गुरुग्राम: हरियाणा से पूर्व सांसद अशोक तंवर ने गुरुवार को कांग्रेस के साथ गठबंधन का हवाला देते हुए आम आदमी पार्टी (आप) की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया, उन्होंने कहा कि उनकी “नैतिकता” उन्हें पार्टी में बने रहने की अनुमति नहीं देती है.
हालांकि, हरियाणा के लिए आप की प्रचार समिति के प्रमुख तंवर ने अपनी भविष्य की योजनाओं का खुलासा नहीं किया, लेकिन उनके करीबी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि उनके शनिवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थामने की संभावना है. उन्होंने पिछले हफ्ते हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से दिल्ली के एक होटल में मुलाकात की थी.
तंवर ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस के छात्र विंग, नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) में सचिव के रूप में की और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मतभेदों के कारण पार्टी छोड़ने से पहले उन्होंने भारतीय युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ-साथ हरियाणा कांग्रेस के प्रमुख के रूप में भी कार्य किया.
AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को संबोधित करते हुए 18 जनवरी को लिखे पत्र में तंवर ने कहा, “वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ आपके गठबंधन को देखते हुए, मेरी नैतिकता मुझे आम आदमी पार्टी के हरियाणा चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष के रूप में बने रहने की अनुमति नहीं देगी.”
उन्होंने केजरीवाल से आप की प्राथमिक सदस्यता और अन्य सभी जिम्मेदारियों से उनका इस्तीफा स्वीकार करने का भी अनुरोध किया.
तंवर ने कहा, “देश के एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में और अपने छात्र जीवन से सक्रिय राजनीति में होने के नाते, मैंने हमेशा हमारे संविधान, देश और इसके लोगों में सबसे पहले भरोसा किया है. मैं हरियाणा राज्य, हमारे प्यारे देश भारत और उसके लोगों की भलाई के लिए काम करना जारी रखूंगा.”
आप और कांग्रेस विपक्ष के इंडिया ब्लॉक के बैनर तले एक साथ आए हैं, जो इस साल के लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार को उखाड़ फेंकना चाहता है.
तंवर ने पिछले हफ्ते दिल्ली के एक होटल में खट्टर से मुलाकात की थी, जिससे अटकलें लगाई जाने लगीं कि वह भाजपा में शामिल होने जा रहे हैं.
इसके बाद वह रडार से दूर हो गए, लेकिन उनके करीबी सूत्रों ने पुष्टि की थी कि वह जल्द ही भाजपा में शामिल हों जाएंगे.
पिछले हफ्ते करनाल में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए खट्टर ने यह कह कर बैठक की बात के सवाल को टाल दिया कि वे अपनी पार्टी के साथ-साथ विपक्ष के कई राजनीतिक व्यक्तियों से मिलते रहते हैं.
लेकिन हरियाणा बीजेपी के प्रवक्ता संजय शर्मा ने दिप्रिंट से पुष्टि की कि जब तंवर की खट्टर से मुलाकात हुई थी तो उनका पार्टी में शामिल होना उनके एजेंडे में था.
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कांग्रेस के साथ कार्यकाल
झज्जर के चिमनी गांव में एक दलित परिवार में जन्मे, तंवर (48) ने राजनीति में अपना पहला कदम दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में एनएसयूआई सदस्य के रूप में रखा, जहां उन्होंने Centre for Historical Studies से पीएचडी और पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई की.
वह 1999 में एनएसयूआई के सचिव और 2003 में इसके अध्यक्ष बने.
2005 में उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा की पोती अवंतिका माकन से शादी की. माकन उनके साथ एनएसयूआई की सचिव भी थीं.
उसी साल, तंवर को भारतीय युवा कांग्रेस का अध्यक्ष नामित किया गया. उन्हें राहुल गांधी की आंतरिक मंडली का सदस्य माना जाता था.
तंवर 2009 में सिरसा से लोकसभा के लिए चुने गए. हालांकि, वह 2014 और 2019 में सीट हार गए थे.
2014 के लोकसभा चुनाव से कुछ समय पहले, तंवर को हरियाणा कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. हालांकि, 2014 के विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों के चयन को लेकर उनके रिश्ते हुड्डा के साथ खराब हो गए.
2019 विधानसभा चुनाव से एक महीने पहले तंवर की जगह कुमारी सैलजा को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया था. कुछ ही दिनों में उन्होंने अपने समर्थकों को टिकट नहीं मिलने पर कांग्रेस छोड़ दी.
तंवर ने अपना खुद का संगठन, अपना भारत मोर्चा बनाने से पहले, विधानसभा चुनावों में दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) का समर्थन किया था. अप्रैल 2022 में AAP में शामिल होने से पहले उन्होंने कुछ समय के लिए ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में काम किया था.
(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)
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