नई दिल्ली: मध्यप्रदेश की सियासत की लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गई है. भाजपा ने राज्य विधानसभा में जल्द बहुमत परीक्षण हो इसलिए एक याचिका कोर्ट में दाखिल की है. इस याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हो सकती है.
सूत्रों की जानकारी के अनुसार अब दोनों पार्टियों फिर से अपने-अपने विधायकों को हॉर्स ट्रेडिंग से बचाने के लिए किसी अन्य राज्य में भेज सकती है.
सोमवार को प्रदेश के विधानसभा के बजट सत्र की शुरुआत हुई. राज्यपाल लालजी टंडन ने अपना अभिभाषण पढ़ा. अभिभाषण खत्म होने के बाद राज्यपाल ने सदस्यों से कहा कि, ‘प्रदेश की जो स्थिति है, उसमें अपना दायित्व शांतिपूर्ण तरीके से निभाएं. संविधान के हिसाब से सभी अपनी जिम्मेदारी निभाएं. प्रदेश के गौरव की रक्षा हो. मध्य प्रदेश के लोकतांत्रिक मूल्यों का पालन किया जाए.’
सदन में अभिभाषण के बाद भाजपा के सदस्य बहुमत परीक्षण की मांग करते रहे. लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने कोरोना वायरस का हवाला देते हुए सदन की कार्यवाही 26 मार्च तक स्थगित कर दी. इस मामले में सीएम कमलनाथ ने कहा, ‘यदि भाजपा को लगता है कि हमारे पास बहुमत नहीं है, तो वह मेरी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाये. वे ऐसा करने से क्यों कतरा रहे हैं?’
विधानसभा में फ्लोर टेस्ट नहीं होने के बाद भाजपा के विधायक पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में राजभवन राज्यपाल लालजी टंडन से मिलने पहुंचे. शिवराज सिंह ने चौहान ने राज्यपाल के सामने अपनी पार्टी के सभी 106 विधायकों की परेड करवाई और समर्थन की सूची सौंपी. राज्यपाल ने सभी विधायकों को भरेासा दिया कि किसी भी विधायकों के अधिकारों का हनन नहीं होगा. लोकतंत्र बचाने की जिम्मेदारी मेरी है. वह संविधान के अनुसार ही कार्रवाई करेंगे.
पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कमलनाथ रणछोड़दास हैं. उनकी सरकार को कोरोनावायरस भी नहीं बचा सकता. आज विधानसभा में राज्यपाल के निर्देशों का पालन नहीं हुआ. कमलनाथ सरकार मैदान छोड़कर भाग गई. हमारे पास 106 विधायक है. कांग्रेस के पास 92 विधायक है. राज्य में जल्द ही भाजपा की सरकार बनने जा रही है.