नई दिल्ली: असम के मुख्यमंत्री हिमन्त बिश्व सरमा ने रविवार को 18वीं सदी के मुस्लिम शासक टीपू सुल्तान की निंदा करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि ‘हमारे’ नायकों द्वारा अपनी भूमि और धर्म की रक्षा के लिए किए गए बलिदानों को पहचानते हुए ‘नये भारत’ के अपने इतिहास को फिर से लिखे.
अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर बिस्वा ने ट्वीट किया कि “अगर हम इस तर्क की भी जांच करें कि टीपू सुल्तान केवल एक स्वतंत्रता सेनानी हैं क्योंकि उन्होंने अपने राज्य की रक्षा के लिए अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी, तो उन 80,000 कोडवों के बारे में क्या जिन्होंने बहादुरी से अपना बलिदान दिया?
बिस्वा ने आगे कहा कि वामपंथियों द्वारा लिखा गया इतिहास बहुत हो गया. नए भारत को एक ऐसे इतिहास की जरूरत है, जो हमारे नायकों द्वारा अपनी भूमि और धर्म की रक्षा के लिए दिए गए बलिदान को पहचान सके.
मंगलुरु में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, सरमा ने कर्नाटक में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए अपने घोषणापत्र को लेकर कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा और इसे स्वयं हित के लिए बनाया गया घोषणापत्र करार दिया.
उन्होंने कहा, “घोषणापत्र कांग्रेस के प्रतिनिधित्व का सही प्रतिबिंब रखता है. यह बहुसंख्यक समुदाय के खिलाफ है. कांग्रेस हिंदुओं से घृणा करती है और उनकी एकमात्र प्रेरणा बहुसंख्यक समुदाय के खिलाफ खड़े होना है.
असम के सीएम ने आगे आरोप लगाया, “कांग्रेस के पास बहुसंख्यक समुदाय की संस्कृति और धर्म (धार्मिक प्रथाओं) के लिए नफरत के अलावा कुछ नहीं है.”
शनिवार को असम के मुख्यमंत्री ने चुनावी राज्य कर्नाटक में एक चुनावी सभा की अगुवाई करते हुए कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा.
उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार को टीपू सुल्तान के ‘परिवार के सदस्य’ करार दिया.
उन्होंने आगे कहा कि मेरे राज्य असम पर मुगलों ने 17 बार हमला किया लेकिन वे हमें हरा नहीं सके. आज मैं इस पवित्र भूमि को नमन करता हूं क्योंकि कोडागु के लोगों ने कई मौकों पर टीपू सुल्तान की उन पर हावी होने की योजना को विफल कर दिया था.
भाजपा नेता ने कहा कि अगर कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया टीपू सुल्तान की जयंती मनाना चाहते हैं तो उन्हें पाकिस्तान जाकर ऐसा करना चाहिए.
उन्होंने कहा, “टीपू सुल्तान के खिलाफ लड़ाई में लगभग 80,000 लोगों ने अपनी जान गवाई थी और आज सिद्धारमैया कह रहे हैं कि वे टीपू सुल्तान की जयंती मनाएंगे. अगर आप टीपू सुल्तान की जयंती मनाना चाहते हैं तो पाकिस्तान या बांग्लादेश जाइए. आपको भारत में ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है.”
10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस के बीच टीपू सुल्तान को लेकर बहस फिर से केंद्र में आ गई है.
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