदलाव बर्दाश्त नहीं करेंगे. जहां तक मुझे पता है, पार्टी फिर से शिलान्यास कर रही है. जब तक सुरंग का नाम अटल है, तब तक हमें इससे कोई समस्या नहीं है.’
दोनों पार्टियों के बीच श्रेय लेने की होड़ कोई नई बात नहीं है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई मौकों पर कहा है कि कैसे यूपीए सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान परियोजनाओं को अधूरा छोड़ दिया था. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया है कि 2014 में केंद्र में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से कई लंबित बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को तेजी से ट्रैक किया गया और पूरा किया गया है.
अटल सुरंग पर खींचतान क्यों शुरू हुई
गौरतलब है कि अटल सुरंग की आधारशिला 2010 में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, यूपीए सरकार में तत्कालीन इस्पात मंत्री वीरभद्र सिंह और हिमाचल के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने रखी थी.
इस सुरंग के निर्माण को मंजूरी वर्ष 2000 में तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी ने दी थी और इसका उद्घाटन अक्टूबर 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों हुआ.
जब सुरंग की आधारशिला रखी गई, तब सोनिया गांधी औपचारिक तौर पर सरकार का हिस्सा नहीं थीं. उस समय वह तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह को नीति निर्माण और सरकारी कार्यक्रमों की निगरानी पर सलाह देने के लिए बनाई गई यूपीए की राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का नेतृत्व कर रही थीं. सलाहकार परिषद की अध्यक्ष के नाते उन्हें एक कैबिनेट मंत्री का दर्जा हासिल था. और माना जाता है कि कैबिनेट मंत्री का दर्जा रखने की वजह से ही उनका नाम सुरंग की पट्टिका पर अंकित किया गया था.
सोनिया गांधी और सुरंग की नींव रखने वाले अन्य लोगों के नाम वाली पट्टिका कथित तौर पर उस दिन गायब हो गई जब 2020 में मोदी ने इसे जनता के लिए खोला. इसे लेकर उस समय हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने लाहौल और स्पीति जिला मुख्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन भी किया था.
स्थानीय रिपोर्टों के मुताबिक, जिला प्रशासन पहले ही सीमा सड़क संगठन के साथ संपर्क कर चुका है और तय कर लिया गया है कि आधारशिला वाली पट्टिका कहां लगाई जाएगी.
अटल सुरंग के श्रेय को लेकर विवाद कथित तौर पर सुक्खू सरकार के शपथ लेने से पहले ही शुरू हो चुका था.
पिछले साल मंडी संसदीय सीट के उपचुनाव, जिसमें कांग्रेस नेता प्रतिभा सिंह ने जीत हासिल की थी, के दौरान कांग्रेस की हिमाचल इकाई के पूर्व प्रमुख कुलदीप सिंह राठौर ने गांधी के नाम की पट्टिका फिर से लगाने की मांग की थी.
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